लखनऊ। "मैं 69 हजार शिक्षक भर्ती में 68 सौ में चयनित पीड़ित अभ्यर्थी हूं, हम दलित-पिछड़े अभ्यर्थी 630 दिन से लखनऊ के इको गार्डन में धरना दे रहे हैं और हमारी भूख हड़ताल का 17वां दिन है, लेकिन न्याय नहीं मिला है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले हमें नियुक्ति दी जाए। नहीं तो हम...।" अयोध्या निवासी अभ्यर्थी अर्चना शर्मा ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए सोशल मीडिया पर यह वीडियो डाला है। अर्चना 7 मार्च को प्रदेश की राजधानी में होने वाले महाआंदोलन में हिस्सा लेंगी।
69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों की तरफ से लगातार धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। इस क्रम में कई बार मुख्यमंत्री और नेताओं के आवास का घेराव कर प्रदर्शन के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इधर, लोकसभा चुनाव को देखते हुए अब अभ्यर्थियों ने आचार संहिता से पहले नियुक्ति पत्र देने की मांग को लेकर गुरुवार को इको गार्डन में महाआंदोलन करने की ठानी है। इसके लिए बड़ी संख्या में अभ्यर्थी और परिजन धरनास्थल पर एकत्र होने शुरू हो गए हैं।
अभ्यर्थियों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने 2022 में ही नियुक्ति पत्र देने का आश्वासन दिया था। प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है कि बेसिक शिक्षा विभाग से इस मामले को लेकर कई बार वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक 6800 अभ्यर्थी जो गलत आरक्षण के कारण नियुक्ति पाने से वंचित रह गए थे, उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया है, जबकि 2022 चुनाव के दौरान योगी सरकार ने नियुक्ति देने का आश्वासन भी दिया था।
69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया को लागू करने में हुई गलतियों में संशोधन के बाद भी नियुक्ति नहीं मिलने से आरक्षित वर्ग के 6800 चयनित अभ्यर्थी बेसिक शिक्षा विभाग और उत्तर प्रदेश सरकार से नाराज हैं। अभ्यर्थी नियुक्ति की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अभ्यर्थियों ने कहा कि बेसिक शिक्षा नियमावली, 1981 और आरक्षण नियमावली, 1994 को ताक पर रख कर भाजपा सरकार ने दलितों और पिछड़ों का हक उनसे छीन लिया है। पीड़ित छात्रों ने बताया कि इस भर्ती में OBC वर्ग को 27% की जगह मात्र 3.86% आरक्षण मिला और SC वर्ग को 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण मिला।
अभ्यर्थियों ने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर और मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद जिन 6800 अभ्यर्थियों की लिस्ट निकाली गई, वह भी दो वर्षों से नियुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छात्रों को डर है कि कुछ दिनों बाद आचार संहिता लग जाने पर उनकी नियुक्ति फंस जाएगी। इसलिए प्रदेश के सभी जिलों के अभ्यर्थियों ने शांतिपूर्वक महाआंदोलन करने का निर्णय लिया है।
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