केरल/झारखंड। झारखंड के आठ प्रवासी श्रमिकों को केरल के अत्तिंगल नगरपालिका के मुदक्कला गांव में पाइनएप्पल फार्म से रेस्क्यू किया गया। आरोप है कि श्रमिकों को बकाया मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया था। मजदूरी की मांग करने पर उनको डराया धमकाया जा रहा था वहीं कार्यस्थल पर बंधक बना लिया गया था।
झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा घटना की सूचना सार्वजनिक करने पर झारखंड श्रम विभाग और अन्य अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई की।
लातेहार, गुमला और पलामू जिलों के रहने वाले ये श्रमिक साप्ताहिक मजदूरी के अनुबंध पर केरल गए थे। हालांकि, खेत के मालिक ने उनका बकाया 61,000 रुपये रोक लिया और उन्हें घर लौटने से मना करते हुए उनकी आवाजाही पर रोक लगा दी। आठ श्रमिकों में से दो महिलाएँ थीं, जिन्हें काम के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ा।
पलामू जिले के सोंस गाँव की जहीना खातून ने द मूकनायक को बताया कि- फार्म मालिक ने हमें साप्ताहिक भुगतान देने पर सहमति जताई थी, और हम बहुत मेहनत कर रहे थे। कड़ी मेहनत के बावजूद, खेत मालिक ने हमें मजदूरी नहीं दी। जब हमने अपनी बकाए मजदूरी के लिए संपर्क किया, तो फार्म मालिक ने कहा कि हमें छह महीने तक रहना होगा और मजदूरी देने से इनकार कर दिया। इससे राशन सामग्री समाप्त हो गई।
खातून ने आगे बताया कि जब हमने अपनी मजदूरी मांगी तो उन्होंने हमारे साथ लड़ाई की। हम यहां लड़ने के लिए नहीं आए हैं। हम सिर्फ अपनी मेहनत की कमाई मांग रहे हैं। अन्य श्रमिकों में आंतीखेता गांव की पूनम कुमारी, भुसूर, लातेहार के अंदीप उरांव, महेश्वर उरांव, कुलेश्वर उरांव और टुनटुन, ओमप्रकाश लोहरा (गुमला) और लातेहार के हरातू के देवेंद्र प्रसाद शामिल हैं।
मामला तब प्रकाश में आया जब झारखंड जनाधिकार महासभा ने श्रमिकों का एक वीडियो वायरल किया, जिसके बाद झारखंड श्रम विभाग ने हस्तक्षेप किया। राज्य के प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने मामले को सुलझाने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय करते हुए त्वरित कार्रवाई की।
झारखंड श्रम विभाग के प्रवासी प्रकोष्ठ, अटिंगल के सहायक श्रम अधिकारी (एएलओ) और सेंटर फॉर माइग्रेशन एंड इंक्लूसिव डेवलपमेंट (सीएमआईडी ट्रस्ट) के बीच समन्वय के माध्यम से मामले का निपटारा किया गया। उनके सामूहिक प्रयासों से सभी आठ श्रमिकों की झारखंड में सुरक्षित वापसी सुनिश्चित हुई।
श्रमिकों की यह पीड़ा भारत में प्रवासी मजदूरों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करती है। उनके अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से बनाए गए नियम कानूनों के बावजूद, कई लोग अभी भी शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। यह घटना प्रवासी श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सतर्क निगरानी और त्वरित हस्तक्षेप के महत्व को रेखांकित करती है।
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