पटना। ट्रांसजेंडर कम्युनिटी (Transgender Community) हमेशा ही अपने हकों के लिए लड़ती रहती है। लड़ने के बावजूद और प्रयास करने के बावजूद उनको सफल परिणाम नहीं मिल पाते हैं। बिहार में हुआ जाति सर्वे से ट्रांसजेंडर कम्युनिटी (Transgender Community) ज्यादा खुश नहीं है। सरकार ने गत सोमवार को जातिगत जनगणना के आकंड़े जारी किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 36 फीसदी अति पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा, 19 फीसदी से ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है। रिपोर्ट आने के बाद ट्रांसजेंडर कम्युनिटी (Transgender Community) ने नाराजगी जताई है।
बिहार में जाति सर्वे पर आपत्ति जताने वाली रेशमा प्रसाद से द मूकनायक ने बात की। रेशमा ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट है, जिन्होंने इस रिपोर्ट को फर्जी करार दिया है। उन्होंने द मूकनायक को बताया कि "जिस दिन यह सर्वे जारी हुआ उसे दिन एक मीडियाकर्मी ने फोन किया और बताया कि पूरे बिहार में सिर्फ 825 ट्रांसजेंडर है, जबकि सिर्फ पटना में ही ट्रांसजेंडर कम्युनिटी (Transgender Community) के 1000 से ज्यादा लोग हैं और 825 तो केवल सेक्स वर्कर ही है जो बेचारे रात को रोड पर घूमते रहते हैं। टोल प्लाजा पर भी 150 के करीब ट्रांसजेंडर दिखाई देते हैं जो पैसे मांगने के लिए गाड़ियों के पीछे भागते रहते हैं। ऐसे टोल प्लाजा 45 हैं, जिसमें ट्रांसजेंडर की संख्या 3 हजार के करीब है तो फिर 825 लिखने का क्या मतलब है।"
आगे वह कहती है कि सरकार पता नहीं क्यों हमें काबिल नहीं समझती है। सरकार ट्रांसजेंडर के साथ न्याय नहीं करना चाहती है। सरकार को ट्रांसजेंडर दिखते ही नहीं है अभी तक मेरे घर को ही आईडेंटिफाई नहीं किया गया है और ना ही और ट्रांसजेंडर के घर को आईडेंटिफाई किया गया है। अभी तक आधार नंबर भी नहीं मांगा गया है बिना आधार के कितनी असुविधा होती है। यह सिर्फ ट्रांसजेंडर ही महसूस कर सकते हैं। हमेशा बोला जाता है कि ट्रांसजेंडर्स को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कार्य हो रहे हैं परंतु ऐसा असल में बिल्कुल नहीं हो रहा है।
आगे रेशमा बताती है कि सही डेटा जरूरी है। ट्रांसजेंडर कम्युनिटी (Transgender Community) के लिए सही डेटा जरूरी है। क्योंकि बार-बार हमसे ही पूछा जाता है, कि आपकी संख्या कितनी है जो आपके लिए योजनाएं बनाई जाएं। 1 हजार में 4 लोग ट्रांसजेंडर कम्युनिटी (Transgender Community) के होते हैं। और 8 लाख यहां पर लोगों की संख्या है। हमने इस बात को सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया है कि किस तरह से हमारी आइडेंटिटी को सही तरीके से नहीं देखा जाता है। जो की उचित नहीं है।
बिहार सरकार ने सोमवार को राज्य में कराई गई जातिगत जनगणना के आकंड़ें जारी किए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से थोड़ी ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या बताई गई है.
सोमवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि बिहार सरकार ने जातीय जनगणना का काम पूरा कर लिया है. मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट जारी की. बिहार सरकार ने राज्य में जातिगत जनसंख्या 13 करोड़ से ज्यादा बताई है. अधिकारियों के मुताबिक जाति आधारित गणना में कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई है.
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