गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में किन्नरों की कलश यात्रा को देखकर लोग दंग रह गए। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार यह कलश यात्रा हर वर्ष धूमधाम से निकाली जाती है। इस मान्यता के अनुसार किन्नर का यह समुदाय देवी की उपासना करते हैं। इस दौरान देवी से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें अगले जन्म में पूर्ण रूप से लड़की बनाये।
इस आयोजन को लेकर ट्रांसजेंडरों का अपना अलग विचार है। कानपुर क्वीर फाउंडेशन के अनुज बताते हैं, ऐसे कार्यक्रमों में यह किन्नर समुदाय बाहर के किसी व्यक्ति को अपने में सम्मिलित नहीं करता है। इसका मुख्य कारण उनके रीति-रिवाज और कथित धार्मिक अनुष्ठान भी हैं। हलांकि ट्रांसजेंडरों को लेकर सामाजिक असहजता भी इसका मुख्य कारण है।
दरअसल,गाजियाबाद की सड़कों पर पहली बार एक साथ दर्जनों लग्जरी गाड़ियां देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। इन गाड़ियों के काफिले में कोई बड़े नेता या व्यापारी का नहीं, बल्कि किन्नर समाज के लोग थे। गाजियाबाद के मालीवाडा चौक में भारतीय किन्नर समाज सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में देश भर के हजार से भी ज्यादा किन्नर हिस्सा लेते हैं और अपने समाज से जुड़े मुद्दों पर विचार -विमर्श करते हैं।
किन्नरों के इस सम्मेलन में किन्नरो को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। सभी किन्नर अपने कथित देवी की उपासना करते हैं। रात में अलग-अलग राज्यों की झांकी भी किन्नरों के द्वारा प्रस्तुत की जाती है। अखिल भारतीय किन्नर समाज की अध्यक्ष बबली किन्नर के अनुसार हर वर्ष किन्नर समाज इकट्ठा होता है। हमारा काम समाज को आशीर्वाद देना होता है।
इस सम्मेलन के दौरान कलश यात्रा निकाली जाती है।यह यात्रा मालीवाड़ा चौक से गाजियाबाद के सिद्ध पीठ देवी मंदिर तक निकाली गई। देवी मंदिर पर जो दुल्हन बनाकर किन्नर युवती पहुंची थी, उन्होंने मां देवी से आशीर्वाद लिया और शहर की शांति के लिए प्रार्थना की। किन्नर इस दौरान देवी से अगले जन्म में एक सामान्य महिला की तरह जन्म लेने की मन्नत मांगती हैं।
किन्नरों की इस यात्र में महंगी गाड़ियां शामिल थी। काफिले में बीएमडब्ल्यू, रोल्स-रॉयस, ऑडी, मर्सिडीज़, लैंबॉर्गिनी और कई विंटेज गाड़िया शामिल थी। किन्नरों के इस जत्थे को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। मौके पर पुलिस प्रशासन भी काफी मुस्तैद रहा। गाड़ियों के साथ ही बैंड -बाजे के साथ किन्नर थिरकते हुए भी दिखे।
किन्नरों द्वारा कथित देवी की उपासना कर अगले जन्म में किन्नर न बनने के पीछे की वजह जानने के लिए द मूकनायक ने कानपुर क्वीर फाउंडेशन से बातचीत की। कानपुर क्वीर फाउंडेशन के संस्थापक व निर्देशक अनुज पांडे बताते हैं-'किन्नरों द्वारा इस तरह की मन्नत मांगना उनके अंदर छिपी भावना को बताता है।
इसका मुख्य कारण किन्नर समुदाय को उनके जीवन में होने वाली समस्याएं भी है। एक किन्नर अपने जीवन में विभिन्न चुनौतियों से होकर गुजरता है। जन्म से लेकर अंतिम समय तक एक किन्नर को विभिन्न तरह के मानसिक दबाव भी सहने पड़ते हैं। यह एक आम जिंदगी से अधिक कठिन होता है। हर क्षेत्र में किन्नर समुदाय के साथ भेदभाव और अलग दृष्टि से देखा जाता है। इस कारण कोई भी ऐसे जीवन को दोबारा जीने में हिचकिचाता है, इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से खुद को संतुष्ट करने की कोशिश करता है।
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