उत्तरकाशी सुरंग हादसा: फंसे 41 मजदूरों के स्वास्थ्य जोखिम पर क्या कहते हैं डॉक्टर?

उत्तरकाशी में 41 मजदूरों को बचाने के लिए अब पांच विकल्पों पर हो रहा है काम.
सुरंग के बाहर खड़े बचावकर्मी और अधिकारियो की टीम
सुरंग के बाहर खड़े बचावकर्मी और अधिकारियो की टीम फोटो साभार- ABP news
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उत्तराखंड: उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने का काम अभी तक अटका है। दो सप्ताह से भी ज्यादा समय से 41 मजदूर सुरंग में फंसे हैं. हर कोई उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा अब सुरंग के ऊपर से यानी वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ-साथ पांच विकल्पों पर काम किया जा रहा है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने कहा है कि मजदूरों को बाहर निकलने में समय लगेगा। वर्टिकल ड्रिलिंग अभियान अगले 24 से 36 घंटे में शुरू हो सकता है। इसके लिए मशीनों को सुरंग के ऊपरी हिस्से में एक प्लेटफार्म पर रखा जा रहा है। मजदूर तक पहुंचने के लिए 86 मीटर ड्रिलिंग करनी होगी।

सुरंग के भीतर सभी मजदूर ठीक- सीएम धामी

धामी ने कहा कि सुरंग के भीतर सभी मजदूर ठीक हैं। उनसे बात हुई है। सारा ध्यान उन्हें बाहर निकलने पर केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा है, कि बेहद कठिन और चुनौती पूर्ण माहौल में रेस्क्यू चल रहा है। अब नई परिस्थिति में वर्टिकल ड्रिलिंग समेत रेस्क्यू के पांचो विकल्पों पर विचार चल रहा है। मशीन को बाहर निकालने के बाद टंनल में मैन्युअल रिस्क पर काम चलेगा।

द मूकनायक ने इस मामले पर डॉक्टर विवेक अग्रवाल से बात की। डॉक्टर विवेक अग्रवाल लखनऊ के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख हैं। वह बताते हैं कि, "आप अपने ऊपर ही लेकर सोचिए कि अगर हम ऐसी परिस्थितियों में फंसे हो तो हमारी मानसिक दशा कैसी होगी। हमें वहां पर कितनी घबराहट महसूस हो सकती है। क्योंकि ना वहां पर हवा है ना धूप है ना और कुछ हो, ऐसे में वह मजदूर बहुत ही खराब दशा में होंगे. चाहे कितने भी प्रयत्न किया जा रहे हो, उनको अंदर सही रखने के लिए। मजदूरों ने इतने दिन तक वहां पर रह लिया, वह बहुत ही बहादुरी है। वहां की सरकार बहुत कुछ कर रही है।"

आगे डॉक्टर बताते हैं कि, "अंदर फंसे मजदूरों में कई तरह की बीमारियों का खतरा भी हो सकता है, जैसे- त्वचा संबंधी परेशानियां, मानसिक परेशानियां, घबराहट और भी बहुत कुछ। बाहर आने के बाद उनकी देखरेख करना बहुत ही जरूरी हो जाएगा। जोकि वहां की सरकार ने इसके पूरे इंतजाम कर रखे हैं।"

हाथ से ड्रिलिंग का भी विकल्प- एक्सपर्ट

इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स ने कहा है, मशीन खराब हो गई है। हाथ से ड्रिलिंग यानी मैन्युअल काम करने का भी विकल्प है। उन्होंने कहा हम जो भी विकल्प अपना रहे हैं। उसके अपने फायदे और नुकसान हैं। हमें बचाने वाले और मजदूरों की भी सुरक्षा देखनी है। ड्रिलिंग के काम में ज्यादा समय लगता है। सुरंग के ऊपर तक 1.5 किलोमीटर लंबी सड़क पहले ही बन चुकी है। पहले से ही ऊपर से ड्रिलिंग पर विचार किया जा रहा था। उधर 41 मजदूरों के परिजन धीरे-धीरे धैर्य खो रहे हैं।

25 दिसंबर से पहले निकलना मुश्किल

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलियाई मूल के टनल एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स ने शनिवार को सुरंग में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाहर मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि "अंदर फंसे मजदूर क्रिसमस यानी 25 सितंबर तक अपने घर पर होंगे। यह भी साफ कहा कि अगर जल्दबाजी की गई तो, अंदर मुश्किल ज्यादा बढ़ सकती है। इसलिए पूरी सावधानी बरतनी जा रही है।" उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि "सभी मजदूर सुरक्षित घर आए। डिक्स ने कहा कि रेस्क्यू मिशन की शुरुआत से ही मैंने कभी अपनी तरफ से वादा नहीं किया। कि ऑपरेशन आसान होने वाला है। मैंने यह भी नहीं कहा कि आज रात में हो जाएगा या कल तक हो जाएगा। हां यह जरूर बोला है, कि वह सुरक्षित है।" क्रिसमस यानी 25 दिसंबर की डेडलाइन दिए जाने पर जब सवाल पूछा गया। तो डिक्स ने कहा कि "मुझे यह बिल्कुल नहीं पता कि वह लोग कब बाहर आएंगे। बस हमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। मेरा कहना है कि अब से लेकर और क्रिसमस यानी एक महीने तक का समय लग सकता है।"

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