नई दिल्ली- एक ओर जब बहुजन समुदाय, सुप्रीम कोर्ट के SC-ST श्रेणी के उप-वर्गीकरण पर दिए गए फैसले से आक्रोशित हैं, इसी बीच डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML) और अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (ABVIMS) का एक पत्र सामने आया है, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुरोध किया है कि सुपर स्पेशलिटी विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की कॉन्ट्रैक्ट भर्ती में आरक्षण लागू न किया जाए और EWS श्रेणी के लिए भी इन पदों को न रखा जाए।
RML और ABVIMS, दिल्ली ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MOHFW) को सुपर स्पेशलिटी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती में आरक्षण लागू न करने का अनुरोध किया है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक ABVIMS की डीन, प्रोफेसर आरती मारिया द्वारा 12 जून को मंत्रालय को लिखे गए पत्र में यह स्पष्टीकरण मांगा गया था कि क्या ओबीसी/एसटी/एससी सीटों को दो असफल साक्षात्कार के बाद ईडब्ल्यूएस श्रेणी की तरह अनरिज़र्व सीटों में बदलने का कोई नियम है।
फिलहाल संस्थान में 44 फैकल्टी पद खाली हैं।
मंत्रालय ने इस पत्र के जवाब में ABVIMS और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, और वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल से "समग्र परीक्षण" करके "प्रस्ताव" भेजने को कहा है।
दिल्ली के ये तीनों संस्थान केंद्र सरकार द्वारा संचालित हैं। डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, जिसे पहले विलिंगडन अस्पताल के नाम से जाना जाता था, VIPs के इलाज का प्रमुख स्थान है जिनमें सांसद भी शामिल हैं।
डॉ. मारिया के पत्र में कहा गया है कि "कॉन्ट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर्स के पदों को भरने की अनुमति, निदेशक/मेडिकल सुपरिंटेंडेंट स्तर पर दी जा सकती है, बशर्ते कि स्वीकृत संख्या, खाली पद और पात्रता मानदंडों का पालन हो।"
उन्होंने लिखा, "चूंकि NEET SS (सुपर स्पेशलिटी कोर्सेज) में आरक्षण नहीं है, इसलिए सुपर स्पेशलिटी में कॉन्ट्रैक्ट पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए इंटरव्यू के दौरान आरक्षण लागू नहीं होगा।"
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जब उनसे पूछा गया कि फैकल्टी नियुक्तियों में आरक्षण न देने का सुझाव क्यों दिया गया, तो उन्होंने कहा कि "यह उद्देश्य नहीं था।" लेकिन उन्होंने मीडिया समूह के सवालों का जवाब नहीं दिया।
मंत्रालय की अतिरिक्त निदेशक (मीडिया) मनीषा वर्मा ने भी इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का जवाब नहीं दिया।
ABVIMS और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में फैकल्टी की कुल स्वीकृत संख्या 245 है, जबकि वास्तविक संख्या 201 (181 नियमित और 20 कॉन्ट्रैक्ट पर) है। फिलहाल 44 पद खाली हैं।
अगर इस पत्र को मंजूरी मिलती है, तो 44 खाली पदों में आरक्षण की स्थिति बदल जाएगी: 11 सीटें OBC के लिए, 6 SC के लिए, 3 ST के लिए, 4 EWS के लिए और 20 अनारक्षित होंगी।
वर्तमान में ABVIMS के 201 फैकल्टी पदों में 33 OBC, 28 SC, 13 ST और 127 अनारक्षित (जिसमें दो शारीरिक रूप से विकलांग शामिल हैं) श्रेणियों से हैं।
इन संस्थानों में फैकल्टी की भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा की जाती है, लेकिन खाली पदों को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर मंत्रालय की स्वीकृति से भरा जाता है।
1968 के गृह मंत्रालय के सर्कुलर के अनुसार, अगर नौकरी की अवधि 45 दिन या उससे अधिक की हो तो केंद्र सरकार की अस्थायी नियुक्तियों में SC/ST/OBC के लिए आरक्षण होगा। मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद OBC को भी इसमें जोड़ा गया था।
IITs और IIMs जैसे अन्य संस्थानों में भी फैकल्टी की कमी है, और सरकार पिछले कुछ वर्षों से इन आरक्षित पदों को भरने की कोशिश कर रही है। फरवरी में, सरकार ने लोकसभा में कहा कि केंद्रीय उच्च शैक्षिक संस्थानों में SC/ST/OBC के 4,440 से अधिक फैकल्टी पद भरे गए हैं।
इस मामले में संस्थान का पक्ष जानने के लिए द मूकनायक द्वारा ईमेल भेजा गया है, प्रत्युत्तर प्राप्त होने पर समाचार को अपडेट किया जायेगा.
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