जयपुर। चीन में श्वसन रोग के मामलों में वृद्धि को देखते हुए चिकित्सा राजस्थान का हेल्थ सिस्टम भी अलर्ट हो गया है। प्रदेश के अस्पतालों में उपलब्ध गहन चिकित्सा ईकाईयों सहित सभी स्वास्थ्य उपकरणों को एक्टिव मोड पर रखा गया है। ताकि किसी भी समय संभावित बीमारी से त्वरित निपटा जा सके। सुकून की बात यह है कि देश में कहीं भी चीन में चल रहे नए वेरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन चिकित्सा महकमा स्वास्थ्य संबंधित हर संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने प्रदेश के चिकित्सा प्रबंधन को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ओर से जारी पत्र एवं उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार अभी तक स्थिति चिंताजनक नहीं है, लेकिन प्रदेशभर में संक्रामक रोगों की सर्विलेस एवं रोकथाम के लिए चिकित्सा प्रबंधन पूरी सतर्कता के साथ कार्य करें। सभी चिकित्सा संस्थानों में जांच, दवा, उपचार आदि के समुचित इंतजाम सुनिश्चित हो।
आपकों को बता दें कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की एसीएस शुभ्रा सिंह ने चीन में पाई गई श्वसन संबंधी बीमारी से बचाव के लिए प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कहा कि सभी सीएम एंड एचओ अपने जिले में सम्पूर्ण तैयारी करेंग। मॉकड्रिल कर तैयारियों का जायजा लेंगे। उन्होंने कहा कि फिलहाल देश में इस बीमारी का एक भी मामला सामने नहीं आया है। फिर भी एहतियातन चिकित्सा तंत्र को मजबूत रखने की दृष्टि से सजगता बरती जा रही है।
एसीएस शुभ्रा सिंह ने निर्देश दिए कि राज्य एवं जिला स्तर के बड़े चिकित्सा संस्थानों में भर्ती सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन एसएआरआई के रोगियों की रेंडम सैम्पलिंग कर उनके नमूने जयपुर एवं जोधपुर स्थित लैब में भेजे जाएं। उन्होंने कोविड-19 रोगियों की तरह आईएलआई एवं एसएआरआई रोगियों को भी आईएचआईपी पोर्टल पर दैनिक रूप से रिपोर्टिंग किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बच्चों, वृद्धजनों, गर्भवती महिलाओं एवं को. मोरबिड रोगियों में संक्रमण की आशंका अधिक रहती है। अतः बचाव की दृष्टि से आमजन को आवश्यक उपाय अपनाने के लिए जागरूक किया जाए।
उन्होंने कहा कि यह एक संक्रामक बीमारी है। इसलिए इसके रोगियों के लिए, अलग से एम्बुलेस चिन्हित की जाए, ताकि अन्य रोगियों में संक्रमण नहीं फैले। उन्होंने इसके लिए आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस बीमारी से बचाव के संबंध में जारी एडवाइजरी तथा चिकित्सा विभाग की ओर से जारी दिशा निर्देशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए।
एसीएस ने कहा कि चीन में बच्चों में श्वसन रोग के मामले बढ़ने की जानकारी सामने आई है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार यह इंफ्लूएंजा, माइक्रो प्लाज्मान्यूमोनिया एवं सॉर्सकांव-2 आदि के कारण होना पाया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में श्वसन रोग विशेषकर कोविड 19 एवं म्यूकोरमाइकोसिस के शून्य केस रिकॉर्ड हो रहे हैं। संक्रामक रोगों से बचाव एवं नियंत्रण के लिए चिकित्सा विभाग ने पूरी तैयारी कर रखी है।
एसीएस ने वीसी के माध्यम से निर्देश दिए कि इस बीमारी से बचाव एवं उपचार आदि व्यवस्थाओं के लिए 3 दिन में एक्शन प्लान तैयार किया जाए। उन्होंने इसके लिए जिला एवं मेडिकल कॉलेज के स्तर पर एक नोडल ऑफिसर की नियुक्ति करने, तथा सम्भाग एवं जिला स्तर पर रेपिड रेस्पॉन्स टीम का गठन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, जांच, दवा, उपचार, मानव संसाधन एवं अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता की प्रभावी मोनेटरिंग सुनिश्चित की जाए। क्योंकि चीन में बच्चों में श्वसन रोग के मामले अधिक सामने आए हैं। इसे देखते हुए शिशु रोग इकाइयों एवं मेडिसिन विभाग में उपचार के पर्याप्त इंतजाम हो। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के सम्बंध में जिला एवं राज्य स्तर पर नियमित समीक्षा भी की जाएगी।
सवाईमाधोपुर सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में चिकित्सा महकमे में ने मॉकड्रिल कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। सवाईमाधोपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. धर्मसिंह मीना ने बताया कि स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता की दृष्टि से मॉकड्रिल के दौरान बेड, जांच, दवाईयां, एम्बुलेंस, मानव संसाधन एवं आवश्यक उपकरणों आदि की मॉनेटरिंग की गई। सवाईमाधोपुर में चिकित्सा महकमा अलर्ट मोड पर है।
सवाईमाधोपुर के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिज जैमीनी ने बताया कि इस रोग के लक्षणों में खांसी, गले में दर्द या खरास, बुखार, फेफड़ों में सूजन होने की बात सामने आ रही है। फिलहाल जिला अस्पताल सहित जिले के चिकित्सा संस्थानों में निमोनिया के गंभीर रोगियों का मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि नए रोग से घबराने की आवश्यकता नहीं है। समय पर उचित चिकित्सकीय सलाह लेकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
सवाईमाधोपुर जिले में वर्तमान में 40 प्राथमिक, 20 सामुदायिक व 2 जिला स्तर के अस्पताल है। इनके अलावा 14 निजी अस्पताल भी संचालित है। अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल जैमीनी ने बताया कि चिकित्सा व्यवस्थाओं की तैयारी जांचने के लिए हमने जिले के समस्त सरकारी अस्पतालों के साथ ही 3 निजी चिकित्सालयों में भी मॉड्रिर व्यवस्थाएं जांची है।
जिले के सभी 76 निजी व सरकारी अस्पतालों में 1660 बैड उपलब्ध है। ऑक्सीजन सपोर्टेड आइसोलेशन बेडों की संख्या 15 है। अईसीयू बैड 30 है। वैंटीलेटर 23 हैं। इसी तरह जिले में 275 चिकित्साधिकारी 849, एम्बुलेंस 51 है। यह एक जिले का आंकड़ा है। प्रदेश के सभी जिलों में तैयारी की गई है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती शुभ्रा सिंह ने कहा कि प्रदेश में नियमित टीकाकरण की दिशा में लक्ष्यों के अनुरूप बेहतर काम हुआ है। भावी पीढ़ी की स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश में शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित हो। एक भी बच्चा नियमित टीकाकरण से नहीं छूटे। इसके लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग विभिन्न नवाचारों के माध्यम से लक्ष्य हासिल करेगा।
श्रीमती सिंह स्वास्थ्य भवन में नियमित टीकाकरण के लिए गठित स्टेट टास्क फोर्स की बैठक को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नियमित टीकाकरण का लक्ष्य राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है। इसे हमें अब शत-प्रतिशत टीकाकरण की ओर लेकर जाना है। उन्होंने निर्देश दिए कि जिन जिलों में निर्धारित लक्ष्यों से कम टीकाकरण रहेगा, वहां मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा सचिव ने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के होलिस्टिक रिकॉर्ड में टीकाकरण सहित अन्य शारीरिक जानकारियां शामिल करने की कार्यवाही प्रारम्भ करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग के शाला दर्पण पोर्टल व विद्यार्थियों के लिए बनाए जाने वाले होलिस्टिक डेटाबेस को चिकित्सा विभाग के पीसीटीएस सॉफ्टवेयर से जोड़कर जॉइंट एक्सेस सुविधा शुरू की जाएगी। इस समेकित सिस्टम से सभी विद्यार्थियों के टीकाकरण सहित अन्य स्वास्थ्य पैरामीटर की जानकारी मिलना सुलभ हो जाएगा। इसकी जानकारी शिक्षा विभाग व स्वास्थ्य विभाग दोनों को मिल सकेगी और 10 एवं 16 वर्ष की उम्र में जरूरी टीके लगाने में महत्वपूर्ण सहयोग मिलेगा।
श्रीमती सिंह ने टीकाकरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के तहत स्कूली स्तर पर तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से टीकाकरण अभियान को गति दी जाएगी। साथ ही जिला स्तर पर जिला कलेक्टर, सीएमएचओ की तथा उपखण्ड स्तर पर उपखण्ड अधिकारी, बीसीएमएचओ की जिम्मेदारी तय करते हुए टीकाकरण को बढ़ाएंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि शत-प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने के लिए शिक्षा, महिला बाल विकास, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज, अल्पसंख्यक मामलात, ईएसआई विभाग तथा संबंधित एजेंसियों के समन्वय एवं सहयोग से माइक्रो प्लानिंग की जाए। इसमें तकनीक का भी उपयोग करते हुए प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए ताकि एक भी बच्चा टीकाकरण से वंचित नहीं रहे। उन्होंने कहा कि 10 दिसम्बर से प्रदेश के 24 जिलों में आयोजित होने वाले उपराष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पर अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाए।
श्रीमती सिंह ने कहा कि बच्चों में सम्पूर्ण टीकाकरण के लिए शिक्षा विभाग अहम भूमिका निभा सकता है। राजकीय स्कूलों में नो बैग डे एवं पेरेन्टस-टीचर मीटिंग आदि अवसरों के माध्यम से लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जाए। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग भी जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आमजन को टीकाकरण के लिए जागरूक करें। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों में धर्म गुरूओं द्वारा अपील तथा मदरसों में अभिभावकों के साथ चर्चा कर टीकाकरण के प्रति जनचेतना जाग्रत की जा सकती है। इसी प्रकार ईएसआई विभाग फैक्ट्रियों एवं अन्य औद्योगिक संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों को बच्चों के टीकाकरण के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि टीकाकरण को लेकर सोशल मीडिया आदि माध्यमों से भ्रांति फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
स्टेट टास्क फोर्स की बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने कहा कि जिला कलेक्टर्स के माध्यम से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के तय लक्ष्य से पीछे रहने वाले जिलों में विशेष फोकस किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने इन जिलों में आईईसी गतिविधियां बढ़ाने पर भी बल दिया।
समेकित बाल विकास सेवाएं विभाग के निदेशक रामावतार मीना ने बताया कि नियमित टीकाकरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने की दिशा में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।
बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अतिरिक्त मिशन निदेशक श्रीमती प्रियंका गोस्वामी, निदेशक आरसीएच डॉ. लोकेश चतुर्वेदी, परियोजना निदेशक टीकाकरण डॉ. रघुराज सिंह तथा शिक्षा, महिला बाल विकास, अल्पसंख्यक मामलात, पंचायतीराज विभाग सहित डब्ल्यूएचओ, यूनीसेफ, नीपी, यूएनएफपीए आदि संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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