सेप्टिक टैंक्स में गई सैकड़ों जानें लेकिन केंद्र सरकार के मुताबिक 5 सालों में Manual Scavenging की एक भी रिपोर्ट नहीं !

सफाई कर्मी समुदाय ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि वे पिछले दस वर्षों में मैन्युअल स्केवेंजर्स के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर एक श्वेत पत्र जारी करें। साथ ही, उन्हें की मुक्ति और मैन्युअल स्केवेंजर्स पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।
सेप्टिक टंकियों की सफाई के दौरान मारे गए सफाई कर्मियों के परिवारजन दिल्ली में प्रदर्शन करते हुए (फाइल फोटो)
सेप्टिक टंकियों की सफाई के दौरान मारे गए सफाई कर्मियों के परिवारजन दिल्ली में प्रदर्शन करते हुए (फाइल फोटो) Image- सफाई कर्मचारी आन्दोलन
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नई दिल्ली- हाथ से मैला ढोने की प्रथा ( Manual Scavenging ) पर प्रतिबन्ध लग चुका है लेकिन भारत में यह अमानवीय प्रथा आज भी बदस्तूर है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2018 से 2023 के बीच देश में सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई करते समय 400 से अधिक लोगों की मौत हुई। लेकिन बुधवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने लोकसभा में Manual Scavenging को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में हैरत में डालने वाला जवाब दिया. अठावले ने बताया कि बीते पांच सालों में Manual Scavenging से जुडी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है.

यह बयान राज्यसभा सांसद साकेत गोखले द्वारा इस अवैध और अपमानजनक प्रथा की प्रचलन के संबंध में पूछे गए प्रश्नों के जवाब में दिया गया था।

अठावले का यह बयान विभिन्न सर्वेक्षणों और रिपोर्टों के निष्कर्षों के विपरीत है, जिनमें NITI Aayog द्वारा किए गए सर्वेक्षण भी शामिल हैं, जो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में Manual Scavenging की लगातार घटनाओं को दर्शाते हैं। मंत्री का इस प्रथा के अस्तित्व से इनकार करने से इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठ रहे हैं.

संसदीय प्रश्नों के जवाब में, अठावले ने कहा कि " Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Act, 2013, " प्रभावी ढंग से मैन्युअल स्कैवेंजिंग को प्रतिबंधित करता है, और जो लोग ऐसे प्रथाओं में संलग्न होते हैं उन्हें दंड का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि 'स्वच्छता अभियान' मोबाइल ऐप, जो दिसंबर 2020 में insanitary latrines और संबंधित मैन्युअल स्केवेंजर्स की रिपोर्टिंग के लिए लॉन्च किया गया था, ने 114 जिलों से 6,256 मामले अपलोड किए, जिनमें से सभी मामलों को सत्यापन के बाद गलत पाया गया।

अपनी ही बातों को भूले अठावले?

दिसंबर 2023 में मंत्री रामदास आठवले ने टीएमसी सदस्य अपारुपा पोद्दार द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में खुलासा किया था कि हाल के वर्षों में मैन्युअल स्केवेंजिंग से संबंधित कई मौतें हुई हैं। उनके बयान के अनुसार 2018 में 76 मौतें रिपोर्ट की गईं, 2019 में 133, 2020 में 35, 2021 में 66, 2022 में 84, और 2023 में 49 मौतें हुईं।

आठवले नेकहा था कि मैन्युअल स्केवेंजिंग पर प्रतिबंध है और 766 में से 714 जिलों ने खुद को manual scavenging-free घोषित किया है।

2023 के आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक मौतें राजस्थान में (10) हुईं, इसके बाद गुजरात (9), और अन्य राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और झारखंड शामिल हैं।

मैन्युअल  स्केवेंजिंग आज भी देश के कई हिस्सों में, खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में, खुलेआम और अवैध रूप से की जाती है।
मैन्युअल स्केवेंजिंग आज भी देश के कई हिस्सों में, खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में, खुलेआम और अवैध रूप से की जाती है। Image- सफाई कर्मचारी आन्दोलन

यूनियन बजट 2024-2025 ने सफाई कर्मियों को ठगा, बजट में Manual Scavenging की अनदेखी

इधर, Union Budget 2024-25 में Manual Scavengers और सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए कोई प्रावधान नहीं किये जाने से समुदाय में भारी असंतोष है. तिस पर मंत्री रामदास आठवले के इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया है जिसमे सरकार ने देशभर में सेप्टिक टैंक्स से जुडी दुर्घटनाओ और मौतों को नजरअंदाज करते हुए Manual Scavenging के प्रचलन से ही इनकार कर दिया.

सफाई कर्मी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाडा विल्सन ने एक बयान जारी किया जिसमे उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा मंगलवार को संसद में प्रस्तुत यूनियन बजट 2024-2025 ने सफाई कर्मी समुदाय को पूरी तरह से निराश कर दिया है।

बजट में Manual Scavenging से जुड़े व्यक्तियों का कोई जिक्र नहीं किया गया है। यहां तक कि मैन्युअल स्केवेंजर्स के पुनर्वास के लिए बनाई गई योजना (SRMS) को भी बिना किसी युक्तियुक्त तर्क के समाप्त कर दिया गया है। यह निराशाजनक बजट एक बार फिर से केंद्र सरकार की सफाई कर्मियों, विशेष रूप से मैन्युअल स्केवेंजर्स के प्रति स्पष्ट उपेक्षा को उजागर करता है।

विल्सन ने कहा यह तथ्य है कि मैन्युअल स्केवेंजिंग आज भी देश के कई हिस्सों में, खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में, खुलेआम और अवैध रूप से की जाती है। मैन्युअल स्केवेंजर्स के पुनर्वास के लिए बजट का प्रावधान न करने का मतलब है कि इस सरकार की Manual Scavenging को समाप्त करने की कोई मंशा नहीं है, और इसने मैन्युअल स्केवेंजर्स को इंसान मानने से भी इंकार कर दिया है। इस सरकार को मानव जीवन और मानव गरिमा की कोई कद्र नहीं है।

विल्सन ने कहा कि सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री रामदास आठवले द्वारा मैन्युअल स्केवेंजिंग अप्रचलित होना बताकर इस अमानवीय प्रथा को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। संसद में उनके हालिया बयान ने यह संकेत दिया कि देश में मैन्युअल स्केवेंजिंग की कोई घटना नहीं है, जो कि NITI Aayog की रिपोर्ट के परिणामों से पूरी तरह से विपरीत है। इस अमानवीय और उपेक्षित दृष्टिकोण के कारण, manual scavengers के कल्याण के लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है। यह केवल जानबूझकर नहीं किया गया, बल्कि सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय में बैठे रहते हुए उनके अमानवीय दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।

वहीं, जमीनी स्थिति पूरी तरह से विपरीत है। मैन्युअल स्केवेंजर्स राज्य को अपनी पहचान उजागर करने से डरते हैं। कई मामलों में, राज्य सरकारें और पुलिस उनके खिलाफ गिरफ्तारी की धमकी देकर मनुहार स्केवेंजिंग जारी रखने पर मजबूर कर रही हैं। ऐसी स्थिति में, वे स्वयं-घोषणा के लिए आवश्यक पहचान को उजागर नहीं कर रहे हैं, जिससे सरकारों को मैन्युअल स्केवेंजर्स के पुनर्वास या सम्मानजनक रोजगार देने की जिम्मेदारी से बचने का मौका मिलता है।

सफाई कर्मी समुदाय ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि वे पिछले दस वर्षों में मैन्युअल स्केवेंजर्स के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर एक श्वेत पत्र जारी करें। साथ ही, उन्हें की मुक्ति और मैन्युअल स्केवेंजर्स पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।

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