जयपुर। कर्नाटक राज्य में हिजाब विवाद के बाद सत्ता परिवर्तन के साथ ही अब राजस्थान में भी हिजाब की आड़ में "बापर्दा" (सर व चेहरा ढक कर) स्कूल जाने वाली मुस्लिम बालिकाओं पर छीटाकशी के मामले बढ़ने लगे हैं। ताजा मामला राजस्थान के जोधपुर जिले के पीपाड़ सिटी के सरकारी स्कूल से सामने आया है। जहां एक शिक्षक पर सर ढक कर स्कूल आने वाली छात्राओं को चंबल का डाकू कहने के आरोप लगे हैं।
छात्राओं का कहना है कि वह सर ढक कर तथा चेहरे पर मास्क लगाकर स्कूल जाती हैं तो स्कूल के एक शिक्षक उनको चंबल के डाकू कहते हैं। हालांकि स्कूल प्रशासन छात्राओं को चंबल का डाकू बताकर व्यक्तिगत टिप्पणी करने की बात को पुरानी बताकर वर्तमान में लगे आरोपों को नकार रहा है। इससे पूर्व जयपुर शहर में भी हवा महल विधायक बालमुकुंद आचार्य पर भी सरकारी स्कूल में हिजाब को लेकर मुस्लिम बालिकाओं पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने के आरोप लग चुके हैं।
गौरतलब है कि जोधपुर जिले के पीपाड़ सिटी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नंबर 2 में शनिवार को सर पर दुपट्टा (सर ढकने का कपड़ा) व चेहरे पर मास्क लगाकर आई मुस्लिम छात्राओं को स्कूल प्रबंधन ने स्कूल से बाहर निकाल दिया था। पहनावे को लेकर स्कूल से बाहर निकाली गई सभी बालिकाएं कक्षा 11वीं व 12वीं की छात्रा बताई गई हैं। छात्राओं की शिकायत पर अभिभावक स्कूल पहुंचे अभिभावकों ने इस तरह बालिकाओं को स्कूल से बाहर निकालने पर कड़ा एतराज जताया।
इस दौरान स्कूल के बाहर निकाली गई छात्राओं ने कहा कि वे अपनी लोकलाज के अनुसार घर से स्कूल तक सिर कपड़े से ढक कर तथा चेहरे पर मास्क लगाकर आती हैं। स्कूल आने के बाद वे केवल सर पर दुपट्टा रखती हैं। उनके मास्क लगा कर आने पर एक शिक्षक उन पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हैं। शिक्षक पर आरोप है कि सर ढकने व मास्क लगाने पर छात्राओं से कहते हैं कि तुम चंबल के डाकू जैसे लगते हो। शिक्षक इस तरह की टिप्पणी रोज करते हैं।
यहां छात्राओं ने एक प्रियंका नामक महिला शिक्षक पर भी आरोप लगाया कि सर ढकने या मास्क लगाने पर एग्जाम में कम नंबर देने की धमकी देती हैं। हिजाब के नाम पर उन्हें हर रोज टॉर्चर किया जाता है। छात्राओं ने कहा कि जबकि हम स्कूल के अंदर यूनीफॉर्म में रहते हैं। इसके बावजूद उन पर व्यक्तिगत टिप्पणी की जाती है।
सर ढकने या मास्क लगाने पर छात्राओं को चंबल का डाकू बताने तथा एग्जाम में नंबर कम देने की धमकी की जानकारी के मिलने के बाद अभिभावकों को गुस्सा फूट पड़ा। अभिभावकों के साथ पार्षद मुजफ्फर खलीफा, पूर्व पार्षद अली हसन कुरैशी, रजा अली सहित मुस्लिम समुदाय के अन्य जनप्रतिनिधि भी स्कूल पहुंच गए। वहीं शिक्षक द्वारा छात्राओं पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने पर कड़ा एतराज जताया। इस दौरान शहर के कुछ लोग भी स्कूल पहुंचने लगे। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंची। अभिभावकों व जनप्रतिनिधियों के अलावा स्कूल परिसर में घुसे बाहरी लोगों को बाहर निकाला। इसके बाद स्कूल प्रबंधन व अभिभावकों के बीच वार्ता हुई।
द मूकनायक ने प्रधानाचार्य रामकिशोर सांखला से बात कर वास्तविक स्थिति जानने का प्रयास किया। प्रधानाचार्य ने कहा, "यहां पहले से छात्राएं स्कूल यूनिफॉर्म के ऊपर अलग रंग के कपड़े से सर ढक कर आ रही थीं। इस पर कुछ लोगों ने एतराज जताते हुए मौखिक शिकायत की थी। हालांकि प्रधानाचार्य ने एतराज जताने वालों के नामों का खुलासा नहीं किया। इसके बाद हमने छात्राओं से स्कूल यूनिफॉर्म के अलावा कोई दूसरे वस्त्र पहन कर नहीं आने को कहा था, लेकिन कुछ छात्राएं फिर भी हिजाब पहन कर आ रही थीं। इस लिए शनिवार को उन्हे अपने अभिभावकों को बुलाने के लिए भेजा था।"
शिक्षक द्वारा छात्राओं पर व्यक्तिगत टिप्पणी के सवाल पर प्रधानाचार्य ने कहा, "यह घटना अभी की नहीं है। इस तरह की बात पूर्व में कहे जाने की जानकारी मिली है। वर्तमान में किसी भी शिक्षक ने हिजाब पहनने पर किसी छात्रा को चंबल का डाकू नहीं कहा है। यदि किसी ने कहा है तो छात्राओं ने मुझसे पहले शिकायत क्यों नहीं की?"
हिजाब में स्कूल आने पर एग्जाम में नंबर कम देने की धमकी के आरोपों पर कहा, "मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। यदि कोई इस तरह धमका रहा है तो छात्राएं बेझिझक मुझसे शिकायत कर सकती हैँ।"
इधर, पीपाड़ सिटी के पार्षद मुजफ्फर खलीफा ने कहा कि किसी भी नारी को अपनी लोक लाज के हिसाब से सर ढकने का संवैधानिक अधिकार है। हमारी बच्चियां स्कूल में यूनिफार्म में आती है। कुछ लोग एक विचारधारा के तहत हिजाब की आड़ में शिक्षण संस्थानों में राजनीति कर रहे हैं। यह गलत है। ऐसे लोगों को स्कूल में शिक्षक लगाने तथा व्यवस्था में सुधार के लिए राजनीति करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सर ढकने के कपड़े को हिजाब बताना गलत है। स्कूल के बाहर हिजाब पहनने पर किसी नारी को कोई नहीं रोक सकता।
पार्षद ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों द्वारा छात्राओं के साथ इस तरह का व्यवहार चिंताजनक है। कोई भी शिक्षक कैसे किसी छात्रा को चंबल का डाकू कह सकता है। हिजाब के बहाने से एग्जाम में कम नंबर देने की धमकी देना भी उचित नहीं है।
पार्षद मुजफ्फर खलीफा ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय में बालिका शिक्षा का चलन बढ़ा है। बच्चियां शिक्षा के क्षेत्र में नाम रोशन कर रही है। खलीफा ने आरोप लगाया कि एक विचारधारा के तहत हिजाब की आड़ लेकर मुस्लिम बच्चियों का शिक्षा से मोहभंग करने का प्रयास भी हो सकता है, लेकिन हम इस तरह के हथकंडे से रुकने वाले नहीं है। हमारी बेटियां पढ़ेंगी भी तथा देश का नाम भी रोशन करेंगी।
पीपाड़ सिटी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नंबर 2 में हिजाब के नाम पर हुआ विवाद पुलिस प्रशासन व मुस्लिम जनप्रतिनिधियों की समझाइश के बाद शांत हो गया। मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सुमेर सिंह, प्रधानाचार्य रामकिशोर सांखला के साथ मुस्लिम जनप्रतिनिधि व अभिभावकों की पुलिस की मौजूदगी में वार्ता हुई। वार्ता के दौरान मुख्य ब्लाक शिक्षा अधिकारी ने राज्य सरकार के निर्देशों का हवाला देते हुए स्कूल के लिए निर्धारित ड्रेस कोड की पालना को प्रत्येक छात्र-छात्रा के लिए अनिवार्य बताया। अभिभावकों के तर्कों के बाद स्कूल में निर्धारित यूनीफोर्म में स्कूल के अंदर छात्राओं के सर ढकने पर सहमति बनी। छात्राएं स्कूल तक हिजाब में आ सकती हैं। स्कूल के अंदर उतारना होगा, लेकिन स्कूल यूनिफॉर्म के अनुसार सर ढक सकती हैं। 500 से ज्यादा नामांकन वाले इस स्कूल में 90 फीसदी बच्चे अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं।
इससे पूर्व कर्नाटक राज्य में 2021 में शिक्षण संस्थानों में भी हिजाब को लेकर विवाद हुआ था। अक्टूबर में एक पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग की थी। इसके बाद मामला दब गया, लेकिन 31 दिसंबर 2021 को उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आई 6 छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया था। जिसके बाद कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया और मामला सुर्खियों में आया था। हिजाब विवाद सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। दो जजों की बेंच का अलग-अलग फैसला आया। कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन के साथ ही हिजाब विवाद थम गया।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.