यूपी: गंदे शौचालय, टूटा गेट, केबिन खाली, कैसे हुई सरकारी अस्पताल की यह दशा! ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचल में स्थित स्वास्थ्य केन्द्रों की हालात दयनीय. द मूकनायक की ग्राउंड रिपोर्ट में जानिए रोगियों और तीमारदारों को कैसी स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों से हर रोज जूझना पड़ता है.
बीकेटी सामुदायिक परिसर
बीकेटी सामुदायिक परिसरफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
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लखनऊ। टूटा मुख्यद्वार का गेट, गंदे शौचालय, परिसर में घूमते आवारा कुत्ते, केबिन खाली छोड़कर बाहर धूप में बैठे डॉक्टर और इधर-उधर उनकी तलाश करते मरीज। कुछ यह नजारा बक्शी का तलाब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का था। द मूकनायक टीम लखनऊ के ग्रामीण इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जानने इस ठंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी।

लखनऊ से लगभग 10 किमी की दूरी पर आउटर रिंग रोड के बगल से उलटी दिशा में बक्शी का तालाब तहसील के रास्ते में चिकित्सालय स्थित है। यहाँ सुबह करीब 11 बजे कुछ मरीज पंजीकरण काउंटर पर पर्चा बनवा रहे थे, जबकि कुछ मरीज अलाव के पास बैठे जांच करने का इन्तजार कर रहे थे। यहां बैठे एक बजुर्ग जो बीकेटी के भैसामऊ गाँव निवासी है उन्होंने बताया कि वह अपनी बिटिया का इलाज कराने आए हैं। वह अपनी पीड़ा बताते हुए कहते हैं, "पहले अस्पताल में ज्यादा अच्छे डाक्टर थे। अब बिना सिफारिश काम नहीं होता है। पहले आठ बजे से काम शुरू हो जाता था, लेकिन अब 10 बजे से पर्चा बनता है। मेरी बिटिया जांच कक्ष के बाहर बैठी है, लेकिन जांच करने वाले गायब हैं। मैं इन्तजार कर रहा हूँ।"

पास में ही कुछ अन्य मरीज दीवार से पीठ सटाये हुए जमीन पर बैठे हुए थे। इनमें से कुछ लोग ऐसे थे जो अपने परिजनों को लेकर अस्पताल में दिखाने आए थे। इन मरीजों के बगल साथ आवारा कुत्ते भी बैठे हुए थे। इस दौरान एक युवक पर्चा लिए हुए अस्पताल में भटक रहा था। उसने बताया बच्चे को टीका लगवाना है और डाक्टर नहीं मिल रही है, जबकि दूसरा दवा लिखवाने के लिए घूम रहा था। रैथा से इलाज कराने आई चांदनी बताती हैं, "मुझे पेट की समस्या थी। डाक्टरों को दिखाने के लिए काफी भटकना पड़ रहा था। डाक्टर नजर नहीं आ रहे हैं। दवाएं भी बाहर से लिख देते हैं। कुछ दवाएं अंदर से मिली हैं।"

अस्पताल के बाहर जमीन पर बैठे मरीज और तीमारदार।
अस्पताल के बाहर जमीन पर बैठे मरीज और तीमारदार।फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

महिला शौचालय पर ताला, दिव्यांग शौचालय में धूल और गंदगी

अस्पताल परिसर में झाड़ू लगाई गई थी। इस कारण साफ़-सफाई दिख रही थी। लेकिन अस्पताल के शौचालय उतने ही गंदे थे। यह शौचालय दूसरे के गेट के पास मौजूद थे। इनमें एक शौचालय महिला एक पुरुष जबकि एक दिव्यांग के लिए बना हुआ है। महिला शौचालय पर ताला लगा हुआ था, जबकि पुरुष शौचालय में गंदगी थी। शौचालय में पानी नहीं आ रहा था। जबकि दिव्यांग शौचालय में धूल मिट्टी और गन्दगी जमा हुई थी। ऐसा देख के लग रहा था मानो काफी लम्बे समय से सफाई न की गई हो। शौचालय में गंदगी के विषय में चिकित्सा अधीक्षक जेपी सिंह ने बताया, "अस्पताल की बिल्डिंग के अंदर शौचालय मौजूद हैं। अस्पताल में मरम्मत का काम भी चल रहा है इस कारण इनकी सफाई नहीं हो सकी है। हलांकि आपके माध्यम से जानकारी मिली है। इसे साफ़ करवाया जाएगा।"

गंदा पड़ा दिव्यांग शौचालय.
गंदा पड़ा दिव्यांग शौचालय.फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

शौचालय के पास ही सीएचसी का दूसरा गेट मौजूद है। इसका एक हिस्सा दूसरे गेट के सहारे लटका हुआ था। इसके पीछे छोटी सी जगह से अक्सर लोग निकलते हैं। इस कारण कोई भी हादसे का शिकार हो सकता है।द मूकनायक ने इसे भी कैमरे में कैद कर लिया। इस मामले में अधीक्षक ने बताया, "यह सिविल का काम है इसके लिए उच्चाधिकारियों को दो बार पत्र लिखकर सूचित किया गया है। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।" वहीं डाक्टरों के खाली केबिन के बारे में उन्होंने बताया कि "दरअसल भीषण ठंड होने के कारण डाक्टर अपने कैबिन में नहीं रुक रहे हैं। अपना कैबिन छोड़कर बार-बार बाहर आ रहे थे। ऐसे में मरीजों को भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा था।"

अस्पताल भवन के बाहर धूप में बैठे हुए डॉक्टर.
अस्पताल भवन के बाहर धूप में बैठे हुए डॉक्टर.

अस्पताल में डिलीवरी के लिए खत्म हो गया था सामान

द मूकनायक की टीम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद थी। इस दौरान स्टाफ नर्स आपस में बात कर रही थीं। स्टाफ नर्स ने एक डाक्टर से कहा कि आठ डिलिवरियाँ हो चुकी हैं। इस पर डाक्टर ने बोला एक दो केस और कर लो बाकी का सम्मान कहा से लाएंगे। कोई आये तो मना कर देना। डाक्टर के इस रवैये से शायद ही मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं। इस संबंध में सीएचसी प्रभारी ने बताया केंद्र का सामान माह में एक बार मंगवाया जाता है जो कि ख़त्म हो जाता है। ऐसे में बड़ी असुविधा होती है। हमारा प्रयास रहता है हम सबकी मदद करें।

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