लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के ईको गार्डन से धरना समाप्त कर रोते हुए शिक्षक अभ्यर्थी शनिवार को अपने घरों की ओर लौट गए। यह अभ्यर्थी पिछले 600 से ज्यादा दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे थे। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लागू हुई आचार सहिंता के कारण इन अभ्यर्थियों को अपना सामान बांधना पड़ा।
लखनऊ के ईको गार्डन में गत शनिवार को एक तरफ अभ्यर्थी अपना सामान बांध रहे थे, दूसरी तरफ उनके आंसू बन्द नहीं हो रहे थे। इन अभ्यर्थियों के आंसू देखकर मौके पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों का भी दर्द छलक उठा। कुछ पुलिसकर्मियों ने अभ्यर्थियों को गले लगा लिया। वहीं कुछ पुलिसकर्मी अभ्यर्थियों के आंसू पोछते नजर आए।
यह वही पुलिसकर्मी थे जो अब तक इन अभ्यर्थियों को कई बार सीएम, डिप्टी सीएम, शिक्षा मंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन के दौरान हाथ-पैर पकड़कर गाड़ियों में ठूस देते थे। पिछले 600 दिनों से चल रहे धरना प्रदर्शन ने मानो इन्हें एक परिवार बना दिया। आचार सहिंता में जब यह एक दूसरे से बिछडे तो दोनों का ही दर्द छलक पड़ा।
अभ्यर्थियों ने द मूकनायक से कहा-"हम पिछले 600 दिनों से यहां प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन इस सरकार ने हमारी नहीं सुनी। गांव में जाकर भारतीय जनता पार्टी के विरोध में प्रचार करेंगे। BJP पार्टी के सीएम से पीएम तक किसी ने बात नहीं सुनी।"
गौरतलब है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में 6800 आरक्षित सीटों पर चयनित अभ्यर्थी पिछले 600 से ज्यादा दिनों से मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने द मूकनायक को बताया कि हम दर्जनों बार सीएम,डिप्टी सीएम,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा कार्यालय, शिक्षा मंत्री,ओम प्रकाश राजभर,अनुप्रिया पटेल सहित अन्य नेताओं के आवास के बाहर धरना दे चुके हैं।
हमारी आवाज को कोई सुनने वाला नहीं है। बीते एक सप्ताह में हम सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव मौर्या और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के आवास के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री के ही आदेश के बाद 6800 आरक्षित वर्ग की चयन सूची आई थी। अब अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि उनकी मुलाक़ात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से होते ही पूरे मामले का सही निस्तारण हो जाएगा। ऐसा नही हुआ लोकसभा चुनाव 2024 के कारण आचार सहिंता लागू कर दी गई। हमें यहां से सामान समेटना पड़ा।
अमरेंद्र पटेल ने बताया कि लखनऊ हाईकोर्ट के डबल बेंच में 69000 शिक्षक भर्ती संबंधित मामले की सुनवाई चल रही है। इस मामले में शिक्षा मंत्री संदीप सिंह और विभाग के अधिकारी ने अभ्यर्थियों के साथ कुछ वादे किए थे। लेकिन उसके मुताबिक सरकार के वकील कोर्ट में पक्ष नहीं रख रहे हैं। बल्कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का विरोध कर रहे हैं। इस सच्चाई को मुख्यमंत्री तक पहुंचाना जरूरी है। लेकिन कोई भी मंत्री, विधायक इसमें मदद नहीं कर रहा है।
महिला दिवस पर भी बड़ी संख्या में महिला अभ्यर्थी आरक्षित पदों पर हुई अनियमितता और अपनी मांगों को लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के आवास सुबह 8 बजे पहुंच गए थे। इन अभ्यर्थियों ने कहा कि सरकार महिलाओं के लिए बहुत कुछ करने के दावे करती हैं पर 600 से ज्यादा दिनों से धरना दे रहे महिला अभ्यर्थियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही।
आचार सहिंता और लोकसभा चुनाव को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी विजय यादव,धनंजय गुप्ता और बृजेश सिंह सहित अन्य ने द मूकनायक से कहा कि हम घर तो लौट रहे हैं, लेकिन गांव पहुंचकर सरकार का विरोध जारी रहेगा। हम गांव-गांव जाकर सरकार और भारतीय जनता पार्टी के विरोध में प्रचार और प्रसार करेंगे। हमारे 600 से ज्यादा दिन के धरने के बाद भी हमारी किसी ने नहीं सुनी है।
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