केंद्र सरकार का दावा- मणिपुर राहत शिविरों में रह रहे बच्चे और महिलाओं को आंगनवाड़ी केंद्रों से जोड़ा

पिछले साल अगस्त में द मूकनायक की टीम ने मणिपुर से ग्राउंड रिपोर्ट में बताया था कि राहत शिविरों में रह रहीं गर्भवती महिलाएं और नवजात बच्चों को किन मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.
मणिपुर के मोयरोंग स्थित खोयोल कैथेल के एक रिलीफ कैम्प में खेलते बच्चे.
मणिपुर के मोयरोंग स्थित खोयोल कैथेल के एक रिलीफ कैम्प में खेलते बच्चे.फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
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नई दिल्ली: संसद में शुक्रवार को दिए गए बयान के अनुसार, सरकार ने मणिपुर के शरणार्थी शिविरों में रहने वाले 6,000 से अधिक बच्चों और 1,000 से अधिक महिलाओं को नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्रों से जोड़ा है।

मणिपुर में विस्थापित महिलाओं और बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने चल रहे सहायता उपायों का विवरण दिया।

मंत्री ने सदन को बताया कि वर्तमान में पूर्वोत्तर राज्य के शरणार्थी शिविरों में छह महीने से छह साल की उम्र के 6,164 बच्चे, 2,638 किशोरियाँ, 232 गर्भवती महिलाएँ और 753 स्तनपान कराने वाली माताएँ रह रही हैं। इन व्यक्तियों को 271 नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की सहायता के लिए बनाई गई योजना में, पहली बार गर्भवती होने वाली 103 माताओं को नामांकित किया गया है।

इनमें से 70 महिलाओं को 3,000 रुपए की पहली किस्त मिली है, जबकि 33 को 2,000 रुपए की दूसरी किस्त मिली है। इसके अलावा, दूसरी बार बेटी पैदा करने वाली 53 महिलाओं को 6,000 रुपए दिए गए हैं।

मंत्री ने 359 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (AWW) और 268 आंगनवाड़ी सहायकों (AWH) के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, जो राहत शिविरों में अस्थायी आंगनवाड़ी सेवाएँ प्रदान करने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं, ताकि विस्थापित आबादी की ज़रूरतें पूरी हो सकें।

आपको बता दें कि पिछले साल मई में शुरू हुए जातीय हिंसा के बाद से पूरे राज्य में अफरा तफरी का माहौल है. ऐसे में आज एक साल बाद भी हजारों की संख्या में निवासी अपने मूल स्थान को छोड़कर राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं. पिछले साल अगस्त में द मूकनायक की टीम ने मणिपुर से ग्राउंड रिपोर्ट में बताया था कि राहत शिविरों में रह रहीं गर्भवती महिलाएं और नवजात बच्चों को किन मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

कुकी-जो क्षेत्रों में बने राहत शिविरों के लोगों का आरोप था कि उन्हें भोजन व राशन उपलब्ध कराने में राज्य सरकार भेदभाव कर रही है. द मूकनायक ने अपने ग्राउंड रिपोर्ट में भी बताया था कि कैसे मणिपुर के चुराचांदपुर में स्थित राहत शिविरों में रह रहे लोगों के बीच जरुरी और जीवन रक्षक दवाओं की किल्लत थी.

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