दिल्ली: मंदिर में चढ़ाए गए प्रसाद को उठाने पर मुस्लिम की मॉब-लिंचिंग का क्या है पूरा मामला, पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट

गणेश मूर्ति के पास चढ़ाए गए प्रसाद को उठाकर खा लेने के बाद मुस्लिम युवक को कथित हिन्दू लड़कों की भीड़ ने खम्भे से बांधकर पीटा। पिटाई की वजह से युवक की मौत. आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार ने न्याय की गुहार लगाई। लोगों ने बताया कि युवक मानसिक रूप से बीमार था.
मोबाइल में मृतक इशाक (24) की फाइल फोटो दिखाती एक स्थानीय महिला.
मोबाइल में मृतक इशाक (24) की फाइल फोटो दिखाती एक स्थानीय महिला. फोटो साभार- मीर
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नई दिल्ली। बीते मंगलवार को मुस्लिम युवक मोहम्मद इशाक (22) की कथित हिन्दू लड़कों की भीड़ द्वारा बर्बरता से पिटाई के बाद मौत होने से नन्द नगरी क्षेत्र के सुन्दर नगरी के निवासियों में घटना को लेकर गुस्सा और कई सवाल हैं. इशाक के घर के ठीक सामने रहने वाली रुखसार (25) ने कहा कि “एक केले के लिए कोई इतना मारता है कि जान चली जाए?”

नई दिल्ली का चर्चित इलाका नंद नगरी, उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले और शाहदरा जिले दोनों का प्रशासनिक मुख्यालय है। थाना नन्द नगरी के सुन्दर नगरी क्षेत्र निवासी इशाक की 26 सितम्बर, मंगलवार की रात गणपति महोत्सव के पंडाल में चढ़ाए गए केले को उठाकर खा लेने के कारण कथित हिन्दू युवकों की भीड़ ने खम्भे में बांधकर किसी मोठे डंडे से बेरहमी से पिटाई की. जिससे दूसरे दिन सुबह इशाक की मौत हो गई. इस घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल है. वीडियो में देखा जा सकता है कि लड़कों की भीड़ इशाक को एक खम्भे में बांधकर क्रूरता से पीट रही है. इशाक दर्द से चिल्ला रहा है.

सुन्दर नगरी, 205 पुलिया का कब्रिस्तान के निकट घनी बस्ती में एक कमरे के मकान में इशाक का परिवार रहता है. इशाक के बाद उसके परिवार में अब उसकी चार बहनें - इमराना (28), मियाब (23), समरीन (18), हुमा (15), और उनके पिता अब्दुल वाजिद (60) हैं।

इशाक का पूरा परिवार सिर्फ एक कमरे के घर में रहता है. जबकि इशाक को गणेश मूर्ति पर चढ़ाए गए प्रसाद को उठा लेने पर पीट-पीटकर मार डाला गया.
इशाक का पूरा परिवार सिर्फ एक कमरे के घर में रहता है. जबकि इशाक को गणेश मूर्ति पर चढ़ाए गए प्रसाद को उठा लेने पर पीट-पीटकर मार डाला गया. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

इशाक के घर पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने बताया कि इशाक की मानसिक हालत ठीक नहीं थी. पड़ोस में रहने वाली रुखसार बताती हैं कि इशाक की मां का लगभग 10 साल पहले इंतकाल हो गया था. इशाक के पिता फल बेचने के लिए ठेला लगाते हैं और कभी-कभी मजदूरी करते हैं. “मंदिर में चढ़ाए प्रसाद में केले को उठा लिया था. उस इतने से केले के प्रसाद की क्या औकात है. उसको लेने से इतना मारा जाता है. वो (आरोपी) उसे (इशाक) पुलिस को दे देते”, रुखसार इशाक की बेरहमी से पिटाई पर नाराजगी जताते हुए कहती है, “इस मुहल्ले में किसी को पता नहीं चला. सुबह को जब पता चला तब इशाक को पड़ोसी बेहोसी की हालत में उठाकर लाए. बेहोशी में ही उसने दम तोड़ दिया।”

इशाक के घर के सामने की गली जहाँ उसके घर के सामने लोगों की भीड़ है.
इशाक के घर के सामने की गली जहाँ उसके घर के सामने लोगों की भीड़ है. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

रुखसार ने बताया कि इशाक का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं था, लेकिन वह कभी किसी को परेशान नहीं करता था. “कोई पांच रूपया दे देता तो उसका कूड़ा फेंक आता था. कोई 10 रुपए दे देता तो वह घर मकान बनाने वालों के साथ काम करता, मलबा हटा देता था. ऐसे ही उसका दिन बीतता था. कभी कोई उसे मार देता था तो वह कुछ कहता भी नहीं था,” रुखसार ने द मूकनायक को बताया। 

एक कमरे के जर्जर घर में इशाक की बहनें अपने भाई की मौत के गम में बैठीं हुईं हैं. घटना के बाद घर पर कई पत्रकारों का आना-जाना लगा है. इशाक की बड़ी बहन इमराना रुआंसी होकर द मूकनायक से कहती है कि “सुबह से भाई की मौत के बारे में बताते-बताते गला सूख गया है!!” 

इशाक की चारों बहनों में अभी तक किसी की शादी नही हुई है. गरीबी की यह हालत है कि परिवार में कोई पढ़ाई भी नहीं कर पाया है.
इशाक की चारों बहनों में अभी तक किसी की शादी नही हुई है. गरीबी की यह हालत है कि परिवार में कोई पढ़ाई भी नहीं कर पाया है. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

“मेरे भाई के साथ बहुत बुरा हुआ. सुबह को 4-5 बजे पता चला कि भाई के साथ ऐसा हुआ है. बाजार के हिन्दू लड़कों ने उसे मारा है. हमें इन्साफ चाहिए। मारने वालों को सजा मिले”, इमराना ने बताया कि इशाक हम बहनों के बीच एकलौता भाई था. वह कभी-कभी बेलदारी का काम भी करता था. पापा ठेला लगाते हैं. 

इशाक के घर पहुंचे अन्य मीडियकर्मियों ने इशाक के परिवार की मदद के लिए परिवार में से किसी का बैंक डिटेल मांगा लेकिन इशाक के परिवार में किसी के भी पास बैंक खाता ही नहीं था. इसके अलावा इशाक के परिवार में कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं है. बहनें कभी स्कूल नहीं गईं, क्योंकि परिवार में इशाक के पिता के अलावा कमाने वाला कोई नहीं था.

इशाक के पिता अब्दुल वाजिद बताते हैं कि सुबह 4 बजे घर के सामने का एक लड़का उस जगह से गुजर रहा था जहां इशाक पड़ा हुआ था. इशाक ने लड़के को आवाज दी कि ‘मुझे बहुत मारा है, मुझे रिक्शे पर लादकर ले चलो’. “वहां से उस लड़के ने इशाक को लादकर घर लाया। रास्ते में कुछ और लोगों ने मिलकर इशाक को मेरे दरवाजे तक छोड़ दिया। मैं ठेला लेकर गया हुआ था, जब यह सब पता चला तब घर लौट आया”, इशाक के पिता वाजिद ने बताया। 

इशाक के घर की छत का वह जगह जहां इशाक सोता था.
इशाक के घर की छत का वह जगह जहां इशाक सोता था. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

“साढ़े 6 बजे मैं घर पहुंचा तो देखा मेरा लड़का खत्म हो चुका था. उन लोगों ने उसे इसलिए मारा कि कैसे गणेश की मूर्ति पर चढ़े प्रसाद पर मुसलमान का बच्चा हाथ डाल दिया। लोगों ने उसे चोर समझ कर मारा। उसे खम्भे से बांध कर 15 - 20 जनों ने मिलकर मारा,” अब्दुल वाजिद ने द मूकनायक को बताया। 

“लोगों ने उसे इतना मारा की वह उठ भी नहीं पा रहा था. किसी ने उन लोगों (आरोपियों) को समझाया कि इसे कितना मारोगे। तब जाकर उसे खम्भे से खोलकर छोड़ दिया गया. उसके हाथ पर, पीठ पर चोट के निशान थे. उसके नाख़ून निकाल दिए गए थे. सिर्फ प्रसाद के लिए”, इशाक के पिता अब्दुल वाजिद ने बताया कि, “मैंने 100 नंबर पर कॉल किया तब पुलिस पहुंची। इसके बाद कई पुलिस के अधिकारी आए. सभी ने बेटे के कपड़ों को हटा कर देखा कि उसे कितना मारा गया है. फिर पुलिस पोस्टमार्टम के लिए ले गई.”

इशाक के पिता अब्दुल वाजिद हिन्दू धर्म के धार्मिक स्थल और उसके प्रसाद का सम्मान करते हैं. लेकिन उन्हें दुःख है कि उनके एकलौते बेटे की पीट पीटकर हत्या सिर्फ प्रसाद उठाने के कारण कर दी गई.
इशाक के पिता अब्दुल वाजिद हिन्दू धर्म के धार्मिक स्थल और उसके प्रसाद का सम्मान करते हैं. लेकिन उन्हें दुःख है कि उनके एकलौते बेटे की पीट पीटकर हत्या सिर्फ प्रसाद उठाने के कारण कर दी गई. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

वाजिद ने बेटे के आरोपियों के नाम - मनोज, सोनू, मोनू और ऋतिक बताया। 

वाजिद बताते हैं कि हम भले ही मुसलमान हैं लेकिन अगर एक हिन्दू हमें बुलाकर मंदिर का प्रसाद देता है तो उसे हम खा लेते हैं, क्योंकि जैसे अल्लाह का प्रसाद वैसे भगवान का भी प्रसाद है. हम बुरा नहीं मानते कि वह हिन्दू का दिया हुआ प्रसाद है. लेकिन मेरे बेटे को सिर्फ प्रसाद उठाने के लिए इतना मारा कि वह मर गया. यह ठीक नहीं है. “मेरे पास पैसे भी नहीं हैं. एक ठेला है उसी पर फल बेचता हूँ. 11 हजार रुपए का ठेला बनवाया था, लेकिन अगर बेच देता हूँ तो सिर्फ 3-4 हजार रुपए ही मिलेंगे।”

वाजिद ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के रामपुर तहसील के रहने वाले हैं. वह सुन्दर नगरी में बीस सालों से रह रहे हैं. वह यहां ठेले पर फल बेचकर परिवार का पेट भरते हैं. वह बताते हैं कि इतने पैसे नहीं कमा पाता हूँ कि बेटियों को पढ़ा पाऊं। 

इशाकके अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले स्थानीय निवासी इसरार (50) सवाल करते हुए कहते हैं कि, “इशाक के शव को 3 बजे मिट्टी दी गई. रिश्तेदारों को इशाक का चेहरा दिखाते हुए देखा था कि उसके पैरों में चोट के निशान थे. उसकी पीठ पर भी घाव थे. मुंह फूटा हुआ था. एक गरीब और मजदूर आदमी के लड़के को मार कर क्या मिला?” 

इशाक को जहां दफ़नाय गया वहां शाम के समय इकत्रित हुए लोग. इसरार (दाएं), नदीम (बाएं).
इशाक को जहां दफ़नाय गया वहां शाम के समय इकत्रित हुए लोग. इसरार (दाएं), नदीम (बाएं).फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

इशाक को जिस कब्रिस्तान में दफनाया गया था द मूकनायक की टीम वहां भी पहुंची। इशाक के कब्र के पास मौजूद स्थानीय निवासी नदीम (45) इस घटना को मुस्लिम समाज के लिए बहुत दर्दनाक बताते हैं. “बच्चा मेंटली ठीक नहीं था. उसको इतनी समझ नहीं थी कि वह कहां से प्रसाद उठा रहा है. आज कल ये जो हिन्दू मुस्लिम के बीच जहर फैलाया गया है यह उसी का नतीजा है. एक मुस्लिम कैसे प्रसाद छू लिया इसके लिए उसे इतना मारा की वह मर गया,” नदीम ने कहा कि अगर उसने कोई गलती की थी तो उसको पुलिस के हवाले करना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. 

मामले में कानूनी कार्रवाई के बारे में जानकारी के लिए द मूकनायक टीम थाना नन्द नगरी भी पहुंची। थाने में घटना का जिक्र करते हुए जानकारी मांगी गई तो एक पुलिसकर्मी ने “रिजवान सर से बात करने” के लिए कहा. द मूकनायक टीम थाने में आधे घंटे तक पुलिस अधिकारी रिजवान का इन्तजार किया लेकिन वह नहीं आए. उनके ऑफिस का कमरा खुला था, कुर्सी खाली थी. इस दौरान थाने के ही एक पुलिसकर्मी से उनका मोबाइल नंबर मांगा तो पुलिसकर्मी ने यह कहते हुए नंबर नहीं दिया कि “वह अभी आते ही होंगे”.

थाना नन्द नगरी पर कोई ऐसा पुलिसकर्मी उपस्थित नहीं था जो इशाक की मोब लिंचिंग पर कर्रवाई की जानकारी दे सके.
थाना नन्द नगरी पर कोई ऐसा पुलिसकर्मी उपस्थित नहीं था जो इशाक की मोब लिंचिंग पर कर्रवाई की जानकारी दे सके. फोटो- राजन चौधरी, द मूकनायक

थाने के एक पुलिस अधिकारी के कमरे में आने वाले एक अन्य पुलिस अधिकारी विरेन्द्र सिंह ने हमसे आने का कारण पूछा तो हमने उक्त मामले पर जानकारी मांगी। पुलिस अधिकारी ने सिर्फ इतना जवाब दिया कि, “सीनियर ऑफिसर से पूछिए!! हम मामले को इन्वेस्टीगेट कर रहे हैं, उसे रिवील नहीं कर सकते।”

द मूकनायक ने डीसीपी, उत्तर पूर्वी से भी सीयूजी नंबर पर संपर्क किया लेकिन फोन स्विच ऑफ़ था. इसके अलावा एडिशनल डीसीपी प्रथम, उत्तर पूर्वी से भी द मूकनायक ने संपर्क किया लेकिन उन्होंने उस पुलिस अधिकारी से मामले पर बात करने के लिए कहा जो प्रेस को सूचनाएं देते हैं, लेकिन उनका भी फोन बंद था.

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