उत्तर प्रदेश: "निर्माण मजदूर कल्याण योजनाओं को एक-एक करके खत्म कर दिया गया!"

सैकड़ों निर्माण श्रमिकों ने चारबाग रेलवे परिसर से विधान सभा की ओर किया मार्च
उत्तर प्रदेश: "निर्माण मजदूर कल्याण योजनाओं को एक-एक करके खत्म कर दिया गया!"
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लखनऊ। आल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन संबद्ध ऐक्टू के आह्वान पर प्रदेश भर से आए सैकड़ों निर्माण श्रमिकों ने चारबाग रेलवे परिसर से विधान सभा की ओर मार्च किया। कुछ दूर आगे जाने पर पुलिस बल ने आगे बढ़ने से रोका। वहीं पर प्रदर्शनकारियों ने एक सभा की।

सभा को संबोधित करते हुए फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष अमर नाथ राजभर ने कहा कि निर्माण मजदूरों के लिए 1996 में बने केंद्रीय कानून के तहत पंजीकृत निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए संचालित चलने वाली योजनाओं को एक-एक करके खत्म कर दिया गया है। कथित रूप से चालू योजनाओं की वेब साइट वर्षों से जानबूझ कर अधिकांश समय बंद रखी जा रही है। मृतक आश्रित लाभ, वैवाहिक लाभ आदि के मामले वर्षों से लंबित हैं और उनके निस्तारण में नीचे से ऊपर तक किसी की कोई रुचि नहीं है।

लखनऊ निर्माण यूनियन अध्यक्ष रमेश सेंगर ने कहा कि भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, वर्षों से एक ही पटल पर जमें लोगों ने दलालों के साथ एक गठजोड़ विकसित कर लिया है। आम पंजीकृत मजदूर की बात भी कोई सुनने को तैयार नहीं है। दशकों के संघर्ष से हासिल कानून सिर्फ एक कागजी झुनझुना बचा है। सरकार चरण बद्ध ढंग से इसे खत्म करने की तरफ बढ़ रही है। बड़ी हाउसिंग कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सेश मे लगातार की जा रही कमी और उनको इस कानून की गिरफ्त से बचाने के लिए की जा रही कोशिश से सरकार की मजदूर विरोधी मंशा को स्पष्ट रूप से देखा और समझा जा सकता है।

जालौन निर्माण मजदूर यूनियन के नेता राम सिंह ने कहा कि निबंधन का अधिकार निजी साइबर कैफे चलाने वालो को देने और आवेदनों को श्रम कार्यालयों से तत्काल स्वीकृति देने के बजाय उन्हें लंबित रखकर निबंधन के लिए भी श्रमिको को दौड़ाया जा रहा है। नवीनीकरण के नाम पर निबंधन को रद्द करने की भी कोशिश हो रही है।

फेडरेशन के राज्य सचिव राना प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार ने चुनावी लाभ के लिए गली गली लोगों के ई श्रम कार्ड बनवाए। आश्चर्य जनक है कि पूरे देश में इसका कोई प्रत्यक्ष कार्यालय ही नहीं है और न ही इसकी कोई लाभार्थी नियमावली ही बनाई गई।

कल्याण बोर्ड के धन का सरकार अपने प्रचार-प्रसार में प्रयोग कर रही है। वैवाहिक लाभ के लिए आवंटित धन को मुख्यमंत्री विवाह के नाम से प्रचारित करने और उसके प्रचार और आयोजन में ही भारी रकम खर्च की जा रही है।

ऐक्टू लखनऊ के जिला सचिव कुमार मधुसूदन मगन ने कहा कि यह अचंभित करने वाला है कि युद्धग्रस्त और बीमार,वृद्ध , महिलाओं, बच्चों की हत्या के लिए जिम्मेदार इजरायल को निर्माण श्रमिक उपलब्ध कराने का भारत सरकार कार्य कर रही है और उत्तर प्रदेश में बकायदा भर्ती का आदेश विभिन्न स्तरों पर किया जा रहा है। जो मजदूरों को मौत के मुंह में झोंकना है, और विश्व में देश की मानवीय और राजनयिक गरिमा के विपरित भी है। इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार निर्माण श्रमिको के कल्याण के लिए बने कानून को खत्म करने की एक सुविचारित कोशिश कर रही है। बंद की गई योजनाओं को पुनः चालू करने,लंबित आवेदनों का त्वरित निस्तारण करने, आवेदन की साइट सक्रिय रखने,एक ही पटल पर वर्षों से जमें लोगों का कर्मचारी नियमावली के अनुसार अन्यत्र स्थानांतरण करने, ई श्रम कार्ड धारकों के लिए एक लाभार्थी नियमावली बनाने, उसके प्रत्यक्ष कार्यालयों की स्थापना करने जैसे सवालों को लेकर आज हम आए हैं। सरकार अगर अपनी कोशिशों को जारी रखती है तो बड़े आंदोलन को जाने की बाध्यता होगी।

सभा को मिड डे मील वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला गौतम, सीतापुर निर्माण यूनियन नेता अनिल कुमार ने भी संबोधित किया। बाद में मृतक आश्रित लाभ सहित सभी लंबित आवेदनों का त्वरित निस्तारण किए जाने, बंद की गई योजनाओं को चालू करने, केरल और पंजाब की तरह उत्तर प्रदेश में भी निर्माण श्रमिकों को 3000 मासिक पेंशन और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी करने, ई श्रम कार्ड धारकों के लिए भी एक लाभार्थी नियमावली बनाने उसका राज्य और जिलों में कार्यालय स्थापित किए जाने तथा भारत निर्माण श्रमिकों को इजरायल भेजे जाने के फैसले को वापस लिया जानें सम्बन्धी मागों का मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन मौके पर मौजूद शासन के प्रतिनिधि पुलिस अधिकारी अरविन्द को सौंपा गया।

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