उत्तर प्रदेश। लखनऊ के वजीरगंज थाना क्षेत्र के रेजीडेंसी गेट के पास सीवर की सफाई के लिए सीवर में उतरे दो सफाईकर्मी जहरीली गैस की चपेट में आ गए। वह अचानक बेसुध होकर सीवर टैंक में गिर गए। दोनों सफाईकर्मियों के बाहर न निकलने पर हड़कंप मच गया। मौके पर मजमा इकट्ठा होने लगा। घटना की सूचना पुलिस को दी गयी। घटना की सूचना पाकर पुलिस और एनडीआरएफ सहित मेडिकल टीम मौके पर पहुंच गई। काफी मशक्कत के बाद दोनों सफाईकर्मियों को सीवर से बाहर निकालकर उपचार के लिए ट्रामा सेंटर भेजा गया। दोनों की मौत हो गयी है।
मिली जानकारी के मुताबिक़ वजीरगंज थाना क्षेत्र के रेजीडेंसी गेट के पास सीवर सफाई का काम चल रहा था। इस दौरान दो सफाईकर्मी सोबरन यादव (55) और उसके पुत्र सुशील यादव (32)
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने संसद को बताया कि इस साल 20 नवंबर तक सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान 49 मौतें दर्ज की गईं। उन्होंने कहा सबसे ज्यादा मौतें राजस्थान में हुईं, उसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात रहा। उन्होंने कहा कि 2018 से देश में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई। मंत्री ने सांसद के सवाल पर बताया कि 2018 में जहां 76 मौतें हुईं, वहीं 2019 में 133, 2020 में 35, 2021 में 66, 2022 में 84 और इस साल 20 नवंबर तक 49 मौतें दर्ज की गईं।
बीते अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद, 1993 के बाद से सीवर और सेप्टिक टैंक से होने वाली मौतों के 1,248 मामलों में से इस साल मार्च तक 1,116 मामलों में मुआवजे का भुगतान किया गया। हालांकि, 81 मामलों में मुआवजे का भुगतान अभी भी लंबित है।
सीवर सफाई के दौरान अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार मानकों की अनदेखी ही करते हैं। सीवरों की सफाई के दौरान सफाईकर्मी को बिना मास्क और सुरक्षा बेल्ट के ही चैंबर में उतार दिया जाता है। साथ ही चैंबर में सफाईकर्मी को उतारने से पहले वहां मौजूद गैस के प्रभाव की जांच भी नहीं की जाती है। जिम्मेदार लोगों की इन सभी लापरवाही का खामियाजा सफाईकर्मियों को उठाना पड़ता है।
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