हल्द्वानी हिंसा : कब तक पटरी पर लौटेगी जिंदगी ?

इस घटना को लगभग एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है। इन त्योहारों में हल्द्वानी में पिछले साल तक जो रौनक बाजार में थी, वह रौनक इस बार नहीं है। हिंसा के बाद काफी सारे लोगों के रोजगार छिन गए हैं। द मूकनायक ने ऐसे ही कुछ लोगों से बात की और उनकी समस्या जानने की कोशिश की।
हल्द्वानी..
हल्द्वानी..द मूकनायक.
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नैनीताल। हल्द्वानी के बनभूलपुरा में मदरसे पर बुलडोजर एक्शन को लेकर 8 फरवरी को हिंसा भड़क गई थी। देखते ही देखते पूरा इलाके में दंगा भड़क गया था। इस हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल भी हुए थे। सैकड़ों गाड़ियां आग के हवाले कर दी गई थीं, जिसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया था। दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए थे।

इस घटना को लगभग एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है। इन त्योहारों में हल्द्वानी में पिछले साल तक जो रौनक बाजार में थी, वह रौनक इस बार नहीं है। हिंसा के बाद काफी सारे लोगों के रोजगार छिन गए हैं। द मूकनायक ने ऐसे ही कुछ लोगों से बात की और उनकी समस्या जानने की कोशिश की। द मूकनायक ने वहां के बहुत से दुकानदारों से, व्यापारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन ज्यादातर लोगों ने बात करने से मना कर दिया। जिनसे बात हुई उन लोगों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कुछ जानकारी दी।

द मूकनायक ने स्थानीय निवासी से बात की। उन्होंने कहा कि "बनभूलपुरा इलाके में 90% मुस्लिम रहते हैं। यहाँ इनकी दुकान, पटरी आदि सभी कारोबार चलते हैं। इस समय यहाँ बाज़ार में रौनक़ रहती है क्योंकि यह रमजान का समय है। लेकिन अभी हाल ऐसा है कि इलाके के लोग जल्द सब निपटाकर, अपने घर चले जाते हैं। काफी डर का माहौल है। लोग काफी कम समय के लिए अपनी दुकान खोलते हैं। जिससे उन्हें मुनाफा भी कम ही हो रहा है। 11 बजे रात तक पूरे इलाके में सन्नाटा छा जाता है। पुलिस रोज गिरफ्तारी कर रही है। कुछ बेगुनाह भी हैं जिनको पुलिस गिरफ्तार कर रही है।”

उनका कहना है कि कुछ व्यापारी, दुकानदार तो यहां से जा भी चुके हैं। इस समय जो गरीब हैं, चाहे वह मुसलमान हो, या हिंदू हो, या कोई और धर्म के हो, इस समय वह सब इतने घबराए हुए हैं कि लोग किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। हर जगह इतनी अफवाह फैली हुई है कि जिससे यहां बाजार, व्यापार पर असर पड़ रहा है।

पहले जैसी चहल-पहल नहीं

द मूकनायक ने हल्द्वानी की एक दुकान में काम करने वाले रमेश (बदला हुआ नाम) से बात की वह बताते हैं कि "जिस समय कर्फ्यू लगा हुआ था उस समय चाहे व्यापारी हो या पटरी वाले या रेहड़ी वाले, सभी लोग परेशान थे। क्योंकि उस समय काफी समय तक बाजार बंद था इसलिए कुछ व्यापारियों ने प्रशासन से बात की। दुकान खोलने के लिए उन्होंने प्रशासन से मदद मांगी। उसमें मुस्लिम व्यापारी भी थे, और हिंदू व्यापारी भी थे। फिर धीरे-धीरे सब शुरू भी हुआ, लेकिन अभी तक शहर के किसी भी कोने में पहले जैसी चहल-पहल अब देखने को नहीं मिल रही है। पहले जैसे ग्राहक अब नहीं आ रहे हैं, कुल मिलाकर यहां पर व्यापार करने वाले व्यापारियों पर इस हिंसा का बहुत असर पड़ रहा है।”

जनसम्मेलन का आयोजन किया गया

बनभूलपुरा की दुर्भावनापूर्ण घटना के बाद बिगड़ी कानून व्यवस्था व उत्पीड़न को सामान्य करने व शान्तिपूर्ण माहौल बनाने के लिए राज्य के सामाजिक-राजनीतिक संगठन लगातार सरकार से अनुरोध कर रहे हैं। अभी भी पुलिस प्रशासन द्वारा भयमुक्त वातावरण बनाकर जनता को राहत, रिपोर्टिंग का अधिकार, घायलों को समुचित उपचार की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

जन सम्मेलन में मांग की गई कि बनभूलपुरा हिंसा के बाद रोजगार छिन गए, घायल, गिरफ्तार लोगों के परिजनों को कानूनी मदद प्रशासन स्वयं करे और किसी भी किस्म की मदद करने जा रहे लोगों को प्रताड़ित करना बंद किया जाए।

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