झारखंड: ट्रांसजेंडर के लिए बनेगा बोर्ड, जानिए सरकार के फैसले को लेकर क्या है समुदाय की राय?

राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का समुदाय के लोगों को नहीं मिल रहा लाभ।
झारखंड: ट्रांसजेंडर के लिए बनेगा बोर्ड, जानिए सरकार के फैसले को लेकर क्या है समुदाय की राय?
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रांची। झारखंड में ट्रांसजेंडर्स के उत्थान के लिये बोर्ड का गठन किया जाएगा। साथ ही प्रत्येक जिले में उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी का गठन भी होगा। वर्तमान में ट्रांसजेंडरों को ओबीसी-टू का दर्जा दिया गया है और विभाग उनके उत्थान के लिये एक समेकित योजना तैयार कर रहा है। हाल में महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव कृपानंद झा ने यह जानकारी सार्वजनिक की है।

इस निर्णय को लेकर जमशेदपुर में ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए काम कर रही संस्था 'उत्थान' की सचिव अमरजीत सिंह ने कहा, "सरकार का यह कदम सराहनीय है। हमारी ही एडवोकेसी की बदलौत सरकार ने यह सार्थक कदम उठाया है। हालांकि अभी बहुत काम करने की जरूरत है।"

अमरजीत ने आगे कहा, "झारखंड में ट्रांसजेंडर समुदाय को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार विशेष वर्ग को 1 हजार रुपए की पेंशन देती है, लेकिन बहुत सारे लोगों के ट्रांसजेंडर कार्ड (टीजी कार्ड) नहीं बने होने से उनको योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।"

ट्रांसजेंडर सरकार की प्राथमिकता में नहीं

एक अन्य ट्रांसजेंडर नूर बानो ने कहा, "सरकार की तमाम योजनाएं है, इनसे समुदाय के लोगों का कैसे जुड़ाव हो इसके लिए सरकार कभी प्रचार-प्रसार नहीं करती है। सरकारी कर्यालयों में भी लोग अलग-अलग दस्तावेज की मांग करते है।" नूर की बात का समर्थन करते हुए अमरजीत कहती है कि हमारा एनजीओ पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, सरायकिला खसवा व रांची जिलों में काम करता है। हमने निजी स्तर पर समुदाय के बीच में टीजी कार्ड को लेकर जागरूकता फैलाई तब जाकर ट्रांसपर्सन के कार्ड बने, जबकि सरकार की ओर से जागरूकता को लेकर कोई भी प्रयास नहीं किया गया।

महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग के अनुसार, झारखंड में 2011 में करीब 11,900 ट्रांसजेंडर थे। वर्तमान में इनकी संख्या करीब 14,000 हो गयी है। हालांकि अमरजीत इस संख्या को 50 हजार के करीब होने का दावा करती हैं।

इधर, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग सचिव ने बताया कि विभागीय स्तर पर सामाजिक उत्थान की दिशा में काफी काम हो रहे हैं। सर्वजन पेंशन योजना के तहत राज्य में कुल नौ योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें तीन योजनाएं केन्द्र पोषित हैं तथा 6 योजनाएं राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पेंशनधारियों को ससमय लाभान्वित किया जा सके, इसके लिये सरकार ने अलग से 100 करोड़ का रिवॉल्विंग फंड का इंतजाम किया है। चार वर्षों में राज्य के पेंशनधारियों में 82 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 2023 में आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम के तहत कुल 6 लाख 56 हजार से ज्यादा पेंशन के आवेदन प्राप्त हुए हैं। 50 से 60 आयु वर्ग की एससी-एसटी एवं महिलाएं भी वृद्धावस्था पेंशन के लिए पात्र होंगी। अतिरिक्त लाभार्थी की अपेक्षित संख्या लगभग 18 लाख है।

विभागीय सचिव ने बताया कि राज्य में सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के तहत किसी कारणवश ड्रॉप आउट हो रही बच्चियों को प्रोत्साहित करने के लिए और उन्हें शिक्षित बनाने के लिए 2023-24 में अब तक 6 लाख 21 हजार लाभार्थियों को योजना से आच्छादित किया गया है। वहीं बीते 2022-23 में 7 लाख 28 हजार से ज्यादा बच्चियों एवं किशोरियों को लाभान्वित किया गया था। बता दें कि सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना में जिनकी पहली 2 संतान बेटियां हैं, उनको मानदंडों में छूट दी गई है।

कृपानंद झा ने बताया कि राज्य में कुल 378 हजार 432 आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 6850 केन्द्रों को सक्षम आंगनबाड़ी केन्द्र के रूप में विकसित किया जायेगा। साथ ही 29 हजार से ज्यादा सेविकाओं को स्मार्ट मोबाइल उपलब्ध कराया जाएगा।

विभाग द्वारा 10 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन का निर्माण डीएमएफटी-सीएसआर फंड के तहत कराने की योजना है। साथ ही केन्द्रों में एलपीजी सिलेंडर, वाटर प्यूरीफायर और स्मार्ट टीवी आदि जैसी सुविधा दी जायेंगी। मानदेय को लेकर कहा कि आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए 9500 रुपए प्रतिमाह तथा सहायिकाओं के लिये 4750 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया है। इसके अलावा प्रतिवर्ष क्रमशः 500 रुपये और 250 रुपए मानदेय वृद्धि का प्रावधान भी किया गया है। सेविकाओं और सहायिकाओं की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है। सेविकाओं और सहायिकाओं को सुविधा देने के साथ केन्द्रों में प्रदाय सेवाओं को ज्यादा प्रभावकारी बनाने का प्रयास भी विभाग की ओर से किया जा रहा है। मातृ किट वितरण की योजना सरकार ने शुरू की है। साथ ही सेनेटरी नैपकिन का भी वितरण किया जाएगा।

महिला कल्याण के लिए भी विभाग बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। राज्य में विधवा पुनर्विवाह पर सरकार की ओर से दो लाख रुपए की आर्थिक राशि उपलब्ध कराई जायेगी। साथ ही चालू वित्तीय वर्ष में 11 हजार 880 कन्याओं को विवाह पर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गयी है। राज्य में 6 लाख गर्भवती महिलाओं को लाभान्वित करने के लिये योजना शीघ्र प्रारंभ करने की कार्रवाई की जा रही है। वहीं बाल कल्याण के तहत विषम परिस्थितियों में रह रहे बच्चों के संरक्षण और देखभाल के लिये बच्चों को 4 हजार रुपए प्रति बच्चा स्पॉन्सरशिप उपलब्ध कराया जा रहा है। अब तक यह लाभ 4 हजार 497 बच्चों को दिया जा चुका है। विधि के उल्लंघन में लिप्त बच्चों के मामलों के निपटारा हेतु सृजित किशोर न्याय बोर्ड को बढ़ाकर 26 किया गया है, ताकि ऐसे मामलों में उचित एवं त्वरित निबटान किया जा सके।

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