मॉब लिचिंग के सबसे अधिक शिकार मुस्लिम और फिर दलित, आंकड़े कर देंगे हैरान!

मॉब लिचिंग / Graphic: The Mooknayak
मॉब लिचिंग / Graphic: The Mooknayak
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नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मॉब लिचिंग की बढ़ी घटनाएं। पिछले आठ सालों में गौमांस व गौ-तस्करी के शक में 51% मुस्लिमों को बनाया गया निशाना।

गौ-तस्करी, गौ-हत्या, मॉब-लिचिंग यह कुछ ऐसे शब्द हैं जिनसे कुछ सालों पहले तक लोग जरा सा भी वाकिफ नहीं थे। लेकिन आज के दौर में यह खबरों की सुर्खियां बनी हुई हैं। हाल की घटना मध्यप्रदेश के सिवनी जिले की है। जहां गौमांस की तस्करी में दो आदिवासियों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। जबकि अन्य एक शख्स गंभीर रुप से घायल है। खबरों के अनुसार, इस घटना के बाद नाराज ग्रामीणों ने विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया के साथ मिलकर हाईवे जाम कर दिया। जिसके बाद प्रशासन ने कारवाई करते हुए पहले तो ग्रामीणों को घर भेजा और बाद में आरोपियों को गिरफ्तार किया। बताया जा रहा है कि, सभी आरोपी कथित रुप से बजरंग दल के हैं। स्थानीय खबरों के अनुसार बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को यह सूचना मिली थी गांव में एक गाय काटी गई है। जिसके बाद इस घटना को अंजाम दिया गया। मॉब लिचिंग की ऐसी कई घटनाएं भी हैं जिसका सरकार के पास शायद कोई डाटा नहीं है। आईये आपको पिछले कुछ सालों में हुए मॉब लिचिंग की घटनाएं और उससे जुड़े कुछ आंकडों को बताते हैं।

अल्पसंख्यक और दलित सबसे ज्यादा हुए मॉब लिचिंग के शिकार

द हिंदू की एक खबर के अनुसार, मॉब लिचिंग का मुख्य कारण अफवाहें है। सोशल मीडिया खासकर व्हाट्सऐप पर आती फेंक जानकारी के कारण बच्चा चोरी, गौतस्करी, गौमांस, गौरक्षा को लेकर लोगों की मॉब लिचिंग की गई है। खबर के अनुसार, जिन लोगों की मॉब लिचिंग होती है वह अल्पसंख्यक हैं या दलित हैं। 

2018 में जुलाई के महीने तक पूरे देश में 33 जगह लोगों की अलग-अलग कारणों से मॉब लिचिंग की गई। साल 2018 में बच्चा चोरी के शक में ज्यादातर लोगों की मॉब लिचिंग की गई। द हिंदू की ही खबर के अनुसार, 2018 में बच्चा चोरी की अफवाहों के बीच अहमदाबाद में एक भीड़ ने शांतिबेन नाम की 40 वर्षीय एक भीख मांगने वाली महिला को पीट-पीटकर मार दिया।

असम की कार्बी आंगलोंग की घटना शायद हमसे से कोई भी न भूल पाएं। शायद आपको याद होगा, दो कलाकार युवक जो घूमने गए थे। 2018 में बच्चा चोरी की अफवाहएं जोर-शोर से फैली हुईं थी, इसी दौरान गुवाहटी के दो युवक निलुत्पल दास और कांठे लांगसु कार्बी आंगलोंस जिले में पिकनिक स्पॉट पर जा रहे थे। स्थानीय ग्रामीणों के बीच यह अफवाह फैल गई कि अपहरण किए गए बच्चों को साथ कुछ लोग काली कार में सफर कर रहे हैं। इसी दौरान भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में दोनों युवकों को पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। जिसमें दोनों लड़के दया की भीख मांग रहे हैं। इसके घटना के बाद असम की जनता सड़कों पर आ गई और न्याय की मांग करने लगी।

गौमांस के शक में मुसलमानों को बनाया गया निशाना

मॉब लिचिंग की घटनाएं सदियों से होती आ रही हैं। लेकिन सोशल मीडिया और अफवाहों के दौर में इसकी संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। इंडिया स्पेन्ड के एक रिसर्च के अनुसार 2010 से 2017 के बीच लगभग आठ सालों में गौमांस के शक में 51% मुस्लिमों को निशाना बनाया गया। जिसमें 63 मामलों में से 23 लोगों को मार दिया गया। जोकि 86% थे।

इसके अलावा, 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद गौमांस, गौ-तस्करी के मामलों में लोगों की मॉब लिचिंग ज्यादा हुई है। इंडिया स्पेन्ड का हवाला देते हुए The Wire की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 97% घटनाएं दर्ज की गई हैं। जिसमें आधी घटनाएं गाय हिंसा से संबंधित हैं। 63 में से 32 ऐसी घटनाएं उस वक्त घटी जब राज्य में भाजपा की सरकार थी। इन सात सालों में 28 भारतीयों में 24 मुस्लिम थे। जिसका प्रतिशत लगभग 86% था। इसके साथ ही 124 लोग इन मामलों में गंभीर रुप से घायल हुए। इन सारी घटनाओं में 52% घटनाएं अफवाहों के आधार पर थी। इसके अलावा, 2017 में सबसे अधिक घटनाएं हुई। गौ-तस्करी के नाम पर 20 घटनाएं दर्ज की गई। जो 2016 के मुकाबले 75% अधिक थी। साल 2010 के बाद मॉब लिचिंग के मामले में 2017 सबसे बुरा साल रहा।

द क्विंट के अनुसार चार सालों में 133 लोगों की लिचिंग की गई

देश में लगातार बढ़ती मॉब लिचिंग की खबरों के बीच द क्विंट ने एक सर्वे किया। जिसमें 2015 से लेकर 2019 तक की मॉब लिचिंग की घटनाओं को शामिल किया गया था। इस घटना में 133 लोगों की लिचिंग के दौरान मौत हो गई। जिसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम और दलित थे। यह घटनाएं सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में हुई।

घटनाएं कुछ इस प्रकार हैं:

1 – 20 जून 2016 में यूपी के एटा जिले में दो लोगों को बैल चोरी के मामले में बुरी तरह प्रताड़ित किया गया।

2 – 13 जून 2018 को हापुड़ में गाय चोरी और गौ हत्या के मामले में 38 वर्षीय कसीम को बुरी तरह पीटा गया जिसके कारण उसे गहरी चोट आई। कसीम के साथ 65 वर्षीय शमुउद्दीन को गहरी चोटे लगी। जबकि पुलिस ने बाद में गाय चोरी की बात को खारिज कर दिया था।

3 – 2 अगस्त 2017 को आगरा के मंतुई गांव में 65 वर्षीय मनदेवी को कथित रुप से लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला। मनदेवी को एक महिला की चोटी काटने के संदेह में लिचिंग का शिकार होना पड़ा।

4 – 17 नवंबर 2018 को मऊ में गौ तस्करी के शक में लोगों ने एक शख्स को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। उसके बाद उसे पुलिस थाने में कई घंटों तक बैठाकर रखा गया, और समय से उसका इलाज नहीं हो पाने के कारण उसकी मौत हो गई।

5 – 11 मई 2017 को कुछ लोगों को जानवारों का चमड़ा निकलने के शक में अलीगढ़ में पीटा गया।

मारे गए लोगों के परिवार वालों का दर्द

द क्विंट के अनुसार, साल 2015 में भीड़ द्वारा मारे गए अखलाक की मां का कहना है कि हम पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। हमें कभी एहसास नहीं हुआ कि हम अकेले हैं। लेकिन उस दिन जब यह घटना हुई। हमारे पड़ोसी में से कोई हमें बचाने के लिए नहीं आया।

मरियम खातूम के पति की बजरंग दल वालों ने लिचिंग कर दी। मरियम कहती है कि, बजरंग दल के लोगों को ऐसी सजा दी जाएं ताकि किसी पर अटैक करने से पहले वह 10 बार सोचे।

मॉब लिचिंग को कम करने के लिए झारखंड ने बनाया कानून

बहुत सारे लोग होंगे जो झारखंड के तरबेज अंसारी को नहीं भूलेंगे। यहां भी भीड़ ने एक युवक को पीट-पीटकर मार डाला। भीड़ द्वारा युवक से बार-बार जय श्री राम के नारे लगाये जाने के लिए कहा जा रहा था। लेकिन जब उसने ऐसा नहीं किया तो चोरी के इल्जाम में उसे बिजली के पोल से बांधकर रातभर पीटा गया। हालांकि, अगली सुबह पुलिस ने मामले के कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। घटना के पांच दिन बाद तरजेब अंसारी की मौत हो गई। इस बात की चर्चा पूरे देश में हुई।

पिछले कुछ सालों में झारखंड में लगातार मॉब लिचिंग की घटनाएं लगातार हो रही हैं। संसद में पीएम मोदी ने इस बार चर्चा करते हुए कहा था कि, ऐसी घटनाओं के लिए हमें झारखंड को बदनाम नहीं करना चाहिए बल्कि दोषियों पर कारवाई हो। झारखंड में भाजपा की सरकार के दौरान मॉब लिचिंग की लगभग 10 घटनाएं हुई, जिसमें 18 लोग मारे गए जिसमें से 11 मुसलमान थे।

मॉब लिचिंग की बढ़ती घटनाओं के देखते हुए हेमंत सोरेन सरकार ने साल 2021 में मॉब लिचिंग के खिलाफ विधानसभा में कानून पारित किया। लेकिन इस कानून के बाद भी मॉब लिचिंग की घटनाएं कम नहीं हुई है। साल की शुरुआत में ही झारखंड के गिरीडीह में एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।

द प्रिंट की एक खबर के अनुसार, भले ही झारखंड की स्थापना आदिवासी बहुल राज्य के आधार पर हुई है, और यहां 26% आदिवासी रहते हैं। फिर भी मॉब लिचिंग की घटनाओं में आदिवासी शामिल नहीं हैं। खबर के अनुसार, जिन जगहों में मॉब लिंचिग की ज्यादा घटनाएं हुई हैं, वहां भाजपा के नेताओं का प्रभाव ज्यादा है, और यहां दूसरे अन्य जातियों के लोग अधिक हैं।

India spend के एक सर्वे के अनुसार, हर तीसरे पुलिसवालों को लगता है कि गौहत्या के मामले में भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा "स्वाभाविक" है। झारखंड में ऐसे मामलों की संख्या सबसे अधिक 66% है। दूसरे नंबर पर 63% के साथ मध्यप्रदेश है, तीसरे नंबर पर 57% के साथ कर्नाटक और चौथे स्थान पर 52% के साथ आंध्र प्रदेश राज्य है।

गौहत्या के मामले में 57% मुस्लिमों, 9% दलितों और 9% अन्य हिंदुओं के साथ गाय के नाम पर हिंसा किया गया। मारे गए लोगों में 74% मुस्लिम थे और 20% हिंदू (दलितों सहित) थे।

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