गुरुग्राम। देश में भयावह कोरोनाकाल में संक्रमण से बचने के लिए लोगों ने क्या-कुछ नहीं किया, लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया था। सामाजिक दूरी बरती, खाने-पीने की चीजों को छूने के बाद हाथों को सैनिटाइज किया। जीने के लिए जरूरी सांसें भी मास्क बिना नहीं लीं। यही नहीं, जानलेवा संक्रमण की दहशत इतनी थी कि एक ही मकान-फ्लैट में रहने वाले लोग अपने-अपने कमरों तक से नहीं निकल रहे थे। लेकिन भारत में लगभग खत्म हो चुके करोना के बावजूद हरियाणा के गुरुग्राम (गुड़गांव) से सामने आए एक मामले ने लोगों को हैरान कर दिया है। मेट्रो सिटी में रहने वाली महिला कोविड की पहली लहर से अब तक अपने 7 वर्षीय बेटे के साथ घर में कैद थी। तीन साल बाद उसका पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अब जाकर रेस्क्यू किया। अब उसके बच्चे की उम्र 10 साल हो चुकी है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शिकायत मिलने के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर से दोनों को रेस्क्यू किया। दोनों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। जानकारी के अनुसार अस्पताल में मनोचिकित्सकों द्वारा उनका इलाज किया जा रहा है। महिला के पति ने बताया कि उसने कई बार अपनी पत्नी को समझाने की कोशिश की, लेकिन उसकी पत्नी इस बात को नहीं समझ रही थी। पति ने बताया कि दिमागी संतुलन इस कदर खराब हो गया कि उसने घर में मेरी भी एंट्री बंद कर दी।
महिला के दिमाग पर कोरोना संक्रमण का डर इस कदर हुआ कि अपने पति सुजान को भी घर में आने से रोक दिया था। सुजान कई माह तक अपने एक रिश्तेदार तथा दोस्तों के पास रहे। उन्हें लगा कि कुछ दिन बाद कुछ बदल जाएगा लेकिन उनकी पत्नी की यह समस्या बढ़ती गई। जब उनकी पत्नी उनके समझाने पर नहीं मानी, तो उन्होंने डेढ़ साल पहले अपने घर के पास एक कमरा किराये पर ले लिया और सुजान अपनी पत्नी तथा बेटे से वीडियो काल के द्वारा संपर्क में रहे।
सुजान ने पुलिस को बताया कि पहले तो उसे भी लगा कि शायद करोना की वजह से पत्नी उसे घर में नहीं आने दे रही है। लेकिन जब ज्यादा समय हो गया तब उसे भी अपनी पत्नी की मानसिक स्थिति पर शक होने लगा। तब सुजान ने पत्नी के मायके वालों से बात की तो मायके वालों ने भी मुनमुन को समझाया पर मुनमुन ने कहा कि अभी बाहर कोरोना फैला हुआ है, ना वह घर में बाहर जाएगी ना ही घर में किसी को आने देगी।
जिस घर में महिला रह रही थी, उसमें इतनी गंदगी और कचरा जमा हो गया था, कि अगर कुछ दिन और बीतते तो कुछ अनहोनी भी हो सकती थी। महिला के पति ने कहा कि "बेटे ने पिछले तीन सालों से सूरज नहीं देखा था। यहां तक कि इस महिला ने इन तीन वर्षों के दौरान कोविड के डर से रसोई गैस और स्टोर किए गए पानी का इस्तेमाल भी नहीं किया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पति सुजान ने बताया कि उसको बच्चे की पढ़ाई की चिंता सताने लगी थी। वह उसकी भविष्य को लेकर परेशान था। लेकिन पत्नी अपने बच्चे को बाहर नहीं निकलने दे रही थी यह सब होते देख पति ने पत्नी के खाते मे पैसे डलवाए और उसके स्कूल में बात कर उसकी ऑनलाइन पढ़ाई शुरु करवा दी। बच्चा दो बार ऑनलाइन परीक्षा भी दे चुका है।
पहले कुछ दिनों तक मुनमुन ने गैस पर खाना बनाया लेकिन ढाई साल तक उसने गैस नहीं मंगवाया उसने हीटर पर ही अपने और बच्चे के लिए खाना बनाया। घर के खर्च के लिए अपने पति से अपने खाते में पैसे ट्रांसफर करवाती रहती थी।
पुलिस के अनुसार, अपने बेटे के साथ तीन साल के लिए खुद को 'कैद' करने के दौरान महिला ने, 2020 में पहले लॉकडाउन प्रतिबंध में रियायत दिए जाने के बाद ऑफिस गए अपने पति को भी घर में आने की इजाजत नहीं दी। पति सुजान ने पहले कुछ दिन दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ गुजारे और जब वह पत्नी को मनाने में नाकाम रहा तो उसने उसी इलाके में एक अन्य किराए के मकान में रहना शुरू कर दिया।
पति के अनुसार, इस दौरान पत्नी और बेटे से संपर्क में रहने का वीडियो कॉल ही एकमात्र जरिया था। इस दौरान वह घर का किराया और बिजली का बिल चुकाता रहा। अपने बेटे की स्कूल की फीस जमा करता, किराने का सामान और सब्ज़ियां ख़रीदता था और राशन के बैग्स भी पत्नी वाले घर के मुख्य दरवाज़े के बाहर छोड़ दे देता था।
7 वर्ष की उम्र में महिला ने बच्चे को घर में कैद किया, अब बच्चा करीब 10 वर्ष का हो चुका है। तीन साल से बच्चे की पढ़ाई, खेल और दोस्त सब कुछ छूट गए थे। बच्चे की मां घर में ही उसके और अपने बाल काटती थी। यहां तक कि 3 वर्षों से घर का कूड़ा भी नहीं बाहर फेंका गया था। जिस कमरे में बच्चा रहता था उसी कमरे में कूड़ा, कटे हुए बाल और गंदगी जमा रहती थी। आस-पड़ोस के लोगों को भी नहीं पता था कि घर में मां-बेटे के साथ कैद है। घर में दीवारों पर ही बच्चा पेंटिंग बनाता था और दीवारों पर ही पेंसिल से पढ़ाई करता था।
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान चिकित्सा अधिकारी डा. रेनू सरोहा का कहना है कि महिला डाक्टरों की तरफ से बताया जा रहा है कि महिला सीजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्त है। मानसिक बीमारी में मरीज अक्सर रिश्तेदारों, दोस्तों से दूरी बनाकर खुद को एक कमरे तक सीमित कर लेता है। मारुति कुंज कालोनी में रहने वाली मुनमुन मांझी ने अपने दस साल के बेटे के साथ खुद को तीन साल से घर में कैद कर रखा था। उन्हें डर था कि घर से बाहर निकलते ही कोरोना संक्रमण हो जाएगा। महिला पति को भी घर नहीं आने देती थी।
पति की सूचना मिलने पर जब पुलिस मां और बेटे को रेस्क्यू करने गए तो पुलिस के साथ महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी साथ में थे। उन लोगों के तमाम प्रयास के बाद भी महिला ने दरवाजा नहीं खोला और जब वह लोग दरवाजा तोड़ने लगे तो महिला ने आत्महत्या करने की धमकी दी। इसके बाद टीम लौट आई। अगले दिन फिर दोबारा गई और पूरी तैयारी के साथ दरवाजा तोड़ा और महिला और उसके बेटे को बाहर निकालना।
कोरोना को भले ही 3 साल होने को हैं और वह अब सीमटने में लगा है, लेकिन लोग अभी भी उसे और उसके प्रभाव को भूल नहीं पाए हैं।
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