लखनऊ। यूपी के लखनऊ विकास प्राधिकरण के स्मारक, संग्रहालय, संस्था, पार्क व उपवन की प्रबंधन, सुरक्षा व अनुरक्षण समिति के निलंबित 17 कर्मचारियों को दूसरे स्थान पर सम्बद्ध कर दिया गया है। अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन की तैयारी करने पर यह कार्रवाई की गई है। उपाध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी ने निलम्बित कर्मचारियों का अवकाश भी रद्द कर दिया है। वहीं कर्मचारियों का विरोध लगातार जारी है।
स्मारक समिति के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान कुछ कर्मचारियों ने प्रदर्शन स्थल पर वार्ता करने गये प्रबंधक प्रशासन राजीव कुमार से अभद्रता की थी। इसके बाद गोमती नगर थाने की पुलिस ने कर्मचारियों को हिरासत में लिया, इस पर प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने थाने का घेराव किया। इससे नाखुश होकर लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बैठक कर प्रदर्शन में शामिल 17 कर्मचारियों की जानकारी कर उनके विरुद्ध अनुशासनहीनता के तहत निलम्बित करते हुए उन्हें दूसरे स्थानों से सम्बद्ध करने की कार्रवाई की।
उनके आदेश पर कर्मचारी कौशल आदित्य को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पार्क बादलपुर, विमेलश कुमार वर्मा को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल व ग्रीन गार्डेन नोएडा, रमेश प्रसाद गुप्ता को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल व ग्रीन गार्डेन नोएडा, राजपूत मिथुन चन्द्रपाल को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पार्क बादलपुर, विजय कुमार यादव को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल व ग्रीन गार्डेन नोएडा, दिनेश कुमार सिंह को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पार्क बादलपुर, इकरार अली को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल व ग्रीन गार्डेन नोएडा, राजेन्द्र कुमार गिरि को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पार्क बादलपुर से सम्बद्ध कर दिया।
इसीप्रकार वीरेन्द्र कुमार गुप्ता को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल व ग्रीन गार्डेन नोएडा, तरुण कुमार को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पार्क बादलपुर, तरनीम को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल व ग्रीन गार्डेन नोएडा, इन्द्रपाल गंगवार को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पार्क बादलपुर, राजनारायण भारद्धाज को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पार्क बादलपुर, मारकण्डेय सिंह को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल व ग्रीन गार्डेन नोएडा, रामप्रकाश पटेल को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पार्क बादलपुर, जितेन्द्र कुमार गुप्ता को राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल व ग्रीन गार्डेन नोएडा, सूर्य प्रकाश सिंह पटेल को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पार्क बादलपुर से सम्बद्ध कर दिया।
वहीं निलम्बित दूसरे स्थानों पर सम्बद्ध हुए कर्मचारियों की माने तो उनकी मांग जायज है और इससे पीछे नहीं हटेंगे। स्मारक समिति के अधिकारियों ने उनके केन्द्र से आये भविष्य निधि की करोड़ों रुपये की राशि नहीं दी और इसके बाद कर्मचारियों ने अपनी बात रखनी चाही तो उन्हें बात करने से मना कर दिया गया। इसके बाद ही प्रदर्शन शुरू हुआ, जिसमें पहले उनका निलम्बन हुआ है और अब दूसरे स्थान के पार्कों में उन्हें सम्बद्ध कर दिया गया है, जो सरासर गलत है।
स्मारक समिति के 17 प्रदर्शनकारी पिछले सप्ताह भर से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। जिसके बाद अधिकारियों ने गुरुवार को निलंबित कर दिया। बसपा सरकार द्वारा 2009 में स्थापित स्मारक समिति, लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में सरकार द्वारा निर्मित स्मारकों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार एक अस्थायी निकाय है। हड़ताली कर्मचारियों ने कई मांगें की हैं जिन्हें अधिकारियों ने पूरा नहीं किया है, जैसे: संशोधित वेतन संरचना 5200 रुपये से बढ़ाकर 20200 रुपये और ग्रेड-पे 1400 रुपये किया जाएगा। स्थायी स्थिति और पदोन्नति (सुनिश्चित कैरियर प्रगति)। सवैतनिक चिकित्सा अवकाश। मृतक के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी। सीपीएफ/एनपीएस खाता व दिवाली बोनस आदि मांग प्रमुख हैं।
विदित हो,कर्मचारी 20 दिसंबर से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन उन्होंने 30 दिसंबर 2023 से काम का बहिष्कार कर दिया था। अधिकारियों ने हड़ताली कर्मचारियों में से 17 को निलंबित करके उनके खिलाफ कार्रवाई की थी। मूकनायक ने निलंबित कर्मचारियों में से एक कौशल किशोर "आदित्य" से बात की। उन्होंने कहा, ''कल शहरी नियोजन के प्रधान सचिव ने हमसे बात की थी और हमें आश्वासन दिया था कि हमारी शिकायतें सुनी जाएंगी, लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की थी। फिर भी, हम हड़ताल वापस लेने को तैयार थे, लेकिन एलडीए उपाध्यक्ष ने हमारे लिए निलंबन पत्र जारी कर दिया, और यह अनावश्यक था।
उन्होंने कहा, "एलडीए वीसी के पत्र में हम पर काम बंद करके बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित करने का आरोप लगाया गया है, जबकि वास्तविकता यह है कि केवल सफाई कार्य ही बाधित हुआ है।" उन्होंने आरोप लगाया कि 17 से अधिक निलंबन हो चुके हैं और अधिकारियों द्वारा पीपीएफ फंड के 800 करोड़ के गबन के खिलाफ आवाज को दबाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। गुरुवार को 4,000 से अधिक प्रदर्शनकारी कर्मचारी मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव करने के लिए जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें कांशीराम इको गार्डन धरना स्थल पर रोककर इसे रद्द कर दिया था।
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