उत्तर प्रदेश। बरेली जिले के राजकीय जिला अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर पड़ी बेंच पर एक महिला का प्रसव करना पड़ा। इस दौरान बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग और सरकारी डाक्टरों की संवेदनहीनता का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई तस्वीरें और मामले सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय रहे हैं। परिजन इस घटना का जिम्मेदार पूरी तरह अस्पताल प्रशासन को बता रहे हैं।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में प्रसव के लिए पहुंची महिला को अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती नहीं किया गया। जिसके बाद मजबूरन परिवार को इमरजेंसी के बाहर सड़क पर ही अन्य महिला तीमारदारों की मदद से प्रसव कराना पड़ा। इस मामले में सीएमओ ने एक जांच टीम गठित कर दी है।
बरेली जिले के थाना हाफिजगंज क्षेत्र के गांव पृथ्वीपुर निवासी कृष्णपाल दो दिन पहले अपनी पत्नी मुन्नी देवी और पुत्रवधू सुमन के साथ बहनोई के घर पीलीभीत के गजरौला थाना क्षेत्र के गांव देवीपुरा निवासी पप्पू के यहां एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए आए थे। जबकि बेटा अनिल कुमार उत्तराखंड के धारचूला में मजदूरी करने गया हुआ है। पुत्रवधू सुमन नौ माह की गर्भवती थी। बुधवार दोपहर करीब एक बजे सुमन को प्रसव पीड़ा हुई तो परिवार वाले ई-रिक्शा से उसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। ई-रिक्शा चालक ने इमरजेंसी के पास उतार दिया। महिला प्रसव पीड़ा को लेकर तड़प रही थी। परिजनों ने उसे इमरजेंसी के बाहर एक बेंच पर लिटा दिया।
आरोप है कि इमरजेंसी कक्ष में मौजूद डॉक्टर और स्टाफ ने महिला अस्पताल में ले जाने की बात कहकर टाल दिया। वहां तक पहुंचाने में भी कोई मदद नहीं की, न ही महिला अस्पताल के स्टाफ को मौके पर बुलाया।
नजदीक में ही पार्क में बैठी महिलाएं मदद के लिए आगे आई और प्रसव कराया। मगर नवजात की मौत हो गई। इस घटना की सूचना पर करीब पंद्रह मिनट बाद महिला विंग के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार स्टाफ के साथ मौके पर आ गए। आनन-फानन में प्रसूता को महिला अस्पताल में भर्ती किया गया। परिवार का कहना है कि अगर इमरजेंसी के स्टाफ ने मदद की होती तो शायद नवजात को बचाया जा सकता था।
इस मामले में सीएमओ पीलीभीत ने द मूकनायक को बताया कि, "इमरजेंसी के बाहर सड़क पर प्रसव होने के मामले में जानकारी मिलने पर एसीएमओ को मौके पर भेजा गया है। प्रत्येक बिंदु पर जांच कराई जा रही है। जांच में कोई दोषी मिला तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई कराएंगे। महिला की हालत पहले से ठीक है, समस्या की कोई बात नहीं है।"
हाल ही में द मूकनायक ने लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था पर ग्राउंड पर जाकर जायजा लिया था। इस दौरान अस्पताल में मेडिकल से संबंधित सामग्री का अभाव होने की बात कहकर डिलीवरी के केस लेने से मना करने की बात कही थी। जबकि, कई डाक्टर अपने चैंबर से गायब थे। यह घटना द मूकनायक टीम ने कैमरे में कैद की थी, जिसके बाद डाक्टर भी बैकफुट पर आ गए थे। यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी लगातार हो रही ऐसी घटनाओं को लेकर कार्रवाई कर चुके हैं। इसके बावजूद इनमें कमी नहीं आ रही है। यूपी में कई अन्य मामले भी सामने आये हैं जो इस प्रकार हैं:
आगरा कैंट स्टेशन पर बुधवार की देर रात महिला ने बच्चे को जन्म दिया। रेलवे ने मां-बच्चे को एंबुलेंस से एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचाया, दोनों अब स्वस्थ हैं। रेलवे वाणिज्य प्रबंधक प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि उप स्टेशन प्रबंधक वाणिज्य के पास 7 फरवरी की रात 1:22 बजे एक टैक्सी चालक का फोन आया। उसने बताया कि ट्रेन से उतरी महिला को कैंट स्टेशन के मुख्य गेट के पास प्रसव पीड़ा हो रही है। रेलवे अस्पताल और आरपीएफ को सूचना दी। एंबुलेंस मौके पर भेजी। रात 1:25 गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म दिया। महिला का नाम ममता देवी पत्नी संतु पासवान है। वह गाड़ी संख्या 11842 से समालखा से आए थे। गेट पर पहुंचते ही उसको प्रसव पीड़ा होने लगी थी।
चित्रकूट जिले में सीतापुर ग्रामीण की महिला की प्रसव के बाद मौत हो गई, जबकि नवजात बच्ची स्वस्थ है। परिजनों ने इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। जानकारी के मुताबिक सीतापुर ग्रामीण निवासी मिस्त्री राहुल ने बताया कि मंगलवार को घर में पत्नी चांदनी (24) को तेज प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। इस पर आशा कार्यकर्ता शांति देवी के माध्यम से सीतापुर पीएचसी में भर्ती कराया गया। दोपहर को महिला ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। यह उसका पहला प्रसव था। दो घंटे बाद महिला की अचानक हालत खराब हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि कई बार डॉक्टर और स्टॉफ से कहने के बाद भी सही तरीके से इलाज नहीं किया गया। बाद में रेफर कर दिया गया। इस पर जानकीकुंड अस्पताल लेकर गए, लेकिन वहां से भी लौटा दिया गया। जिला अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया। परिजन बिना पुलिस सूचना दिए शव को गांव ले जाकर अंतिम संस्कार करा दिया। बालिका स्वस्थ बताई गई है।
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