नई दिल्ली। सर्द हवा और कम होते तापमान के बीच दो साल बाद दिल्ली क्वीर प्राइड 2022-2023 (Delhi Queer Pride 2022-2023) आयोजित हुई। प्राइड मार्च बाराखंभा रोड से शुरू होकर जंतर-मंतर पर समाप्त हुआ, जिसमें सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए लोगों ने अपनी भागीदारी दी।
समुदाय सदस्य ढोल-नगाड़े की थाप पर नाच के साथ हाथों में क्लिपबोर्ड लेकर अपने हक और अधिकार के लिए अक्षरों को पिरोकर इस मार्च में शामिल हुए। कोरोना के कारण दो साल बाद हुए इस मार्च में लोगों का जोश देखने लायक था, जिसमें शारीरिक रूप से अक्षम लोगों ने भी हिस्सा लेकर अपनी बात रखी।
एम्मी उनसे एक हैं जो इस मार्च में शामिल हुईं। जंतर-मंतर पर एम्मी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें पहले इस तरह के आयोजन के बारे में पता नहीं था। वह कहती हैं मेरी सहेली ने इसके बारे में मुझे बताया था। आज इसमें हिस्सा लेकर पता चला है कि हमें अपने अधिकारों के लिए और सजग होने की जरूरत है।
बाराखंभा से शुरू हुआ मार्च आजादी-आजादी के नारे के साथ जंतर-मंतर में प्रवेश किया, जिसमें समलैंगिक विवाह के साथ अन्य मुद्दों को उठाया गया। लया ने मार्च में हिस्सा लेते हुए क्वीयर लोगों की स्वास्थ्य संबंधी बातों पर प्रकाश डाला। उन्होंने द मूकनायक को बताया कि एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों के लिए सरकार ने भले ही धारा 377 को हटाकर एक सकरात्मक पहल की है, लेकिन अभी भी कुछ चीजें हैं, जिस पर बात होनी चाहिए। सरकार को हमें स्वास्थ्य संबंधी सुविधा देनी चाहिए। यहां तक की पहचान के लिए भी हमें एक लंबा संघर्ष करना पड़ता है। जो लोग थोड़ा पढ़े-लिखे हैं। वह तो नियमों के अनुसार काम करवा लेते हैं। लेकिन जो लोग शिक्षा को ग्रहण नहीं कर पाएं हैं। वो लोग सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र के कठिन स्टेप को पार ही नहीं कर सकते हैं। सरकार को चाहिए की इस नियम को थोड़ा और आसान करें। ताकि लोगों को अपनी पहचान छुपानी नहीं पड़े।
लविस्का यादव, कुकू यादव और पीहू शर्मा तीनों ही अलग-अलग जगहों से आए थे। ये सभी आर्टिस्ट हैं। लविस्का लखनऊ की एक मेकअप आर्टिस्ट हैं। आर्थिक रूप से मजबूत होने के बाद भी लविस्का के अंदर समाज में उन्हें एक सामान्य इंसान की तरह स्वीकार नहीं करने की टीस है। वह बताती हैं कि शुरुआती दिनों में उन्हें घरवालों ने भी स्वीकार नहीं किया था। बाद में धीरे-धीरे चीजें बदली हैं। अब उनका कहना है कि आज लोग हमें स्वीकार नहीं कर रहे हैं। वह बताती हैं कि मैं लंबे समय से मेकअप आर्टिस्ट के तौर पर काम करती हूं। पहले लोग एक मेकअप आर्टिस्ट के तौर पर स्वीकार नहीं करते थे। लेकिन मैंने अपने काम को नहीं छोड़ा। आज बहुत सारे मेरे क्लाइंट हैं। जो मुझसे ही मेकअप कराते हैं।
इस पूरी भीड़ में एक कप्पल ऐसा भी था। जो देश में हिंदू मुस्लिम नरेटिव से दूर अपने प्यार का इजहार कर रहे थे। अमाद खान और मोहन, अमाद हमें बड़े उत्साह के साथ कहते हैं, ही इज माई पार्टनर(यह मेरा साथी है), अमाद और मोहन पिछले चार सालों से एक दूसरे को डेट कर रहे हैं। जब हमने उनसे शादी करने और कुछ समय पहले सांसद सुशील मोदी द्वारा समलैंगिक विवाह को संस्कृति को खतरा बताए जाने पर सवाल किया तो, अमाद ने हमें तुरंत जवाब दिया। “प्यार तो बड़ी खूबसूरत चीज है वो किसी को नुकसान कैसे पहुंच सकता है।” इसलिए मुझे नहीं लगता है कि अगर इसे कानूनी रूप दे दिया जाता है तो किसी को कोई परेशानी होगी।
अलग समुदाय से होने और शादी को लेकर अमाद का परिवार उनके साथ नहीं हैं। वह कहते हैं कि मेरे तो घरवाले ही हमारे रिश्ते को स्वीकार नहीं कर रहे। मैं बाकी लोगों से इस बारे में क्या उम्मीद करुं। वहीं मोहन का अपने रिश्ते को लेकर कहना था कि मेरे घरवालों ने हमारे रिश्ते को स्वीकार कर लिया है। बल्कि वह तो अमाद को बहुत प्यार भी करते हैं। ऐसे में लोग क्या कहते हैं इस बारे में हमें ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।
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