नई दिल्ली। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के गत बुधवार को डेमोलिशन ड्राइव में रेट होल माइनर वकील हसन के घर तोड़ने के बाद अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। वकील हसन ने डीडीए के एमआईजी फ्लैट की पेशकश ठुकरा दी है। वह अपने टूटे घर को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते हैं। हसन ने घर के लिए आगामी मंगलवार से आमरण अनशन करने की घोषणा की है।
द मूकनायक को हसन बताते हैं - "अपने इस घर को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहता हूं। इस घर से मेरी बहुत यादें जुड़ी है। 32 साल से यहां रह रहा हूं। मेरे दोस्त रिश्तेदार सब यहीं पर हैं। मेरे बच्चों का बचपन यहीं पर गुजरा है, मैं कैसे अपने इस घर को छोड़ सकता हूं?"
"डीडीए मुझे टेंपरेरी घर दे रही है। मुझे नहीं चाहिए। मुझे अपना यही घर चाहिए। जैसा भी है, टूटा-फूटा पर मेरा घर है। यह मेरे मेहनत के पैसों से बना है। मैं इसी में रहूंगा, मैं कहीं नहीं जाऊंगा।" हसन ने कहा।
वकील हसन मुजफ्फरनगर से हैं, लेकिन हमेशा से दिल्ली में ही रहे हैं। उनके पापा आर्मी में थे। वह दिल्ली में ही जन्मे हैं। वहीं 1991 से इस कॉलोनी में रह रहे हैं। अपनी शुरुआती जीवन के बारे में हसन बताते हैं- "मैंने शुरुआत में मोबाइल का काम किया है। बाद में पाइप लाइन का काम शुरू किया, जिसे आप रैट माइनिंग बोलते हैं। यह जमीन मैंने कुछ जुड़े हुए पैसों से और पत्नी के गहने गिरवी रखकर खरीदी है। अभी भी इस घर के पैसे मेरे ऊपर हैं जो मुझे दूसरे लोगों को लौटाने हैं।"
हसन आरोप लगाते हैं- "यहां ऐसा ही होता है। जब किसी का मकान बनता है तो डीडीए वाले, एमसीडी वाले, पुलिस वाले सभी पैसे लेते हैं। अगर हम उनको पैसे नहीं देते तो वह लोग हमारे काम में बहुत ज्यादा अड़चन डालने लग जाते हैं। यह बात सबको पता है।"
"जिस समय इन लोगों ने मेरा घर तोड़ा। मेरे बच्चे घर पर ही थे। सोचिए, उनके मन की कैसी दशा रही होगी। उस समय दरवाजा हथौड़े से तोड़ने लगे। मेरे बच्चे वही खड़े थे। अगर उनको लग जाता तो क्या होता। वह सिर्फ अपने घर को बचाने का प्रयास कर रहे थे। इसलिए वह दरवाजे से लगकर खड़े हुए थे। पर इन लोगों ने उनके बारे में भी कुछ नहीं सोचा और हमारा इंतजार भी नहीं किया।"-हसन ने बताया।
हसन अपनी बेटी के बारे में बताते हैं कि-"मेरी बेटी यहां के 40 बच्चों को ट्यूशन पढ़ती थी, जिनके मां-बाप गरीब हैं। उनके पास ट्यूशन पढ़ने के लिए पैसे भी नहीं होते हैं। मेरे घर के साथ-साथ उन बच्चों की पढ़ाई भी टूटी है। क्योंकि मेरी बेटी इन बच्चों को फ्री में ट्यूशन पढ़ाती थी। अब वही बच्चे मेरे घर के सामने आकर रोते हैं।"
हसन आगे बताते हैं कि मुझे मेरे काम आदि के लिए बहुत सारे पुरस्कार मिले हैं जो इस बारिश के पानी से और धूल मिट्टी से खराब हो रहे हैं। यह सब पुरस्कार मुझे शाहरुख खान, संजय गोयनका, नितिन गडकरी, अखिलेश यादव आदि द्वारा प्राप्त हुए हैं, लेकिन अब इन पर धूल और बारिश का पानी गिरने लगा है।
हसन दुखी होकर बताते हैं कि मुझे सरकार से कुछ नहीं चाहिए। मैं बस इस समय बहुत दिक्कत में हूं। चार-पांच दिन से इतनी परेशानी है कि मैं आपको बात नहीं सकता। बारिश भी है, हवा भी इतनी है, ठंड भी है। मैं और मेरे बच्चे ऐसे ही इन सारी चीजों का सामना कर रहे हैं। कल भाजपा नेता मनोज तिवारी आए थे। उन्होंने आश्वासन दिया है कि हम घर देंगे। इसी आश्वासन के चलते मैं थोड़ा रुक गया। वरना हमने सोच रखा है कि हम 5 मार्च 2024 से भूख हड़ताल पर जाएंगे। इस भूख हड़ताल पर मेरा पूरा परिवार जाएगा। मैं भूख हड़ताल पर तब तक रहूंगा। जब तक की मेरा घर नहीं बनता, चाहे मैं मर जाऊं।
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