मुस्लिम संपत्तियों का गैरकानूनी विध्वंस, जिसे 'बुलडोजर न्याय' के रूप में प्रचारित किया गया, क्रूर और भयावह है: एमनेस्टी रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया कि देश के कम से कम पांच राज्यों में “अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ घृणा अभियान” के रूप में जेसीबी-ब्रांडेड बुलडोजर या खुदाई करने वाली मशीनों का व्यापक उपयोग होता है।
देश में 'बुलडोजर कार्रवाई' को नागरिकों के एक वर्ग के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा रहा है।
देश में 'बुलडोजर कार्रवाई' को नागरिकों के एक वर्ग के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा रहा है।द मूकनायक।
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नई दिल्ली। हाल के दिनों में देश में 'बुलडोजर कार्रवाई' को नागरिकों के एक वर्ग के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा रहा है। भाजपा-शासित राज्यों में लगातार राज्य सरकारों ने ज्यादातर मुस्लिम नागरिकों को बुलडोजर से निशाना बनाया और उनकी संपत्तियों को नष्ट कर दिया। वहीं, इस कार्रवाई को बीजेपी नेताओं और मीडिया द्वारा 'बुलडोजर न्याय' के रूप में प्रचारित किया गया।

इस बीच मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को जेसीबी बुलडोजर और अन्य मशीनों के उपयोग के माध्यम से मुसलमानों के घरों, व्यवसायों और पूजा स्थलों के व्यापक "गैरकानूनी विध्वंस" को तुरंत रोकने का आह्वान किया।

संगठन ने दो रिपोर्ट जारी की हैं जिनमें मुस्लिम समुदाय के लोगों की संपत्तियों के ‘‘दंडात्मक विध्वंस’’ का दस्तावेजीकरण किया गया है।

बुधवार (7 फरवरी) को संगठन ने दो रिपोर्ट- ‘इफ यू स्पीक अप, योर हाउस विल बी डेमॉलिश्ड: बुलडोज़र इनजस्टिस इन इंडिया’ (अगर आप आवाज़ उठाएंगे, तो आपका घर गिरा दिया जाएगा: भारत में बुलडोजर अन्याय) और ‘अनअर्दिंग एकाउंटेबिलिटी: जेसीबीज़ रोल एंड रेस्पॉन्सिबिलिटी इन बुलडोज़र इनजस्टिस इन इंडिया’ (भारत के बुलडोजर अन्याय में जेसीबी की भूमिका और जिम्मेदारी) जारी की।

रिपोर्ट में कहा गया कि देश के कम से कम पांच राज्यों में “अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ घृणा अभियान” के रूप में जेसीबी-ब्रांडेड बुलडोजर या खुदाई करने वाली मशीनों का व्यापक उपयोग होता है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने केंद्र और राज्य सरकारों से आह्वान किया कि वे न्यायेतर दंड के रूप में लोगों के घरों को ध्वस्त करने की वास्तविक नीति को तुरंत रोकें और यह सुनिश्चित करें कि जबरन बेदखली के परिणामस्वरूप कोई भी बेघर न हो।

एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव एग्न एस कैलामार्ड ने चिंता जताते हुए कहा, “भारतीय अधिकारियों द्वारा मुस्लिम संपत्तियों का गैरकानूनी विध्वंस, जिसे राजनीतिक नेताओं और मीडिया द्वारा 'बुलडोजर न्याय' के रूप में प्रचारित किया गया, क्रूर और भयावह है। इस तरह का विस्थापन और बेदखली बेहद अन्यायपूर्ण, गैरकानूनी और भेदभावपूर्ण है। वे परिवारों को नष्ट कर रहे हैं - और उन्हें तुरंत रुकना चाहिए।”

उन्होंने कहा “नफरत, उत्पीड़न, हिंसा और जेसीबी बुलडोजर के हथियारीकरण के लक्षित अभियानों के माध्यम से, अधिकारियों ने बार-बार कानून के शासन को कमजोर किया है, घरों, व्यवसायों या पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया है। इन मानवाधिकारों के हनन को तत्काल संबोधित किया जाना चाहिए।”

एमनेस्टी के शोध निष्कर्षों के मुताबिक़, अप्रैल और जून 2022 के बीच, भाजपा शासित असम, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश और आम आदमी पार्टी (आप) शासित राज्य दिल्ली सहित पांच राज्यों में अधिकारियों ने तोड़फोड़ अभियान चलाया। सामूहिक हिंसा या उनके खिलाफ प्रणालीगत भेदभाव की घटनाओं के बाद मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सजा के तौर पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की।

रिपोर्ट के अनुसार, विध्वंस के 128 प्रलेखित मामलों में से 63 की गहन जांच के बाद, संगठन ने पुष्टि की है कि पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और वृद्धों सहित कम से कम 617 लोग बेघर हो गए या अपनी आजीविका से वंचित हो गए।

देश में 'बुलडोजर कार्रवाई' को नागरिकों के एक वर्ग के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा रहा है।
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