राजस्थान: ट्रांसजेंडर नूर को मिला जयपुर के प्रतिष्ठित महारानी कॉलेज में दाखिला, प्रवेश के लिए क्यों करना पड़ा संघर्ष?

कॉलेज में ट्रांसजेंडर विद्यार्थी को पाकर सहपाठी छात्राओं में उत्साह, कॉलेज स्टॉफ भी सकारात्मक माहौल उपलब्ध कराने के लिए हुआ प्रतिबद्ध।
राजस्थान: ट्रांसजेंडर नूर को मिला जयपुर के प्रतिष्ठित महारानी कॉलेज में दाखिला, प्रवेश के लिए क्यों करना पड़ा संघर्ष?
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जयपुर। ट्रांसजेंडर जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के बाद चर्चा में आई नूर शेखावत को लंबे संघर्ष के बाद आखिर शुक्रवार को जयपुर के प्रतिष्ठित महारानी कॉलेज में दाखिला मिल गया। नूर ने ऑनलाइन प्रवेश शुल्क जमा करवा कॉलेज में प्रवेश की औपचारिक कार्रवाई पूरी की। परिसर में सहपाठी छात्राओं ने नूर का गर्मजोशी से स्वागत किया। हालांकि यहां तक की यात्रा नूर के लिए आसान नहीं थी, इसके लिए उन्हें खासी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

इस अवसर पर नूर शेखावत ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा, "मेरा सपना साकार हो गया। मैं आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन मेरा जेंडर मेरी पढ़ाई में बाधा बन रहा था। मुझे खुशी है कि मेरे संघर्ष ने ट्रांसजेंडर की नई पीढ़ी के लिए राह आसान कर दी है। अब उन्हें अपने जेंडर के साथ शिक्षा पाने से कोई नहीं रोक पाएगा।"

आप को बता दें कि जयपुर निवासी नूर जन्म से पुरुष थीं, लेकिन वह महिला के रूप में अपने को सहज पाती थीं। इसके चलते उन्होंने अपना लिंग परिवर्तन कराया था। वे अपने जेंडर की पहचान के साथ उच्च शिक्षा हासिल करना चाहती थीं, लेकिन उनको किसी भी शिक्षा संस्थान में प्रवेश नहीं मिल रहा था। इसका बड़ा कारण शैक्षिक व अन्य दस्तावेजों में उनका जेंडर मेल होना था, लेकिन वह ट्रांसजेंडर की पहचान से आगे शिक्षा पाना चाहती थीं। जेंडर शिक्षा में बाधा बना तो उन्होंने सबसे पहले अपने आधार कार्ड में जेंडर बदलवाया।

नूर शेखावत ने कहा, "मन में अपने जेंडर की पहचान के साथ उच्च शिक्षा पाने की ठान चुकी थी, लेकिन दस्तावेजों में जेंडर बदलवाना चुनौती भरा काम था। सरकारी कार्यालयों में आधार कार्ड में नाम व जेंडर बदलवाने की बात करती तो कर्मचारी बहाना बनाकर वापस कर देते। कुछ लोगों ने इस काम में उनकी मदद भी की और सही राह भी दिखाई।"

नूर ने इस संबंध में उच्चाधिकारियों से मुलाकात कर समस्या का हल निकालने का प्रयास किया। सबसे पहले संबंधित विभाग से गजट नोटिफिकेशन जारी हुआ। इसका बहुत लम्बा प्रोसिजर फॉलो करना पड़ा। फिर एक बार में केवल नाम बदला गया। इसके बाद उसी प्रोसिजर को फॉलो कर जेंडर बदला गया। फिर फोटो बदली गई। इसके बाद आधार कार्ड में माता-पिता का नाम हटा कर केयर टेकर का नाम लिखा गया। नूर बताती हैं कि आधार कार्ड का प्रोसिजर पूरा करने तक वह हताश हो चुकी थीं, लेकिन आंखों में उच्च शिक्षा के सपने ने फिर हिम्मत दी।

नूर ने आगे बताया, "आधार कार्ड में परिवर्तन के बाद ट्रांसजेंडर जन्म प्रमाण पत्र भी बनवाया। बाद में मूलनिवास, राशन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राविंग लाइसेंस, पासपोर्ट भी ट्रांसेजेंडर की पहचान के साथ बने। इन सब दस्तावेजों के बाद राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 10वीं और 12वीं की मार्कशीट में नाम व जेंडर बदलवाना मुश्किल था। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर कार्यालय के कई चक्कर लगाए। तब जाकर मार्कशीट में नाम व जेंडर बदला पाया। इसके बाद महारानी कॉलेज में प्रवेश के लिए आवेदन किया। यहां भी ट्रांसजेंडर के लिए स्पष्ट आदेश नहीं होने का हवाला देकर प्रवेश रोका गया, लेकिन आखिर में संघर्ष की जीत हुई।"

नूर के संघर्ष के बाद अब राजस्थान के ढाई लाख ट्रांसेजेंडर के लिए राह आसान हो गई है। नूर ने द मूकनायक से कहा, "मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि जो संघर्ष किया। उसी का नतीजा है कि राजस्थान में अब ट्रांसजेंडर के आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र व अन्य दस्तावेज बनने लगे हैं, लेकिन अभी भी सरकारी स्तर पर बहुत सारी कमियां है, जो ट्रांसजेंडर पर्सन को परेशान करती हैं।"

नूर ने आगे कहा कि इस में कोई शक नहीं कि राजस्थान सरकार ने ट्रांसजेंडर के लिए काफी योजनाएं चलाई है, लेकिन जानकारी व दस्तावेजों के अभाव में ट्रांसजेंडर इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इसको लेकर गत दिवस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर ट्रांसजेंडर की विभिन्न मांगों को लेकर एक पत्र सौंपा है। सीएम ने भरोसा दिलाया है कि मांगों को जल्द पूरा किया जाएगा।

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