उत्तर प्रदेश: निर्माण श्रमिकों को नहीं मिलता नियमित रोजगार, जानिए क्या आती हैं समस्याएं?

लखनऊ में मजदूरों को संगठन से जोड़ने के लिए चलाया जा रहा सदस्यता अभियान, स्थाई लेबर अड्डा और नियमित रोजगार की मांग.
शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज लेबर अड्डे पर काम की तलाश में खड़े श्रमिक।
शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज लेबर अड्डे पर काम की तलाश में खड़े श्रमिक।The Mooknayak
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लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए दिहाड़ी मजदूर संगठन बड़े स्तर पर सदस्यता व जागरूकता अभियान चला रहा है। इसके तहत संगठन के पदाधिकारी विभिन्न लेबर अड्डों पर जाकर मजदूरों को उनके अधिकारों की जानकारी दे रहे हैं। संगठन के पदाधिकारी मजदूरों को मूलभूत आवश्यकताओं, नियमित रोजगार और उचित दर पर दिहाड़ी के फायदों से अवगत करा रहे हैं। 

दरअसल,उत्तर प्रदेश में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की बात करें तो बहुत बड़ी संख्या है। सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर प्रदेश में लगभग 8.30 करोड़ श्रमिक पंजीकृत है, वही उ0प्र0 भवन निर्माण बोर्ड के तहत लगभग (1.50) 1 करोड 50 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं, लेकिन अभी लेबर अड्डे पर खड़े होने वाले लगभग 10 से 15 प्रतिशत निर्माण मजदूरों का लेबर कार्ड बन पाया है। ऐसे में यह अभियान चलाकर वह इन सभी मजदूरों को इससे जोड़ना चाहते हैं।

मजदूरों को श्रम नियमों की जानकारी देते डीएमएस के संतोष यादव।
मजदूरों को श्रम नियमों की जानकारी देते डीएमएस के संतोष यादव।The Mooknayak

दिहाड़ी मजदूर संगठन के महामंत्री संतोष यादव कहते हैं- "आज भी सभी मजदूरों के पास लेबर कार्ड नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि किसी मजदूर के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है, उस दशा में श्रमिक को सरकार या श्रम विभाग से किसी तरह की कोई सहायता नही मिल पाती है। वहीं मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी में भी कोई बढोत्तरी नहीं हो रही है।"

संतोष कहते हैं -"इस समय पंजीकृत श्रमिक का आधार सत्यापन न होने से उनके श्रमिक कार्ड का नवीनीकरण नही हो पा रहा है,जो पंजीकृत मजदूरों के लिये बड़ी समस्या है। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुये दिहाड़ी मजदूर संगठन समय-समय पर सरकार से श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी तथा सामाजिक सुरक्षा व उनकी मूल-भूत सुविधाओं की मांग करता रहा है।"

लेबर अड्डों पर समय पर मजदूर जागरूकता अभियान तथा पंजीयन कैंप लगाकर हजारों श्रमिकों का लेबर कार्ड बनाया गया। अभी संगठन प्रदेश के लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ, शहजहांपुर, सीतापुर, बाराबंकी आदि जिलों में सक्रिय रुप से श्रमिको के अधिकारों के प्रति काम कर रहा है।

यादव ने बताया-'वर्तमान समय में संगठन के पोर्टल पर 6217 श्रमिक अलग-अलग जिलों में पंजीकृत (सदस्य) हैं। साथियों अभी बहुत लम्बा रास्ता तय करना है जिसके लिए हमें मजदूरी के साथ-साथ अपनी ताकत को बढ़ाना होगा। हमारी मांगे प्रदेश के सभी लेबर अड्डों को चिन्हित कर पानी, छाया, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग है।

संगठन ने मांग की है कि लेबर अड्डों पर कैंप लगाकर पंजीयन व नवीनीकरण किया जाए। न्यूनतम मजदूरी 600 रुपये प्रतिदिन तथा पेंशन 5000 रुपये प्रतिमाह सुनिश्चित किया जाए। भवन निर्माण बोर्ड के तहत पंजीकृत श्रमिकों को योजना का लाभ तत्काल रुप से दिया जाए। प्रदेश में मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी कानून बनाया जाए। इसके साथ ही उ० प्र० भवन निर्माण बोर्ड के सभी पंजीकृत श्रमिकों को आयुष्मान कार्ड (कैशलेस इलाज) उपलब्ध करवाया जाए।

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