इम्फाल। चुराचांदपुर चलोगे...? 'अरे वहां कौन मरने जाएगा, गोलियां चल रहीं हैं वहां!' इम्फाल में किसी भी सामान्य ऑटो चालक, रिक्शा चालक, विंगरवैन चालक से पूछने पर आपको यही जवाब मिलेगा। साथ ही यह एडवाइज भी जरूर मिल जाएगी कि अगर चुराचांदपुर जाना है तो किसी पांगल मुस्लिम ड्राइवर के साथ जाना।
इम्फाल शहर के निवासी आरिफ के पास एक स्विफ्ट डिजायर कार है। जब से प्रदेश में हिंसा की घटना सामने आई तब से आरिफ प्रदेश के सबसे संवेदनशील जगह चुराचांदपुर के कई चक्कर लगा चुके हैं। इसमें कई मीडियाकर्मियों को चुराचांदपुर जिले में प्रवेश करना भी शामिल है।
चुराचांदपुर जाकर वहां के हालात पता करने के लिए इम्फाल शहर के स्थानीय लोग और जिस होटल में द मूकनायक टीम रुकी थी उसके मालिक ने चुराचांदपुर जाने के लिए हमें किसी मुस्लिम ड्राइवर ले जाने का सुझाव दिया।
जब आरिफ से द मूकनायक की टीम ने चुराचांदपुर ले चलने के लिए कहा तो वह तैयार हो गए. हिंसा प्रभावित तनावग्रस्त रास्ते और उसके जोखिम व राजधानी से लगभग 63 किमी पहाड़ी में जाने के लिए उन्होंने किराया 8,000 रुपए बताया। हालाँकि, हमने वहां जाने के लिए खुद जोखिम उठाया और हम वहां लोकल कई वाहनों और सुरक्षा बलों के सहयोग से चुराचांदपुर जा पाए.
राजधानी इम्फाल से मोयरोंग खोयोल कैथेल बाजार, फिर यहां से PHOUGAKCHAO POLICE STATION, बस यहीं तक कोई भी सामान्य वाहन चालक आपको आगे जाने के लिए छोड़ सकता है। इसके आगे बढ़ने की हिम्मत न तो किसी वाहन चालक को है, और न ही सुरक्षाबल किसी सामान्य (गैर कुकी) वाहन चालक को आगे जाने की अनुमति देगा। मतलब स्पष्ट शब्दों में कहें तो सुरक्षा बलों की यह मौन स्वीकृती होती है कि आगे जाने के लिए वाहन चालक या तो मुस्लिम हो या कुकी।
चुराचांदपुर की ओर बढ़ने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा इसलिए भी लोगों को रोका जा रहा है, क्योंकि आगे दर्जन भर से ज्यादा सुरक्षा बलों के चेकपोस्ट बनाए गए हैं। इसमें 2-4 चेक पोस्ट बीच-बीच में आपको ऐसे भी मिलेंगे जो खुद कुकी लोगों के हैं। आने-जाने वाले वाहनों को वह खुद रुकवाकर इस बात की जांच पड़ताल करते हैं कि वाहन में बैठा हुआ व्यक्ति अथवा महिला कौन है, और कहां-किस काम से जा रही है? संतोषजनक जवाब मिलने के बाद ही आपको आगे जाने दिया जाएगा।
रास्ते में लगभग प्रत्येक चेकपोस्ट पर इक्का-दुक्का आने वाले वाहनों में बैठे लोगों से सिर्फ यही सवाल पूछा जा रहा है कि, "आप मैतेई तो नहीं"? उसके बाद आपके सरकारी आईडी कार्ड देखे जाएंगे, वाहन के डिटेल चेकपोस्ट के रजिस्टर में नोट होंगे और वाहन चालक की एंट्री उसके हस्ताक्षर के साथ होगी, उसके बाद ही आपकी गाड़ी आगे बढ़ेगी। यह प्रक्रिया लगभग कई बार पूरे रास्ते होती है।
चुराचांदपुर जाने के लिए सिर्फ मुस्लिम ड्राइवर ही क्यों? द मूकनायक के सवाल पर इम्फाल शहर के निवासी बासिर (25) बताते हैं कि, "मैतेई और क्रिश्चियन (कुकी समुदाय) के बीच की इस लड़ाई में हम नहीं हैं, इसलिए हमें दोनों ओर जाने का रास्ता दिया जा रहा है।"
“हम ज्यादा लोग नहीं हैं न [हमारी जनसंख्या अधिक नहीं है], हम कुकी के साथ रहेंगे तो मैतेई मार डालेंगे। मैतेई के साथ रहेंगे तो कुकी लोग मार डालेंगे। इसलिए हम किसी की तरफ से कुछ भी नहीं बोलते”, बासिर ने कहा.
इम्फाल में My Kangla Tours & Travels कैब सर्विस चलाने वाले एक कर्मचारी ने द मूकनायक को बताया कि “हमारे पास कई गाड़ियां हैं, लेकिन चुराचांदपुर जाने के लिए हम मुस्लिम ड्राइवर ही भेजते हैं.” उन्होंने चुराचांदपुर जाने का किराया 7,000 रुपए बताया।
एक तरफ जहां मुख्यधारा की मीडिया में मुस्लिमों के खिलाफ नकारात्मक माहौल बनाया जाता रहा है और बीजेपी शासित राज्यों में मुस्लिमों पर अत्याचार के बहुतेरे मामले सामने आए हैं वहीं मणिपुर में मुस्लिमों के खिलाफ यह मामला एकदम उलट है. यहां पर, वह मुस्लिम ही हैं जो दो तनावग्रस्त क्षेत्रों में लोगों को लाने-ले जाने के लिए सेतु की भूमिका में हैं. एक दूसरे के बिल्कुक भी पसंद न करने वाले कुकी और मैतेई के बीच किसी तीसरे को आने-जाने के लिए सिर्फ मुस्लिम ड्राइवर ही सहारा बना है.
कुकी और मैतेई के बीच तनाव इतना बढ़ गया है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी भी है तो वह गैर समुदाय बाहुल्य क्षेत्रों में जाने से परहेज कर रहा है. द मूकनायक टीम को चुराचांदपुर से लौटने के लिए कोई साधन नहीं मिला। जिसके बाद हमने चुराचांदपुर डीसी (डिप्टी कमिश्नर) से मुलाकात कर उस पार जाने के लिए सुरक्षा बलों के सहयोग की मांग की. चुराचांदपुर डीसी धारून कुमार ने हमें अपने एक कर्मचारी को स्कोर्ट से चुराचांदपुर के बाहर संवेदनशील जहग पर लगाये गए चेकपोस्टों पर छोड़ने का निर्देश दिया। हालाँकि, चुराचांदपुर से बाहर जाते समय कुकी लोग हमारे साथ के सरकारी वाहन को भी रोककर हमारे पहचान की पूछताछ किये। हम जिस सरकारी वाहन में थे उसका चालक कुकी समुदाय से था. उसने कांगवाय तक ही हमें छोड़ने की बात कही. उसने हमें रास्ते में बताया कि वह भले ही सरकारी वाहन का चालक है लेकिन उसे मैतेई लोग देखकर गोलियां चला सकते हैं, इसलिए वह और आगे नहीं जा सकता।
यहां यह उल्लेखनीय है कि तनाव का आलम यह है कि कुकी और मैतेई समुदाय एक दूसरे को आमने-सामने तक देखना पसंद नहीं कर रहे हैं. दोनों समुदायों के टकराव कभी भी कहीं भी हो सकता है. इस बीच किसी भी ओर का कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्र से बाहर गैर समुदाय बाहुल्य क्षेत्रों में बिल्कुल नहीं जा रहा. इस बीक सिर्फ मुस्लिम ड्राइवर ही हैं जो उस व्यक्ति को एक दूसरे एरिया में ले जा सकते हैं जिसका किसी भी समुदाय से कोई विवाद नहीं है.
राज्य में मुस्लिम आबादी 2022 और 2023 का डेटा तो अभी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है लेकिन इसके पहले के आंकड़े बताते हैं कि मणिपुर राज्य में हिंदू बहुसंख्यक हैं। मणिपुर की 41.39% आबादी हिंदू धर्म से है। मणिपुर राज्य के 9 में से 4 जिलों में कुल मिलाकर हिंदू बहुसंख्यक धर्म है। मणिपुर में मुस्लिम आबादी कुल 28.56 लाख में से 2.40 लाख (8.40 प्रतिशत) है। जबकि, मणिपुर में ईसाई आबादी कुल 28.56 लाख में से 11.79 लाख (41.29 प्रतिशत) है।
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