नई दिल्ली: "मेरा घर टूटा पड़ा है, कैसे इसे दोबारा बनाऊंगा? "- रैट माइनर वकील हसन

डीडीए ने वकील हसन को नरेला में ईडब्ल्यूएस फ्लैट देने की पेशकश की। लेकिन, सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम में शामिल इस हीरो ने डीडीए की पेशकश को ठुकरा दिया।
वकील हसन अपने घर का सामान दिखाते हुए।
वकील हसन अपने घर का सामान दिखाते हुए।The Mooknayak
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नई दिल्ली: उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों की जान बचाने वाले दिल्ली के हीरो रैट माइनर वकील हसन के घर को बीते 28 फरवरी को डीडीए ने अवैध बताकर जमींदोज कर दिया। हसन ने घर गिरने के बाद अपने परिवार के साथ फुटपाथ पर रात गुजारी। खबर को सुर्खियों में आने के बाद डीडीए ने हसन को नरेला में ईडब्ल्यूएस फ्लैट देने की पेशकश की। लेकिन, सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम में शामिल इस हीरो ने डीडीए की पेशकश को ठुकरा दिया।

द मूकनायक ने वकील हसन से बात की। हसन ने कहा- "मेरा घर टूटा पड़ा है, कैसे इसे दोबारा बनाऊंगा? उनके इस सवाल का जवाब देने वाला कोई नहीं था। अपने टूटे मकान के मलबे की ओर देखकर उन्होंने आगे कहा-"आपको शुरू से बताता हूं। घटना वाले दिन मैं किसी काम से बहार गया था। मैं और मेरी बीवी दोनों ही घर पर नहीं थे। मेरा छोटा बेटा स्कूल गया हुआ था। बेटी अकेले घर पर थी। उसने मुझे फोन किया और बताया कि कुछ लोग घर के बाहर आए हुए है। मैंने कहा कि दरवाजा नहीं खोलना। बेटी काफी डरी हुई थी। वे लोग बड़ी जोर से दरवाजे को धक्का दे रहे थे। बहुत बतमीजी से बात कर रहे थे। जैसे ही मैं वहां पहुंचा मैंने कार्रवाई को लेकर सवाल किए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।"

वकील हसन अपनी पत्नी के साथ।
वकील हसन अपनी पत्नी के साथ।The Mooknayak

"मैंने विरोध किया तो पुलिस वाले हमें पकड़ कर थाने ले गए। मेरे दोस्त भी साथ थे। हमें रात तक ऐसे ही बैठा कर रखा। जब हम लोग 8 बजे रात को वहां से आए तो वापस आकर देखा की मेरा घर पूरी तरह से तोड़ दिया गया है। एक दीवार खड़ी कर दी गई है। हम लोग तब से अपने घर के मलबे के पास बाहर ही बैठे हुए हैं। हमें 2 दिन हो गए हैं। हम यही बैठे रहेंगे। जब तक मुझे और मेरे परिवार को घर नहीं मिलता।"-हसन ने कहा।

आगे वह बताते है- "यह घर मेरा था। वो लोग मुझसे पैसे मांग रहे थे। मैंने पैसे नहीं दिए। मेरे साथ में कुछ लोगों ने डर की वजह से पैसे दिए हैं, पर मैंने नहीं दिए। हमेशा से ही मुझसे पैसे की डिमांड की जा रही थी। हमारे पास इतना पैसा नहीं है की हम रिश्वत में दें। मेरे बच्चों की किताबें, उनके स्कूल का सारा सामान मलबे में दबा है। बच्चों के एग्जाम हैं, मेरे जरूरी दस्तावेज दबे हैं। ऐसा क्यों हुआ, क्या में कोई अपराधी था?" 

किसी ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली    

आगे हसन बताते है- "इतना सब होने के बाद किसी ने हमारा साथ नहीं दिया। सब मिलने आते हैं, दिलासा भी देते हैं। पर सही से कोई कुछ बोल ही नहीं रहा है। मेरे पास अधिकारियों का भी फ़ोन आया था, हम आपकी मदद करेंगे। बस बोला ही जा रहा है कुछ हो नहीं रहा है। इसके बाद डीडीए वाले मेरे पास आये थे। बोले आपको फ्लैट दे देंगे। वो जो इस घर से दूर भी है। मेरे छोटे बच्चे हैं। ऐसे ही कही नहीं जा सकता। मुझे अपने परिवार की सुरक्षा भी देखनी है।"

डीडीए की आई प्रतिक्रिया 

मीडिया रिपोर्ट में दिल्ली के खजूरी खास में रैट माइनर वकील हसन के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई के कुछ घंटों बाद डीडीए की प्रतिक्रिया आई। डीडीए के एक अधिकारी ने बताया कि कार्रवाई से पहले और उसके दौरान किसी अधिकारी को उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे कामगारों को बचाने में वकील के हाल के योगदान के बारे में जानकारी नहीं थी।

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