स्वीडन में जेंडर चेंज कराना हुआ आसान, जानिए कैसे?

इसकी जरूरत तब पड़ती है जब किसी लड़के को लगता है कि वह लड़की जैसा महसूस कर रहा है या कोई लड़की लड़के जैसा महसूस करती है। ऐसे में वे अपना लिंग चेंज करवा सकते हैं।
दिल्ली क्वीर प्राइड
दिल्ली क्वीर प्राइड फोटो- द मूकनायक
Published on

स्वीडन की संसद ने एक कानून पारित किया है जिसमें कानूनी रूप से लिंग परिवर्तन के लिए न्यूनतम आयु 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है। साथ ही सर्जिकल हस्तक्षेप तक पहुंच आसान हो गई है। स्वीडन की 349 सीटों वाली संसद में यह कानून पक्ष में 234 और विपक्ष में 94 वोटों से पारित हुआ।

क्या बदलाव लाएगा नया कानून?

नया कानून अगले साल से लागू होगा, इसके तहत नेशनल बोर्ड ऑफ हेल्थ और वेलफेयर से अप्रूवल के साथ-साथ डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक के साथ एक छोटा कंसलटेशन काफी होगा। रिपोर्ट के मुताबिक नया कानून जेंडर चेंज सर्जरी जैसी मेडिकल प्रक्रियाओं से लीगल जेंडर चेंज प्रोसेस को अलग कर देगा.

दक्षिणपंथी पार्टियों ने किया विरोध

बुधवार को स्वीडन की संसद में इस कानून पर मतदान हुआ, जिसमें 234 सांसदों ने कानून के पक्ष में मतदान किया। वहीं 94 सांसदों ने इसका विरोध किया और 21 सांसद मतदान से अनुपस्थित रहे। स्वीडन की सरकार के उदारवादी नेता और पार्टियां इस कानून का समर्थन कर रही हैं। वहीं कुछ ईसाई डेमोक्रेट्स इसका विरोध कर रहे हैं। स्वीडन की दक्षिणपंथी पार्टी मानी जाने वाली स्वीडन डेमोक्रेट्स ने भी कानून का विरोध किया। ये पार्टी सरकार को समर्थन दे रही है, लेकिन सरकार का हिस्सा नहीं है।

सेक्स रिसाइनमेंट सर्जरी के आखिरी चरण में चल रहीं नूर शेरावत द मूकनायक को बताती हैं, "कि बिल्कुल स्वीडन ने यह बहुत ही अच्छा फैसला लिया है। क्योंकि कम उम्र में इस सर्जरी को करवाने के बहुत सारे फायदे होते हैं। 15 से 16 उम्र के आसपास ही हार्मोन में बदलाव आने लगते हैं। अगर शुरू में ही इस सर्जरी को करवा लिया जाए तो शरीर इसको बहुत जल्दी स्वीकार कर लेता है। यह स्वास्थ्य के तौर पर बहुत ही लाभकारी होगा। हमारे देश में भी ऐसे बदलाव होने चाहिए।"

"भारत में भी इसे लेकर खबरें आती रहती हैं। हालांकि ऐसा करना आसान नहीं है। जेंडर चेंज कराने की प्रक्रिया भी बहुत जटिल होती है और इसमें काफी पैसे भी खर्च होते हैं। इसके लिए कई तरह के डॉक्यूमेंट्स भी मांगे जाते हैं। वहीं हमारा समाज जेंडर चेंज कराने वालों पर कई तरह के सवाल भी उठाता है और उन्हें एक अलग ही नजरिए से देखा जाता है। भारत में जेंडर चेंज कराने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है," उन्होंने कहा.

किसी भी शख्स चाहे वह महिला हो या पुरुष, उसे जेंडर चेंज कराने की जरूरत तब पड़ती है जब उसके जन्म के लिंग से उसकी पहचान का कोई मेल नहीं होता है। जब उसे लगता है कि वह इस लिंग के साथ सहज महसूस नहीं कर रहा है। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब किसी लड़के को लगता है कि वह लड़की जैसा महसूस कर रहा है या कोई लड़की लड़के जैसा महसूस करती है। ऐसे में वे अपना लिंग चेंज करवा सकते हैं। इसके लिए कानून इजाजत देता है। खबरों के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 5 हजार लोग अपना जेंडर चेंज करा रहे हैं। अब यह बहुत आम बात हो गई है। 

जर्मनी ने भी बनाया कानून

पिछले शुक्रवार को जर्मन सांसदों ने इसी तरह के कानून को मंजूरी दे दी जिससे ट्रांसजेंडर, इंटरसेक्स और नॉन-बाइनरी लोगों के लिए सीधे रजिस्ट्री कार्यालयों में आधिकारिक रिकॉर्ड में अपना नाम और लिंग बदलना आसान हो गया.

दिल्ली क्वीर प्राइड
महाराष्ट्र: दलित पीएचडी स्कॉलर के निलम्बन पर बोले छात्र- "अभिव्यक्ति की आजादी का हनन कर रहा TISS"
दिल्ली क्वीर प्राइड
मध्य प्रदेश: ग्रीन बेल्ट में 600 से ज्यादा कब्जे, एनजीटी के निर्देश के बाद भी धीमी कार्रवाई
दिल्ली क्वीर प्राइड
एमपी: बेटे की चाह में मार रहे बेटियां, ग्वालियर-चंबल अंचल में लिंगानुपात की स्थिति गड़बड़ाई!

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com