ग्राउंड रिपोर्ट: बेमौसम बारिश ने की फसल चौपट, किसानों को भारी नुकसान

उत्तर प्रदेश में धान की फसल [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
उत्तर प्रदेश में धान की फसल [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
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उत्तर प्रदेश व राजस्थान में बेमौसम बारिश से खरीफ की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। बड़े पैमाने पर फसल खराबा होने से किसान चिंतित है।

रिपोर्ट- सत्य प्रकाश भारती, अब्दुल माहिर

उत्तर प्रदेश में पहले खरीफ की बुवाई पानी को तरसी और जैसे-तैसे फसल लगाने के बाद बेमौसम बारिश किसानों को बुरी तरह तबाह कर रही है। सितंबर के आखिरी दो हफ्तों की मूसलाधार बारिश के बाद बीते दो दिनों से हो रही बरसात ने उत्तर प्रदेश में किसानों को बरबादी के कगार पर खड़ा कर दिया है। इधर, उत्तर प्रदेश से सटते राजस्थान के एक दर्जन से अधिक जिलों में बीते 24 घंटों से हो रही बरसात से सोयाबीन, उड़द व धान की फसल भी चौपट हो गई। बेबस किसान अपनी बर्बादी को देख आंसू बहा रहा है।

उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में गत बुधवार व गुरुवार को लगातार बरसात होने के कारण धान की तैयार फसल खेतों में गिर गई है। किसानों का कहना है कि बरसात अगर ना रुकी और तेज धूप ना हुई तो भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। प्रदेश में इस बार मानसून में देरी के चलते धान की बोआई बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। ज्यादातर अगैती फसल बोने वाले किसान इससे वंचित रह गए थे। धान की पछेती फसल ज्यादातर हिस्सों में बोई गई थी।

उत्तर प्रदेश में जमीन पर गिरी धान की फसल [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
उत्तर प्रदेश में जमीन पर गिरी धान की फसल [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]

गौरतलब है कि, धान की बुआई के समय जून जुलाई व अगस्त के महीनों में बरसात बहुत कम या न के बराबर ही हुई थी। किसी प्रकार निजी संसाधनों से पानी की व्यवस्था कर किसानों ने धान की फसल तैयार की। थोड़ा बहुत अगैती धान की फसल बोने वाले किसानों को सितंबर के आखिरी दो हफ्तों में हुई मूसलाधार बरसात ने भारी नुकसान पहुंचाया था। मौजूदा समय में पछेती धान की फसल लगभग तैयार खड़ी थी। हफ्ते 10 दिन में धान की कटाई की तैयारी में किसान जुटे हुए थे। मगर बरसात ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

किसानों का कहना है कि, धान की फसल खेतों में तैयार खड़ी थी और बालियां पक चुकी हैं। बीते दो दिनों में हुई जोरदार बारिश के बाद तैयार फसल खेतों में ही गिर गई है। अब धान की फसल को बचाने के लिए जरुरत है कि बरसात बंद होते ही तेज धूप निकले। बारिश बंद नहीं होने और तेज धूप नहीं होने की दशा में धान खेतों में ही सड़ जाएगा। हालांकि उनका कहना है कि सूखने के बाद भी अब धान की बालियों के भीतर चावल के काला पड़ जाने का अंदेशा है जिसे बाजार में बेंचना मुश्किल हो जाएगा।

अमेठी जिले के तिलोई ब्लॉक में धान की फसल के हाल [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
अमेठी जिले के तिलोई ब्लॉक में धान की फसल के हाल [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]

अक्टूबर के पहले हफ्ते में हो रही बेमौसम बरसात के अकेले धान की फसल को ही नुकसान नहीं पहुंचा है बल्कि सब्जियों, सरसों सहित अगली फसल की बोआई की तैयारी पर भी असर पड़ा है। इस बार धान की खेती कर पाने से चूके किसानों ने पहले ही आलू की बोआई शुरू कर दी थी। जहां एक ओर खेतों में बोआ हुआ आलू सड़ जाने का खतरा है। वहीं पानी भर जाने के चलते अब आगे बोआई भी पिछड़ेगी।

यूपी के अमेठी में अधिक नुकसान

यूपी के 23 जिले बारिश से प्रभावित हुए है। बरसात से सर्वाधिक क्षति अमेठी जिले के तिलोई तहसील में हुई है। खेतों में तीन दिन से हुई बारिश के बाद जलभराव से ग्रामीण परेशान हैं। बरसात से सर्वाधिक नुकसान सब्जी किसानों को हुआ है। खरीफ सीजन में जिले में 1265 हैक्टेयर में शंकर खीरा, बैगन, करेला, लौकी, कद्दू, तोराई व परवल की खेती हुई है। 14620 एमटी उत्पादन होने की संभावना थी, लेकिन बरसात से सब्जी उत्पादन प्रभावित होने का अंदेशा है तो जलभराव से पेड़ों के सड़ने की आशंका है। इसके साथ ही 6412 हेक्टेयर में बोई गई उड़द 266 हैक्टेयर में बोई गई मूंग, 4850 हैक्टेयर में बोई गई अरहर तथा 0102 हेक्टेयर में तिल की फसल का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के एक खेत में भरा बारिश का पानी [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के एक खेत में भरा बारिश का पानी [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

पूर्वी राजस्थान में सबसे ज्यादा नुकसान

बेमौसम बरसात से सबसे ज्यादा पूर्वी राजस्थान के किसानों का नुकसान हुआ है। पहले भरतपुर, अलवर, करौली, दौसा, धौलपुर, जयपुर, टोंक, सवाईमाधोपुर में बाजरे व तिल की फसल तबाह हुई। अब कोटा, झालावाड़, बूंदी, बारां, सहित कई जिलों में सोयाबीन, उड़द व धान की फसल भी अतिवृष्टि से नष्ट हो गई, किसान बेबस है। अब किसान सरकारों की तरफ आर्थिक मदद के लिए उम्मीद भरी नजरों से देख रहे है। इन दिनों राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में सोयाबीन, उड़द, व मूंग, की फसल की कटाई चल रही है। धान की फसल खेत में खड़ी है। बीते 24 घंटे से लगातार बरसात से फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। कोटा के इटावा क्षेत्र के किसान ललित तिवारी व देवकरण पटेल ने बताया कि उनकी सोयाबीन की फसल कट चुकी थी। अब खेत मे पानी भरने से पानी मे डूब गई।

उपनिदेशक कृषि विस्तार सवाईमाधोपुर रामराज मीना ने बताया कि, इस बार सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। फसल खराबा भी हुआ है। रबी फसल में यहां 25 सितंबर से 20 अक्टूबर तक सरसों की बुवाई का समय रहता है। ऐसे में अब भरतपुर सम्भाग की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई में देरी होगी। उन्होंने कहा कि देरी से फसल बुवाई के कारण सरसों में सफेद रोली व चेपा रोग लगने का खतरा रहता है। साथ ही उत्पादन भी कम होता है। उन्होंने कहा कि किसानों को रबी में मौसम की स्थिति के हिसाब से फसल का चयन करना चाहिए।

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