राजस्थान: सरकार बदलने के साथ ही मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का सर्वर डाउन!

ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों की हालत होती जा रही बदतर. द मूकनायक ने ग्रामीण अंचल में जाकर जानी सरकारी दावों की हकीकत, सामने आई ये सच्चाई.
राजस्थान: सरकार बदलने के साथ ही मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का सर्वर डाउन!
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राजस्थान: राज्य में कल्याणकारी स्वास्थ्य योजनाओं ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना व राज्यकर्मियों के लिए आरजीएचस योजना का लोगों को लाभ भी मिला। इन योजनाओं की बदोलत अमीरी-गरीबी की खाई को पाटते हुए निजी अस्पतालों में आमजन को बेहतर इलाज भी मुहैया कराया गया, लेकिन राजस्थान सरकार सरकारी अस्पतालों की दशा सुधार सुधारने में पिछड़ गई। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में भी अच्छी सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास अंत तक जारी रहे। यह भी सच है कि राज्य की तत्कालीन गहलोत सरकार प्रदेश की स्वास्थ्य योजनाओं के सहारे चुनावी मैदान में भी उतरी, लेकिन इसका राजनीतिक लाभ नहीं मिल सका।

राजस्थान में बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं के सरकारी दावों की हकीकत जानने के लिए द मूकनायक की टीम प्रदेश के दूरदराज ग्रामीण इलाकों में पहुंची। आदिवासी व मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा संभाले सरकारी अस्पतालों की सेहत खराब मिली। राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जैसी संस्थानों में एक्स-रे मशीन नहीं है, जहां है वहां खराब है। सोनोग्राफी मशीन की उपलब्धता तो दूर की बात है। जबकि, सरकारी गाइडलाइन के अनुसार सीएचसी में सोनोग्राफी मशीन अनिवार्य है, लेकिन राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी भी रोगियों को दर्द दे रही है।

द मूकनायक की टीम राजस्थान की राजधानी जयपुर से 125 किलोमीटर दूर सवाईमाधोपुर जिले के मलारना चौड़ कस्बे में पहुंची। जहां कोटा-लालसोट मेगा हाइवे स्थित दलित बस्ती के पास बने राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की पड़ताल की। कहने को दो वर्ष पूर्व तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्राथमिक से बढ़ाकर अस्पताल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा तो दे दिया, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ाई। यहां अभी भी प्राथमिक अस्पताल स्वास्थ्य की ही सुविधाएं मिल रही हैं।

दोपहर बारह बजे अस्पताल में चिकित्सा प्रभारी डॉ. विष्णु मीना रोगियों का उपचार करते मिले। चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है। हालांकि, उन्होंने ऑन कैमरा कुछ भी बोलने से मना कर दिया। सीएचसी मलारना चौड़ में पांच में से तीन चिकित्सक हैं। एक नियमित व दो यूटीबी योजना के तहत अस्थायी चिकित्सक लगाए गए हैं। एएनएम का पद ही स्वीकृत नहीं है। एलएचबी भी नहीं है।

द मूकनायक की टीम ने अस्पताल की लैब देखी तो यहां एक छोटे से कमरे में कार्मिक बैठा नजर आया। अस्पताल में सामान्य जांचों के अलावा कोई जांच नहीं होती। एक्स-रे मशीन नहीं है। सीबीसी जांच मशीन भी खराब है। ऐसे में चिकित्सक को दिखाने के लिए एक्स-रे सहित अन्य गंभीर रोगों की जांचों के लिए 30 किलोमीटर का सफर कर जिला मुख्यालय सवाईमाधोपुर ही जाना मजबूरी है। सीएचसी में अभी भी 6 पलंग है। ऐसे में आपात स्थिति में इतने से अधिक मरीज भर्ती भी नहीं कर पाते हैं।

चिकित्सक को दिखाने के बाद करेल निवासी रामपाल गुर्जर ने द मूकनायक को बताया कि उसके घुटनों में दर्द रहता है। उसने जयपुर भी दिखाया था। "अब फिर से दर्द बढ़ने लगा तो यहां दिखाने आया है। चिकित्सक ने दवाएं लिख दी है। एक्स-रे करवाने की सलाह दी है। स्थानीय अस्पताल में एक्स-रे सुविधा नहीं है। ऐसे में अब एक्स-रे के लिए सवाईमाधोपुर जाना पड़ेगा", उन्होंने कहा.

इस दौरान मलारना चौड़ ग्राम पंचायत सरपंच रुकमणी मीना ने कहा कि यह आदिवासी व दलित बाहुल्य इलाका है। पिछली सरकार ने ग्रामीणों की मांग पर अस्पताल को क्रमोन्नत कर दिया था, लेकिन अस्पताल के बोर्ड पर नाम बदलने के अलावा कुछ नहीं बदला। उम्मीद है नई सरकार अस्पताल के दर्जे के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाएगी। इससे रोगियों को लाभ मिलेगा।

मलारना चौड़ से 10 किलोमीटर दूर भाड़ौती-मथुरा मेगा हाईवे स्थित मलारना डूंगर उपखण्ड मुख्यालय के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक रोगियों को देखते मिले। एक-एक कर रोगी आ रहे थे। सर्दी का सीजन होने से इन दिनों यहां रोगियों की संख्या कम है। हालांकि, यहां भी मुस्लिम व आदिवासी मरीजों की संख्या सर्वाधिक होती है। अस्पताल में 6 में से चार चिकित्सक हैं। सीएचसी में महिला रोग विशेषज्ञ होने से महिला रोगियों को राहत मिली है, लेकिन सड़क हादसे में घायलों को अभी भी रेफर का दर्द मिलता है। एक्स-रे मशीन अभी भी खराब है।

चिकित्सक प्रभारी डॉ. राजेन्द्र कुलदीप ने बताया कि, "शॉट सर्किट के कारण मशीन खराब हो गई थी, अभी ठीक हुई है। शनिवार से ही एक्स-रे होने लगेंगे। यहां नर्सिंग स्टाफ की कमी है।" हमने कुछ मरीजों से अस्पताल में मिल रही सुविधाओं के बारे में जानना चाहा, लेकिन मरीज कुछ कहने से बचते रहे। चिकित्सा प्रभारी डॉ. राजेन्द्र कुलदीप ने भी ऑन कैमरा कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का सर्वर डाउन

द मूकनायक की टीम मलारना डूंगर सीएचसी पहुंची तो पता चला कि सरकार बदलने के साथ ही मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का सर्वर डाउन है। अस्पताल में आने वाले मरीजों के उपचार के लिए चिरंजीवी बीमा योजना के साइट खोलने पर नहीं खुलती। सर्वर डाउन होने से निजी अस्पताल में भी इस योजना का रोगियों को लाभ नहीं मिलने की शिकायतें लगातार मिल रही है।

सवाईमाधोपुर जिले के ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा स्टाफ की कमी के साथ ही जांच सुविधाओं की कमी के बारे में जानने के लिए द मूकनायक ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. धर्म सिंह मीना से बात करना चाहा, लेकिन उन्होंने विभागीय बैठकों में व्यस्तता की बात कहते हुए कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। 

सवाईमाधोपुर जिले में 13 सामुदायिक अस्पताल, 26 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 200 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं। केवल एक सीएचसी खण्डार में सोनोग्राफी मशीन है। बोली, चौथ का बरवाड़ा, मलारना डूंगर उपखण्डों में केवल एक-एक व खण्डार के दो सामुदायिक अस्पतालों में एक्स-रे मशीन है। जबकि सभी सीएचसी पर एक्स-रे व सोनोग्राफी जांच सुविधा अनिवार्य है।

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. धर्म सिंह मीना ने बताया कि जहां स्थायी चिकित्सकों की कमी है, उन जगह अस्थायी चिकित्सक लगाए गए हैं। नई सरकार बनी है तो सभी अस्पतालों में पर्याप्त चिकित्सा स्टाफ लगाने व आवश्यक जांच सुविधा उपलब्ध करवाने की सिफारिश की जाएगी।

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