जयपुर। राष्ट्रीय शिक्षा निति के तहत मदरसों में गुणत्मक सुधार लाने के लिए शुरू की गई एसपीक्यूईएम (CENTRAL SPONSORED SCHEME FOR PROVIDING QUALITY EDUCATION IN MADRASA) योजना केन्द्र सरकार ने बंद कर दी है। योजना बंद होने के बाद मदरसों के उत्थान के लिए दिया जाने वाला बजट भी रोक दिया गया है। केन्द्र सरकार के इस कदम से राजस्थान के सैकड़ों मदरसे प्रभावित होंगे।
आपकों बता दें, मदरसों में गुणात्मक सुधार लाने के साथ ही मुस्लिम बच्चों को भी राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के औपचारिक शिक्षा के विषयों में जैसे विज्ञान, गणित, भाषा, सामाजिक अध्ययन आदि गुणवत्ता युक्त शिक्षा मदरसों में उपलब्ध कराने के मकसद से केन्द्र सरकार ने यह योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत मदरसों में अलग से शिक्षक लगाने थे, लेकिन राजस्थान सरकार ने मदरसा बोर्ड से पंजीकृत मदरसों में पहले से कार्यरत पैराटीचर्स को ही इस योजना के तहत मानदेय देकर समाप्त कर ली। नए शिक्षक नहीं लगाए गए। सवाई माधोपुर जिले में 577 पैराटीचर्स (शिक्षा अनुदेशक) में से 417 को एसक्यूपीईएम योजना के तहत मानदेय दिया गया। 160 पैराटीचर्स को राजस्थान मदरसा बोर्ड ने राज्यांश से मानदेय दिया। अब योजना बंद होने से इन शिक्षा अनुदेशकों के मानदेय को लेकर मदरसा बोर्ड नई व्यवस्था में जुट गया है।
इस योजना के तहत माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक चरण के मदरसों में विज्ञान प्रयोगशाला, कम्प्यूटर प्रयोगशाला और वार्षिक अनुरक्षण लागतों के लिए प्रावधान किया गया था। वहीं इसमें शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक नीति के तहत प्रशिक्षण देना, प्राथमिक/उच्च स्तर के मदरसों में विज्ञान/गणित किट उपलब्ध करवाना, पुस्तकालयों और पुस्तक बैंकों को मजबूत करना और सभी स्तर के मदरसों में अध्यापन ज्ञान सामग्री प्रदान करना भी शामिल था। राजस्थान मदरसा बोर्ड मदरसों में गुणात्मक शिक्षा में सुधार के प्रबंधन करने में फिसड्डी रहा है।
मदरसा आधुनिकीकरण योजना में अब प्रदेश सरकारें मदरसा शिक्षकों को मानदेय नहीं देगी। उत्तर प्रदेश की बात करें तो मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक अध्ययन विषय पढ़ाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत करीब 25 हजार शिक्षक रखे गए थे। केंद्र सरकार ने तो इस योजना को 31 मार्च 2022 को ही बंद कर दिया था, अब प्रदेश सरकार ने भी अपने हिस्से का मानदेय देना बंद कर दिया है।
मदरसा आधुनिकीकरण योजना केंद्र सरकार की है। इसे 1993-94 से संचालित किया जा रहा था। इसमें मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक अध्ययन विषय को पढ़ाने के लिए शिक्षक रखे गए थे। वर्ष 2008 से इसे 'स्कीम फार प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा' (एसपीक्यूईएम) के नाम से संचालित किया जाने लगा।
इस योजना में तैनात स्नातक पास शिक्षकों को छह हजार व परास्नातक शिक्षकों को 12 हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता था। वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इसमें दो हजार व तीन हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय अपनी ओर से देने का निर्णय लिया था। यानी स्नातक शिक्षकों को आठ हजार व परास्नातक शिक्षकों को 15 हजार रुपये इसमें मिलते थे।
केंद्र सरकार से इस योजना को वर्ष 2021-22 तक की ही स्वीकृति मिली थी, जबकि उत्तर प्रदेश में तैनात इन शिक्षकों को केंद्र सरकार से मानदेय और पहले से नहीं मिल रहा था। प्रदेश सरकार केंद्र से स्वीकृति मिलने की उम्मीद में अपने हिस्से का अतिरिक्त मानदेय बीते वर्ष अप्रैल तक देती रही।
अब यूपी सरकार ने भी मानदेय देना बंद कर दिया है। प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने केंद्र सरकार से लंबित अवशेष धनराशि की मांग कई बार की, लेकिन अभी तक केंद्रांश(केंद्र का हिस्सा) के रूप में 100 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि नहीं मिली है।
अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग उत्तर प्रदेश के सूत्रों की माने तो मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत राशि देने से केंद्र सरकार ने इंकार कर दिया है। केंद्रांश प्राप्त होने पर ही राज्यांश दिया जा सकता है। केंद्र ने यह भी साफ कर दिया है कि यह योजना 31 मार्च 2022 को बंद कर दी गई है। ऐसे में प्रदेश सरकार भी अपना हिस्सा नहीं दे सकती है। मदरसा अपने संसाधन से ही इन्हें मानदेय दे सकते हैं।
एसपीक्यूईएम योजना के तहत मदरसा और मकतब जैसे पारंपरिक संस्थानों को अपने पाठ्यक्रम में विज्ञान, गणित, सामाजिक अध्ययन, हिंदी और अंग्रेजी को शामिल करने हेतु प्रोत्साहित किया जाना था, ताकि वे इन संस्थानों में पढऩे वाले बच्चों को कक्षा एक से 12वीं तक की शैक्षणिक दक्षता प्रदान कर सकें। साथ ही इस योजना का उद्देश इन संस्थानों के छात्रों को विशेषकर राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के समतुल्य शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करना, राज्य मदरसा बोर्डों को मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम की निगरानी करने और मुस्लिम समुदाय के बीच शिक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सक्षम बनाने के लिए उनकी सहायता करके राज्य मदरसा बोर्डों को मजबूत करना, मदरसों में गुणवत्ता घटकों जैसे कि उपचारात्मक शिक्षण, मूल्यांकन और सीखने के परिणामों में वृद्धि, राष्ट्रीय आविष्कार अभियान आदि की व्यवस्था करना था। इस योजना के तहत नियुक्त शिक्षकों के शैक्षणिक कौशल और शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिए उन्हें विज्ञान, गणित, सामाजिक अध्ययन, हिंदी और अंग्रेजी के आधुनिक विषयों को पढ़ाने के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण प्रदान करना भी योजना में शामिल किया गया था।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.