जयपुर। निजी अस्पताल संचालक व चिकित्सकों के भारी विरोध प्रदर्शन के बावजूद विधानसभा में राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम 2022 (Right to Health Act 2022) ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित कर राजस्थान में गहलोत नेतृत्व वाली कांग्रेस ने प्रत्येक नागरिक को इलाज की गारंटी का अधिकार दे दिया है।
स्वास्थ्य का अधिकार के तहत आम नागरिक के इलाज की गारंटी देने वाला राजस्थान अपने राज्य के नागरिकों को इस प्रकार स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला देश ही नहीं बल्कि एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में पहला राज्य बन गया।
आपको बता दे कि, 'स्वास्थ्य का अधिकार' स्वास्थ्य के सार्वभौमिक न्यूनतम मानक का आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार है। जिसके सभी व्यक्ति हकदार हैं। यही वजह है कि राज्य में स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम पारित होने के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीना ने राजस्थान के नागरिकों को बधाई दी है।
एडवोकेट अब्दुल हसीब कहते हैं "भारत संयुक्त राष्ट्र द्वारा सार्वभौमिक अधिकारों की घोषणा (1948) के अनुच्छेद-25 का हस्ताक्षरकर्त्ता है। जो भोजन, कपड़े, आवास, चिकित्सा देखभाल और अन्य आवश्यक सामाजिक सेवाओं के माध्यम से मनुष्यों को स्वास्थ्य कल्याण के लिये पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार देता है।"
एडवोकेट अब्दुल हसीब कहते हैं कि विधानसभा से बिल पास होने के बाद राज्यपाल की स्वीकृति मिलते ही राज्य में स्वास्थ्य का अधिकार कानून लागू हो जाएगा।
स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद निजी अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगेगा। आपातकालीन स्थिति में निजी अस्पताल संचालक व चिकित्सक राजस्थान के किसी भी नागरिक का उपचार करने से मना नहीं कर सकेंगे। इलाज से इनकार पर जुर्माना सहित कठोर दंडात्मक प्रक्रिया भी इस कानून के प्रावधान में शामिल किए गए हैं।
स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम में राज्य और जिला स्तर पर निजी अस्पतालों के महंगे इलाज पर नियंत्रण और मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार द्वारा प्राधिकरण का गठन प्रस्तावित है। शिकायत मिलने पर जिला व राज्य स्तरीय प्राधिकरण जांच व जुर्माना का अधिकार रखते हैं।
स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम के तहत गम्भीर बीमारी से ग्रसित मरीज को इलाज के लिए किसी अन्य अस्पताल में रेफर करने पर सम्बन्धित अस्पताल को एम्बुलेंस की व्यवस्था करना जरूरी होगा। ऐसा नहीं करने पर कानून का उलंघन माना जाएगा।
स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम में एक प्रावधान यह भी है कि निजी अस्पतालों को भी राज्य में लागू अन्य सरकारी योजना के अनुसार सभी बीमारियों का इलाज नि:शुल्क करना होगा। इसका भुगतान राज्य सरकार करेगी। आपातकालीन रोगी को पैसे के अभाव में इलाज के लिए मना नहीं कर पाएंगे।
राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम राज्य के नागरिक को सभी बीमारी का इलाज के साथ जांच, इलाज, संभावित जटिलताओं और इलाज पर आने वाले सम्भावित खर्चे की जनकारी लेने का अधिकार भी देगा।
मरीजों को सभी पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट्स उनके मेडिकल केयर लेवल के अनुसार फ्री ट्रीटमेंट देंगे।
झगड़े में घायल या अन्य किसी कानूनी प्रक्रिया के कारण पुलिस के इंतजार में इलाज में देरी नहीं कर सकेंगे। हर हाल में प्राथमिकता से इलाज शुरू करना होगा।
रोगी को इलाज से सम्बंधित दस्तावेज, जांच व इलाज की अन्य जानकारियां व खर्च के समस्त बिल प्राप्त करने का अधिकार होगा। अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की दरें प्राप्त करने का अधिकार होगा। साथ ही किसी निश्चित स्थान से जांच व दवा खरीद के लिए मरीजों को बाध्य नहीं कर सकेंगे।
सर्जरी, कीमोथैरेपी की पहले से ही सूचना देकर मरीज या उसके परिजनों से सहमति लेनी होगी।
इलाज के दौरान सीक्रेसी, मानव गरिमा और गोपनीयता का ख्याल रखना होगा। पुरुष वर्कर की ओर से महिला पेशेंट के फिजिकल टेस्ट के दौरान महिला की उपस्थिति जरूरी होगी।
पोषण (न्यूट्रिशियन) के लिए पर्याप्त और सुरक्षित खाना देने, पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था, हाईजीन के लिए सरकारी डिपार्टमेंट्स के बीच कॉर्डिनेशन किया जाएगा। सबसे खास बात यह है कि निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज की मौत हो जाने पर बिल भुगतान के अभाव में शव देने से मना नहीं कर सकेंगे।
स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम लागू होने की तारीख से 6 महीने के अंदर सरकार शिकायत निवारण सुविधा सुचारू कर देगी। वेब पोर्टल व सहायता केंद्र शिकायतों को 24 घंटे के अंदर संबंधित अधिकारी या ऑब्जर्वर को भेजेगा। संबंधित अधिकारी अगले 24 घंटे में शिकायत पर की गई कार्रवाई से शिकायतकर्ता को अवगत करवाएगा।
24 घंटे में समाधान नहीं होने पर शिकायत जिला स्तरीय प्राधिकरण के पास जाएगा। यहां एक महीने में शिकायत का निस्तारण करना होगा। 30 दिन बाद शिकायत की सुनवाई राज्य स्तरीय समिति के पास होगी।
राज्य में स्टेट हेल्थ अथॉरिटी में जॉइंट सेक्रेटरी या उससे ऊपर रैंक का आईएएस अधिकारी अध्यक्ष होगा। हेल्थ डायरेक्टर मेंबर सेक्रेटरी होंगे। जबकि मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर, राजस्थान स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस एजेंसी के जॉइंट सीईओ, आयुर्वेद डायरेक्टर, होम्योपैथी डायरेक्टर, यूनानी डायरेक्टर सदस्य होंगे। सरकार की ओर से नॉमिनेटेड दो लोग जिन्हें पब्लिक हेल्थ और हॉस्पिटल मैनेजमेंट की समझ हो, को भी सदस्य बनाया जाएगा।
इसी तरह जिला स्तर पर डिप्टी सीएमएचओ पदेन सदस्य, जिला आयुर्वेद अधिकारी और पीएचईडी के एसई पदेन सदस्य होंगे। राज्य सरकार से नॉमिनेटेड दो सदस्य होंगे। जिला परिषद का प्रमुख भी सदस्य होगा। साथ ही पंचायत समितियों के 3 प्रधान सदस्य होंगे।
स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम के तहत पूर्व में प्राधिकरण के फैसले को चुनौती देने का कोई ऑप्शन नहीं था। निजी अस्पताल व चिकित्सक संगठनों के विरोध के बाद सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम के तहत गठित प्राधिकरण के फैसले को चुनौती नहीं देने के प्रावधान को हटाया गया है। अब प्राधिकरण के फैसले से संतुष्ट नहीं होने पर सिविल कोर्ट में चुनौती दे सकेंगे।
स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम का विरोध करने वाले निजी चिकित्सकों के विरोध में अब कांग्रेस कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतरने लगें हैं। कोटा से खबर है कि बिल का समर्थन करते हुए कोटा जिला मुख्यालय पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली। इस दौरान बिल का विरोध करने वाले निजी चिकित्सकों पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई।
इधर डीडवाना से सरकारी चिकित्सकों द्वारा बिल का विरोध कर रहे निजी अस्पताल चिकित्सकों पर बर्बरता पूर्वक कार्रवाई के विरोध में सरकारी चिकित्सकों ने दो घण्टे 'पेन डाउन' रखा। सरकारी चिकित्सकों का कहना है कि सरकार को निजी अस्पताल चिकित्सकों की बात को धैर्य से सुनना चाहिए।
राजस्थान के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि हमने स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम 2022 सदन में पारित कर दिया है। सम्भावना है कि राज्यपाल महोदय से मंजूरी मिलने के साथ ही 15 दिवस में इस बिल को राज्य में पूर्ण रूप से लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने सदन में बिल पेश किया। बहस के बाद ध्वनि मत से सदन में पारित हुआ है। यह जनहित में है। निजी अस्पताल संचालको को जनहित में साहयोग करना चाहिए।
निजी अस्पताल संचालकों व चिकित्सकों के विरोध पर चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा पूर्व में ही विधानसभा के पटल पर कह तल्ख लहजे में कह चुके हैं कि किसी के विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ता। कानून बना है तो इलाज भी करना पड़ेगा।
इसके अलावा चिकित्सा मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि राजस्थान विधानसभा में #Right To Health Bill पारित होने से प्रदेश के हर नागरिक को स्वास्थ्य का अधिकार मिला है। अपने नागरिकों को इस प्रकार स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला राजस्थान देश ही नहीं बल्कि एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में पहला राज्य बना है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के हर निवासी को स्वास्थ्य का अधिकार दिया है। विधानसभा में "राइट टू हेल्थ" बिल पारित किया गया है, स्वास्थ्य का अधिकार मिलने पर हर प्रदेशवासी को बधाई।
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