जयपुर। प्रदेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों में शामिल मुसलमानों का तालीमी और आमदनी का दायरा सीमित है। अर्थिक और शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों का पिछड़ापन जग जाहिर है। वर्ष 2005 में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने भारत में मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायधीश राजिंदर सच्चर के नेतृत्व में सात सदस्य समिति का गठन किया था। सच्चर समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद देश में मुसलमानों की आर्थिक और शैक्षिक स्थिति ने सबको चौंका दिया था, ये अलग बात है कि समिति की रिपोर्ट पर अमल नहीं किया गया।
माना जाता रहा है कि देश का मुसलमान आर्थिक पिछडेपन के कारण ही शिक्षा में पिछड़ता चला गया। आज भी शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों की स्थिति दयनीय है। आर्थिक और शैक्षिक स्तर से पिछड़े मुस्लिमों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार प्रयासरत है। यह बात अलग है कि जब कभी मुसलमानों के शैक्षिक विकास की बात होती है, तो एक राजनीतिक पार्टी विरोध में उतर आती है। ये सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करने से भी नहीं चूकते। बीते दिनों से जयपुर शहर में एक अल्पसंख्यक छात्रावास को लेकर एक विचारधारा और पार्टी विशेष के लोग विरोध कर रहे हैं।
प्रदेश भर में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालन के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अल्पसंख्यक समुदाय के विद्यार्थियों के लिए जयपुर शहर में राजकीय अल्पसंख्यक अंग्रेजी माध्यम आवासीय विद्यालय खोलने की घोषणा की है। जयपुर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शकील अहमद ने बताया कि जयपुर में 200 स्टूडेंट्स की क्षमता वाला आवासीय विद्यालय होगा। भवन निर्माण के लिए 15.15 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शकील अहमद ने बताया कि कक्षा एक से 12वीं तक के इस आवासीय विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण अध्ययन के लिए कई सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजकीय अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय के लिए 15.15 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति जारी की है। इस वित्तीय वर्ष में एक करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यह राशि अल्पसंख्यक समावेशी विकास कोष से व्यय होगी। यहां दो सौ से अधिक विद्यार्थी होने पर डे-स्कॉलर के रूप में अध्ययन कर सकेंगे। इस विद्यालय के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदाय के जरुरतमंद और प्रतिभावान विद्यार्थियों को निशुल्क आवासीय सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के विद्यार्थियों को बेहतर तालीम मुहैया करवाने के लिए राज्य सरकार विभिन्न जिलों में छात्रावास खोलने जा रही है। साथ ही जयपुर के मानसरोवर में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास और जोधपुर में अल्पसंख्यक नागरिक सुविधा केंद्र बनाया जाएगा।
सवाईमाधोपुर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मनोज मीणा ने बताया कि राजस्थान सरकार ने अल्पसंख्यकों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विभिन्न आवासीय व छात्रवृति योजनाएं शुरू की है। अल्पसंख्यकों को इन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छात्रावास और आवासीय विद्यालयों की स्थापना सहित अल्पसंख्यक विकास कोष की राशि 200 करोड़ रुपए करने और वर्ष 2022-23 में अनुमोदित प्रगतिरत कार्यों को कोष के तहत कार्य कराए जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।
जयपुर में किशनपोल में बालिका अल्पसंख्यक छात्रावास, दूदू में बालिका, नागौर के कुचामन सिटी में बालिका वर्ग के लिए छात्रावास खोले जाएंगे। इसी तरह बारां, भरतपुर, बीकानेर, अजमेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़ और चूरू में 50-50 बैड के छात्रावास बनाए जाएंगे। इनमें कुल 28 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन छात्रावासों में कक्षा 9 से लेकर महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थी प्रवेश ले सकेंगे।
अल्पसंख्यक समुदाय का शिक्षा का स्तर सुधारने के साथ ही मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अुनसार जयपुर के मानसरोवर क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय की कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल भी बनाया जाएगा। यह हॉस्टल सौ बैड क्षमता का होगा। विभिन्न जिलों से जयपुर में आकर कार्य करने वाली अल्प-पारिश्रमिक प्राप्त अल्पसंख्यक महिलाओं को इस हॉस्टल में आवासीय सुविधा में प्राथमिकता दी जाएगी। इस हॉस्टल पर सरकार 10 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
इसी तरह जोधपुर में 12.60 करोड़ रुपए की लागत से अल्पसंख्यक नागरिक सुविधा केंद्र बनेगा। यहां अल्पसंख्यकों से संबंधित सभी योजनाओं की जानकारी मिलेगी। केंद्र में प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन होगा। विद्यार्थियों और आमजन के प्रोत्साहन के लिए गोष्ठियां भी आयोजित हो सकेंगी।
आपकों को बता दे कि इससे पूर्व भी राजस्थान सरकार ने एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स राजस्थान (चैप्टर) के प्रदेश महासचिव मुजम्मिल इस्लाम रिजवी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में जो भी प्रयास किये हैं हम उसका स्वागत करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की कागजी घोषणाएं पहले से होती रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अमल नहीं हुआ है। कांग्रेस सरकार ने जयपुर शहर में अल्पसंख्यक छात्रावास के लिए पूर्व में भी घोषणा की थी, बाद में भूमि आवंटन भी किया, लेकिन चंद लोगों के विरोध के बाद सरकार ने आवंटन निरस्त कर दिया। अल्पसंख्यक छात्रावास को मुस्लिम छात्रावास बताकर धार्मिक माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया गया।
रिजवी ने द मूकनायक को बताया कि 2005 में बनी सच्चर कमेटी ने 2006 में मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का आवलोकन कर सरकार को रिपोर्ट सौंपी। अब तक सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर अमल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार योजनाओं को कागज़ से धरातल पर उतारने का काम करें। केवल घोषणाओं से किसी वर्ग का विकास नहीं हो सकता।
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