मारुती सुजुकी 2012 कांड: कंपनी के पूर्व कर्मचारियों ने बहाली के लिए की दो दिन की भूख हड़ताल

मारुती सुजुकी कंपनी के पूर्व कर्मचारियों ने बहाली के लिए की दो दिन की भूख हड़ताल [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]
मारुती सुजुकी कंपनी के पूर्व कर्मचारियों ने बहाली के लिए की दो दिन की भूख हड़ताल [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]
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नई दिल्ली। दिल्ली से सटे गुडगांव में मारुति सुजुकी (maruti suzuki) के पूर्व कर्मचारियों ने दो दिन की भूख हड़ताल की है। यह भूख हड़ताल गुड़गांव के डीसी ऑफिस के बाहर 11 और 12 अक्टूबर तक चली। जिसमें बड़ी संख्या में मारुति सुजुकी के पूर्व कर्मचारी और यूनियन के लोगों ने हिस्सा लिया।

कोर्ट ने दोषी नहीं पाया

यह विरोध प्रदर्शन नौकरी गंवाने वाले मारुति सुजुकी की बर्खास्त कर्मचारियों की दोबारा बहाली करने को लेकर किया गया था, जिसमें साल 2012 के हाई प्रोफाइल केस में सजा काट रहे कर्मचारियों को कोर्ट ने दोषी नहीं पाया है। अब यूनियन की प्रबंधन से मांग है कि वह लगभग 550 कर्मचारियों की बहाली दोबारा से की जाए। जिसके लिए मंगलवार को कर्मचारियों ने दोबारा बहाली के लिए गुड़गांव के जिला उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों ने दो दिन तक भूख हड़ताल भी की।

मारुती सुजुकी कंपनी के पूर्व कर्मचारियों ने बहाली के लिए की दो दिन की भूख हड़ताल [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]
मारुती सुजुकी कंपनी के पूर्व कर्मचारियों ने बहाली के लिए की दो दिन की भूख हड़ताल [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]

'हमारा पूरा करियर ही खत्म हो गया'

इसी भूख हड़ताल में शामिल खुशीराम ने द मूकनायक को फोन पर बताया कि, "अब इस घटना को लगभग 10 साल हो गए हैं। इस दौरान कई सारी घटनाएं हुईं। जिसमें 2012 की घटना के बाद गिरफ्तार किए हमारे साथियों की मौत भी हो गई है।"

वह बताते हैं कि, "मारुती सुजुकी और जेल प्रशासन की लापरवाही के कारण हमारे साथी की कैंसर के कारण मौत हो गई। इन दोनों ने ही उसका सही से इलाज नहीं कराया। यूनियन के लोगों ने पैसे देकर इलाज करवाया था। लेकिन प्रबंधन की तरफ से कोई सुविधा नहीं दी गई थी। जिसके कारण कई साथियों की जान चली गई। यह मामला लंबे समय तक न्यायलय में चला।"

"पिछले साल पैरोल पर आए दो लोगों की मृत्यु हो गई। बाकी अन्य लोग फिलहाल जमानत पर बाहर आए हैं। और अब स्थिति ऐसी हो गई है कि जिन लोगों की रिहाई हुई है उनके लिए आगे कहीं काम करना बहुत मुश्किल है।" वह कहते हैं, "जिस वक्त यह घटना हुई उस समय हम लोगों उम्र 24 से 25 साल थी। अब हमारी उम्र ज्यादा हो गई है। इतने सालों में हमने कहीं काम भी नहीं किया है क्योंकि बाकी कोई भी हमारे रिज्यूम के हिसाब से नौकरी पर नहीं रखेंगे। क्योंकि उस वक्त की खबरों में हमें ऐसे आंतकवादियों के तरह प्रस्तुत किया था। अब स्थिति ऐसी है कि हमारी उम्र भी हो गई है और कोई कंपनी हमें नौकरी पर रखेगी नहीं, इसलिए हमलोग चाहते हैं कि मारुति सुजुकी ही हमें दोबारा नौकरी दे दें।"

प्रबंधक की मौत के बाद कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया

आपको बता दें कि, साल 2012 में मारुति सुचुकी के प्रबंधन और यूनियन के बीच हिंसक झड़प के बाद कंपनी के कई कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था। इस घटना में मानसेर संयंत्र का प्रशासनिक ब्लॉक आंशिक रुप से जल गया, जिसमें अनवीश कुमार देव, महाप्रबंधक (मानव संसाधन) की जान चली गई। यह पूरी घटना 18 जुलाई 2012 को हुई थी। जिसमें पुलिस कारवाई के बाद रातों-रात प्लांट में तालाबंदी कर दी गई। जिसमें कई कर्मचारियों को बाद में पुलिस ने पकड़ा। जिन पर बाद में कारवाई भी हुई।

साल 2017 को इसी घटनाक्रम पर गुड़गांव सेंशन कोर्ट द्वारा 13 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। फिलहाल बाकी को लोगों को निर्दोष पाया गया है। जिनकी दोबारा नौकरी की बहाली के लिए यह प्रदर्शन हो रहा है, जिससे की लोग दोबारा से अपना जीवनयापन कर सकें।

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