जयपुर। जयपुर-मुम्बई सुपर फास्ट ट्रेन में रेल सुरक्षाकर्मी द्वारा अपने वरिष्ठ पुलिस अफसर सहित तीन मुस्लिम यात्रियों की गोली मारकर हत्या करने का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि राजस्थान के कोटपुतली जिले के हरसौरा पुलिस थाना इलाके में वनकर्मियों पर ग्रामीणों के साथ मिलकर मुस्लिम टिम्बर व्यापारी की लिंचिग कर हत्या करने का आरोप लगा है। घटना 17 अगस्त देर रात की बताई गई है।
भिवाड़ी जिले के टपूकड़ा थानांतर्गत मुसारी निवासी मृतक वशीम के पिता तैयब मेव ने आठ से दस वनकर्मियों और तीन-चार अन्य लोगों पर हत्या का आरोप लगाते हुए कोटपुतली जिले के हरसौरा पुलिस थाने में रिपोर्ट दी है। इस पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर जांच हरसौरा थानाधिकारी बनवारी लाल मीना को सौंपी है।
परिजनों का कहना है कि पुलिस ने घटनास्थल से वनकर्मियों व ग्रामीणों को हिरासत में लिया था, लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं दिखाई है। मौके से हरसौरा पुलिस ने एक सरकारी वाहन कब्जे में लिया है, जिसे वन विभाग का बताया जा रहा है। घटना के बाद डिटेन किए गए लोगों की पहचान उजागर करने से भी पुलिस बच रही है। शनिवार को भी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मृतक वशीम के परिजन हरसौरा पुलिस थाने में डेरा डाले रहे।
पुलिस के अनुसार 17 अगस्त बुधवार रात साढ़े दस बजे हरसौरा पुलिस थाने पर सूचना मिली थी कि हम्मीरपुर की तरफ से कोई पिकप गाड़ी आ रही है। इसमें पीपल की लकड़ी भरी हुई है। वन विभाग की टीम उनका पीछा कर रही है। सूचना के आधार पर हरसौरा थाने से पुलिस जाब्ता नारौल गांव पहुंचा था। जहां पहले से काफी भीड़ जमा थी। तीन व्यक्ति मौके पर घायल पड़े थे, जिनमें से एक व्यक्ति का पेट फटा हुआ था। पुलिस ने पूछताछ की तो ग्रामीणों ने बताया कि पीकप के पीछे वन विभाग की गाड़ी थी। क्या घटना हुई हमें जानकारी नहीं है।
पुलिस के अनुसार मौैके पर ग्रामीणों की भीड़ जमा होने लगी तो वन विभाग की थार गाड़ी वापस चली गई। इस दौरान पुलिस तीनों घायलों को हरसौरा के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंची। जहां दो घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। जबकि एक गम्भीर घायल वशीम को कोटपुतली जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। पुलिसकर्मी वशीम को बीडीएस अस्पताल कोटपुतली लेकर गए। जहां चिकित्सकों ने वशीम को मृत घोषित कर दिया।
वशीम के साथ मारपीट में घायल अजरुद्दीन (19) पुत्र पिरोजा मेव व आसिफ (19) पुत्र सिराजुद्दीन मेव निवासी मुसारी थाना टपूकड़ा भिवाड़ी ने प्रारम्भिक पूछताछ में पुलिस को बताया कि वशीम उन्हीं के गांव का रहने वाला है। उसने बानसूर थाना इलाके के एक गांव में बड़ का पेड़ खरीदा था, जिसे काटने के लिए वशीम के साथ वह चार लोग आए थे। पिकप वाहन वशीम का ही है। पुलिस के अनुसार वशीम के साथियों ने बताया कि पेड़ काट कर दो बड़ी टहनियां पिकप में डाल लिए थे। इस दौरान दो व्यक्ति आए उन्होंने बताया कि रोड पर जंगलात वाले गाड़ी लेकर खड़े हैं। इस पर उन्होंने मौके पर ही लकड़ी खाली कर दी। अजरुद्दीन और आसिफ पिकप में पीछे बैठ गए।
इसके बाद पिकप को खाली लेकर वापस गांव के लिए रवाना हो गए। पुलिस के अनुसार वशीम के घायल साथियों ने बताया कि वनकर्मियों ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। आगे चल कर एक गांव में जेसीबी रास्ते में खड़ी कर रास्ता अवरुद्ध हो गया। पीछे से जंगलात वाले आ गए। सभी ने घेर लिया। वनकर्मी व जेसीबी वालों ने मारपीट शुरू कर दी। इस दौरान इन्हीं में से किसी एक ने वशीम के पेट में चाकू घुसा दिया।
मृतक वशीम के पिता तैयब पुत्र सुबान खां मेव निवासी मुसारी तहसील टपूकड़ा ने पुलिस को सौंपी लिखित तहरीर में बताया कि 17 अगस्त को प्रार्थी का पुत्र वशीम ने ग्राम रामपुर (बानसूर) से लकड़ी खरीदी थी। जिनको भरने शाम को गया था। पिता ने रिपोर्ट में बताया कि उसे वशीम के साथी आसिफ पुत्र सिराजुद्दीन व अजरुद्दीन पुत्र पिरोजा ने बताया कि हम रात करीब दस बजे लकड़ी भर रहे थे। हमें सूचना मिली कि वन विभाग वाले आ रहे हैं। हम गाड़ी लेकर अपने घर के लिए चल दिए।
हमारे पीछे वन विभाग की गाड़ी जीप नम्बर आरजे 14 यूडी 1935 आर ही थी। कुछ दूरी आगे जेसीबी मशीन से रास्ता रोक रखा था। हमने गाड़ी रोकी तो तीन-चार लोग जेसीबी से उतरे तथा सात-आठ लोग वन विभाग की गाड़ी से उतरे। सभी ने हमें जबरन बाहर खींच कर मारना शुरू कर दिया। इनमें कुछ लोगों के हाथ में धारदार हथियार, सरिया, लाठी डंडे थे। वशीम की छाती में धारदार हथियार घोंप कर मार दिया। हमारे (अजरु व आसिफ) के साथ भी मारपीट करते रहे। पुलिस ने आकर हमें बचाया। आरोपियों ने पुलिस के सामने भी हमें पीटा। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मारपीट और हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर ली।
मृतक वशीम के पारिवारिक सदस्य अब्दुल ने द मूकनायक को बताया कि वशीम मिलनसार व्यक्ति था। डेढ़ साल से लकड़ी खरीदने-बेचने का काम करता था। उसने बानसूर इलाके में किसी व्यक्ति से दस हजार रुपए में पेड़ खरीदा था। पेड़ काटने के बाद गांव वालों ने ही उसे बताया था कि रात में पेड़ मत लोड कर सुबह ले जाना। वन विभाग वाले परेशान करेंगे या फिर जुर्माना कर देंगे। पेड़ काटने के बाद वनकर्मियों के भय के कारण पेड़ को छोड़ कर वापस गांव आ रहे थे। उसने कोई चोरी नहीं की थी।
अब्दुल हई कहते हैं कि वशीम को मुस्लिम होने के नाते टारगेट कर मारा गया है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि अब मुसलमानों से रोजगार का हक भी छीना जा रहा है। मेहनत मजदूरी करना भी इन लोगों की नजर में गुनाह है।
अब्दुल हई ने आरोप लगाया कि वनकर्मियों ने ही जानबूझ कर कुछ असामाजिक तत्वों को फोन कर जेसीबी मशीन से रास्ता रुकवाया था। पिकप में ना तो लकड़ी थी ना ही कुछ और सामान था। इसके बावजूद वनकर्मियों ने प्राइवेट लोगों को उकसा कर वशीम व उसके साथियों के साथ मारपीट की। धार दार हथिरयार से हमला कर वशीम का पेट फाड़ दिया गया।
द मूकनायक प्रतिनिधि ने मामले की जांच कर रहे हरसौरा थानाधिकारी बनवारी लाल मीणा से सम्पर्क करना चाहा, लेकिन उन्होने फोन रिसीव नहीं किया। उन्हें मैसेज भी किया गया। इसके बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। ऐसे में पुलिस की कार्यशैली को लेकर भी सवाल खड़ा हो रहा है।
पुलिस उपाधीक्षक बानसूर सुनिल जाखाड़ ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया कि वशीम नामक युवक की हत्या हुई है। वनकर्मियों पर हत्या का आरोप लगा है। हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज है। तीन से चार लोगों को डिटेन किया गया है। यह कौन लोग है। इस बारे में जांच अधिकारी ही बता सकता है। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने कुछ वाहनों को भी कब्जे में लिया है। फिलहाल कब्जे में लिए वाहन सरकारी है या निजी है। वनविभाग से वाहन का क्या सम्बंध है। इस बारे में भी थानाधिकारी हरसौरा ही बता पाएंगे।
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