उत्तरकाशी टनल हादसाः अंदर मजदूर तो बाहर डटे हैं परिजन

परिजनों ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण व स्थानीय प्रशासन पर लगाया आरोप-"हादसे की नहीं दी सूचना", 2 दिनों में बाहर आ सकते हैं टनल में फंसे मजदूर.
उत्तरकाशी टनल हादसाः अंदर मजदूर तो बाहर डटे हैं परिजन
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग ढहने से फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। रेस्क्यू में जुटी एजेंसियों को सोमवार को बड़ी सफलता मिली। मजदूरों को पहली बार दाल, खिचड़ी भेजी गई। 6 इंच चौड़ी पाइप के जरिए बोतल में भरकर मजदूरों के लिए ये खाना भेजा गया। इधर, घटना के बाद से मौके पर मौजूद परिजनों ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण व स्थानीय प्रशासन पर हादसे की सूचना समय से परिजनों को नहीं देने के आरोप लगाए हैं।

इसी बीच सुरंग के अंदर का वीडियो भी पहली बार सामने आया है। इसमें देखा जा सकता है कि मजदूर किन हालात में सुरंग में रह रहे हैं। इस दौरान रेस्क्यू में जुटे अधिकारियों ने वॉकी टॉकी के जरिए मजदूरों से बात भी की।

परिजनों में आक्रोश

इन सारी परिस्थितियों को जानने के लिए द मूकनायक ने टनल के बाहर डटे हुए एक परिजन से बात की जिनके भाई पुष्कर हरि अंदर 41 मजदूर में से एक है। वह उत्तराखंड के चंपावत जिले के निवासी हैं। बाहर खड़े उनके भाई का नाम चंचल है। चंचल ने द मूकनायक से बात करते हुए बताया कि जब से यह हादसा हुआ है तब से हम यही हैं। अंदर दो मजदूर हमारी ही तरफ के हैं और बाकी सारे मजदूर दूसरी जगह के हैं। उनका नाम गब्बर नेगी है। यहां पर सभी परेशान है। लेकिन पहले के मुताबिक अब काफी राहत है। क्योंकि प्रशासन की ओर से हमें बताया जा रहा है कि अगले दो दिन में मजदूर सकुशल बाहर निकाल लिए जाएंगे, इसलिए हम आशान्वित हैं।

मजदूरों के फंसे होने की जानकारी नहीं दी गई

चंचल बताते हैं कि हमें किसी ने इस बारे में नहीं बताया, ना ही जिस कंपनी में हमारा भाई था। उस कंपनी की तरफ से हमें कोई भी जानकारी दी गई। पुष्कर के एक दोस्त जो उनके साथ मजदूर हैं। उन्होंने हमें पुष्कर के टनल में फंसे होने की जानकारी दी। तब हम तब से हम यहीं पर हैं।

आगे चंचल बताते हैं कि शुरुआत में तो हमें कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। फिर मशीनों की खराबी कभी कुछ और चीजों की वजह से यहां पर घबराहट का माहौल भी बन गया था। पहले 2 इंच के पाइप से हम अपने भाई से बात कर पा रहे थे। उस समय प्रशासन के प्लान भी फेल हो रहे थे, तो महसूस हो रहा था कि पता नहीं क्या होगा।

2 दिन तक टनल के बाहर ही थे

चंचल आगे बताते हैं कि 2 दिन तक हम टनल के बाहर ही थे। प्रशासन की तरफ से दो दिन तक कोई व्यवस्था नहीं थी। परंतु दो दिन के बाद यहां पर परिजनों के लिए थोड़ी दूरी के होटल में व्यवस्था करवाई गई। अब हम वहीं पर रह रहे हैं। शुरू से ही मजदूरों को निकालने के लिए कार्य तेजी से चल रहा है। प्रशासन हर तरह से कोशिश कर रहा है जिससे मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा सके।

काफी दिनों के बाद परिवार के लोग सेटिस्फाई हुए हैं उनको अब जाकर भरोसा हुआ है प्रशासन पर। क्योंकि परिवार में थोड़ी घबराहट तो होती है। जब उनका कोई परिजन ऐसी परिस्थितियों में हो , फिलहाल सब ठीक है। हमारे साथ फंसे हुए और भी मजदूरों के परिजन यहां पर हैं। जल्दी ही सभी मजदूर बाहर निकाल लिए जाएंगे।

2 दिनों में बाहर आ सकते हैं टनल में फंसे मजदूर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने कहा कि अमेरिकी ऑगर ड्रिलिंग मशीन मजदूरों को रेस्क्यू करने के लिए पहले से ही काम में जुटी हुई हैं, यह अभी सबसे अच्छा विकल्प है. उन्होंने कहा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने में 15 दिन तक लग सकते हैं। शुक्रवार दोपहर को ड्रिलिंग मशीन एक कठोर चट्टान के पार चली गई, जिस वजह से कंपन शुरू हो गया था। जिसके बाद सुरक्षा कारणों से बचावकर्मियों को अभियान रोकना पड़ा था। अनुराग जैन ने कहा कि उन्होंने पांच अन्य एक्शन प्लान तैयार करके रखे हैं, लेकिन उनमें 15 दिन तक का समय लग सकता है।

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