उदयपुर में ठेला व्यवसायियों और नगर निगम में तनातनी; ठेले वालों का दमन नहीं होगा सहन-यूनियन

नगर निगम की कार्रवाई से नाराज ठेला व्यवसायी मजदूर यूनियन ने जताई कड़ी आपत्ति
उदयपुर के दिल्लीगेट में ठेले पर सब्जी बेचते हुए विक्रेता
उदयपुर के दिल्लीगेट में ठेले पर सब्जी बेचते हुए विक्रेता (फाइल फोटो)
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उदयपुर- राजस्थान की विख्यात पर्यटन नगरी उदयपुर में नगर निगम और हाथ ठेला विक्रेताओं के बीच ठनी हुई है. राज्य में सत्ता परिवर्तन के साथ ही खुले में खाने पीने का सामान बेचने वालों खासकर नॉन वेज व्यंजनों का ठेला लगाने वाले वेंडर्स नगर निगम द्वारा अब स्ट्रीट वेंडर्स को व्यवस्थित करने के नाम पर इनका सर्वे करवाए जाने और अपेक्षाकृत कम संख्या बताने से रूष्ट हैं . सर्वे के आधार पर शहर में न्यूनतम 1878 , अधिकतम 2819 ठेला लगने का बताया है जबकि 2015 के सर्वे में ही 3050 ठेला बताये गये थे।

ठेला व्यवसायियों का मानना है कि ये तमाम प्रयास शायद इन्हें बेदखल करने के इरादे से हो रहे हैं. नगर निगम की टाउन वेंडिंग कमेटी बनी हुई है लेकिन इसमें केवल 10 पथ विक्रेता है, बाकी 15 सदस्यों की जगह खाली है , ऐसे में बिना कमेटी का कोरम पूरा हुए नगर निगम का एकतरफा निर्णय अवैध है. कमेटी ने सर्वसम्मति से सर्वे को अस्वीकार कर दिया है। 

रविवार को इसी विषय पर ठेला व्यवसायी मजदूर यूनियन ( सीटू) की बैठक युनियन अध्यक्ष राव गुमान सिंह की अध्यक्षता में में हुई. सदस्यों ने कहा कि भाजपा द्वारा सत्ता के बल पर पथ विक्रेताओं का दमन, किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। उप महापौर द्वारा बार बार ठेला व्यवसाईयो को अवैध बता उनका अपमान किया जा रहा है और व्यवस्था बनाने में नाकामयाब होने का ठीकरा ठेला व्यवसाईयो पर फोड़ा जा रहा है जबकि शहर में जहा जहा भी ठेले वालों को हटाया जाता है , वहा वहा कार स्टेंड बन जाता है । उन्होंने कहा कि नगर निगम के भाजपा बोर्ड को ठेले वालों की पेट की आग से नहीं खेलना चाहिए।

द मूकनायक ने इस विषय पर यूनियन सदस्यों से स्ट्रीट वेंडर्स और ठेला मजदूरों की समस्याओं को लेकर बात की.

बैठक में चर्चा करते हुए ठेला व्यवसायी मजदूर यूनियन के सदस्य
बैठक में चर्चा करते हुए ठेला व्यवसायी मजदूर यूनियन के सदस्य

टाउन वेंडिंग कमेटी सदस्य धर्मेंद्र कुमावत ने बताया टाउन वेंडिंग कमेटी का पूर्ण रूप से गठन किये बगैर शहर में सर्वे के आधार पर, मनमाने तरीके से वेंडिंग - नो वेंडिंग जोन तय करने का खेल चल रहा है और इस खेल के पीछे उदयपुर नगर निगम ठेला व्यवसायी मजदूरों को बेदखल कर, रोजगार छीनना चाहती है।

यूनियन के उपाध्यक्ष मोहम्मद निजाम ने कहा कि कंपनी की बजाय टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन कर , नगरनिगम द्वारा सर्वे किया जाएं।उन्होंने कहा कि मुख्य सड़कों और पर्यटक स्थलों से ठेला फुटपाथ व्यवसाईयो को हटाने की योजना बनाई जा रहीं है, जो हमे मंजूर नहीं । उन्होंने कहा कि 11 फीट चौड़ी सड़क तक व्यवसाय कर रहे ठेला व्यवसाईयो हटाने की योजना बनाना गलत है क्योंकि लगभग एक हजार ठेला फुटपाथ व्यवसाई 11फीट से कम चौड़ी सड़क पर अपना व्यवसाय कर रहे है ।

युनियन सरक्षक राजेश सिंघवी ने बताया कि टाउन वेंडिंग कमेटी में केवल 10 पथ विक्रेता चुने गये है, जबकि अन्य 15सदस्यों की नियुक्ति होना बाकी है। पूर्ण कमेटी का गठन किये बगैर कोई भी फैसला गैरकानूनी है। एक तरफ नगरनिगम के पदाधिकारी 10,000 पथ विक्रेता होने का दावा करते है तो दूसरी तरफ सर्वे में केवल 2819 पथ विक्रेता चिन्हित करते है। ऐसे में 7000 ठेला वाले कहां जायेंगे?

यूनियन के अध्यक्ष राव गुमानसिंह ने मूकनायक को बताया कि टाउन वेंडिंग कमेटी का अध्यक्ष नगरनिगम आयुक्त होता है, उप- महापौर को टाउन वेंडिंग कमेटी बैठक में शामिल होने का अधिकार नही जबकि उप- महापौर अवैध रूप से न केवल बैठक में शामिल होते है, बल्कि बैठक का संचालन भी कमेटी के अध्यक्ष की तरह करते है। उन्होंने कहा कि नगर निगम आयुक्त को पूर्ण स्वतंत्र होकर बिना किसी दबाव के काम करना चाहिए । 

टाउन वेंडिंग कमेटी सदस्य बंशीलाल चौहान ने बताया कि शाकाहारी और मांसाहारी के नाम पर पथ विक्रेताओं तथा जगह - जगह सरस डेयरी बूथ लगाकर गरीब को गरीब से लड़ाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरस डेयरी बूथ पर केवल सरस डेयरी उत्पाद ही बेचे जाने चाहिए लेकिन वहा सब कुछ बेचा जा रहा है ।

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