भोपाल। "हमने अपने जीवन का अमूल्य समय बच्चों को पढ़ाने में गुजार दिया, 15 साल से स्कूल में अतिथि शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहा हूँ। सरकारों ने वादा किया चिंता मत करो जो प्रदेश का भविष्य गढ़ रहे हैं, उनका भविष्य भी सुनिश्चित करेंगे, लेकिन अब हमें नियमित नहीं कर रहे हैं, जानकारी मिली है कि डीपीआई ने आदेश में कहा है कि हमें नियमित नहीं किया जा सकता यदि हम शिक्षक बनने और पढ़ाने के लिए पात्र नहीं थे तो इतने वर्षों से हमसे सरकार ने सेवाएं क्यों ली?"
अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए विदिशा जिले के मोहती गाँव के अतिथि शिक्षक अरविंद प्रजापति सरकार से ये सवाल कर रहे हैं। द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए अरविंद ने बताया कि वह साल 2008 से अतिथि शिक्षक के पद पर सेवाएं देते हुए स्कूली बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा- "हमारा कीमती वक्त इतने वर्षों में बीत चुका है, अब हम कोई दूसरा काम नहीं कर सकते. सरकार चाहे तो कोई अन्य रास्ता निकालकर हमें नियमित कर दे।"
दरअसल, सरकारी स्कूलों में पिछले 15 सालों से सेवाएं दे रहे अतिथि शिक्षकों को नियमित नहीं किया जा सकता यह बात गुरुवार को लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) की आयुक्त के आदेश ने स्पष्ट कर दी है। आदेश आने के बाद से ही अतिथि शिक्षकों में रोष है। आदेश के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग में अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित करने का कोई प्रविधान नहीं है। उन्हें सिर्फ सीधी भर्ती में 25 फीसद का आरक्षण दिया जाएगा। हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिथि शिक्षकों की नियमित करने की याचिका का लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने निराकरण कर आदेश जारी कर दिया है।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70 हजार से अधिक अतिथि शिक्षक पदस्थ हैं। इसमें से कई अतिथि शिक्षकों को स्कूलों में सेवाएं देते हुए 15 साल तक का समय हो चुका है। इसे लेकर प्रदेश के कई अतिथि शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमित करने की मांग की थी। अतिथि शिक्षकों का कहना था कि वे शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं और डीएड-बीएड प्रशिक्षित हैं।
अतिथि शिक्षकों का कहना है, की उन्हें तीन वर्ष से लेकर 15 वर्षों तक लगातार अतिथि शिक्षक के रूप में पढ़ाने का अनुभव है। अन्य राज्यों में भी अतिथि शिक्षकों को नियमित किया गया है। इस आधार पर मध्यप्रदेश में भी अतिथि शिक्षकों को नियमित किया जाए। हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए। जिसके बाद डीपीआई ने नियमों का हवाला देकर कहाँ की अतिथि शिक्षकों को नियमित नहीं किया जा सकता है।
इधर, संयुक्त अतिथि शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा ने द मूकनायक को बताया कि वह लगातार सरकार से बात करते रहे हैं। उन्हें हमेशा आश्वासन मिला है कि अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए रास्ता निकाला जाएगा। सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा में 25 प्रतिशत आरक्षण दिया है, लेकिन हमारी मांग है कि सरकार अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षकों को नियमित करें। उन्होंने कहा- "यदि सरकार हमारे हितों का का संरक्षण नहीं करती तो हम जल्द ही सड़कों पर होंगे।"
डीपीआई के द्वारा जारी किए गए आदेश में उल्लेखित है, कि "मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) सेवा शर्ते एवं भर्ती नियम 2018 एवं संशोधित नियम एक दिसंबर 2022 के अनुसार सीधी भर्ती से रिक्त पदों की पूर्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा के बाद शिक्षक चयन परीक्षा के माध्यम से शिक्षक भर्ती का प्रविधान है। सीधे नियमित किए जाने का कोई प्रविधान/नियम नहीं है।"
अतिथि शिक्षकों के लिए शैक्षणिक संवर्ग अंतर्गत सीधी भर्ती के शिक्षकों के पदों के उपलब्ध रिक्तियों की 25 प्रतिशत रिक्तियां अतिथि शिक्षक वर्ग के लिए आरक्षित की जाएगी। जिनके द्वारा न्यूनतम तीन शैक्षणिक सत्रों में एवं 200 दिन मप्र शासन द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य किया गया है, लेकिन अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित पदों की पूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति में रिक्त रहे पदों की अन्य पात्रताधारी अभ्यर्थियों से भरा जाएगा।"
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