राजस्थानः निजी कम्पनी से करार खत्म, 40 प्रकार की निशुल्क जांचें हुई बन्द, महंगा हो गया इलाज

राजस्थानः निजी कम्पनी से करार खत्म, 40 प्रकार की निशुल्क जांचें हुई बन्द, महंगा हो गया इलाज
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जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना व निशुल्क विशिष्ट जांच सेवा के तहत राजकीय सामुदायिक अस्पतालों व जिला अस्पतालों में मरीजों को 40 प्रकार की निशुल्क जांच की सेवा उपलब्ध कराई जा रही थी। बीते 31 अगस्त 2022 से सभी 40 तरह की निशुल्क जांच रोक दी गई है।

राजस्थान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व कृष्णा डायग्नोस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के बीच करार हुआ था। इसके तहत जिला अस्पताल व ब्लॉकस्तर पर सामुदायिक चिकित्सालयों में गत पांच साल से हार्ट, किडनी, थायराइड, लीवर, एचआईवी, विटामिन डी, सुगर जैसी 40 तरह की क्रिटिकल जांचें निशुल्क हो रही थीं। अब करार की समय सीमा खत्म होने पर लैब से निशुल्क जांच बंद कर दी हैं।

स्थानीय मीडिया के अनुसार उप जिला अस्पतालों व सेटेलाइट अस्पतालों में आउट सोर्स की गई 40 प्रकार की क्रिटिकल जांचे नई कम्पनी के सिक्योरिटी राशि विवाद को लेकर कोर्ट जाने के कारण बाधित हो गई हैं। स्वास्थ्य महकमा निदेशक डॉ. केएल मीना की माने तो पुरानी कम्पनी का तीन बार एक्सटेंशन कर दिया था। अब एक दिन भी टेंडर बढ़ा नहीं सकते। नई कम्पनी ने नियमांे में होने के बावजूद 11 करोड़ रुपए डिक्योरिटी जमा कराने से इनकार कर कोर्ट में चुनौती दे दी है। नई कम्पनी ने काम शुरू नहीं किया। इससे जांच प्रभावित हुई हैं।

सवाईमाधोपुर जिला अस्पताल में रोजाना 80 से अधिक मरीजों के विभिन्न जांचों के सैम्पल लिए जा रहे थे। उधर, प्रयोगशाला में निशुल्क जांच के लिए सोमवार को भी दर्जनों मरीज पहुंचे, लेकिन लैब कर्मचारियों ने टेंडर पूरा होने की बात कह कर वापस भेज दिया। गत 31 अगस्त को टेंडर का समय समाप्त होने के बाद जांच कार्य बंद कर दिया है। अब केवल जांच रिपोर्ट दी जा रही है।

ये जांचें थीं मुफ्त

योजना के तहत यहां 100 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक की निशुल्क जांचें शामिल थीं। लेब में सीईए, पीएसए, टॉर्च प्रोफाइल, इन्सूलिन, आयरन, थायराइड, थैलीसीमिया, एचपीएलसी, बॉयोप्सी, हिमोग्लोबिन, यूरिन कल्चर एंड सेंसविटी, ब्लड कल्चर, सीएसएफ कल्चर, लेपेस आदि जांचें हो रही थीं।

निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों की चांदी

प्रदेश के जिला अस्पतालो में पिछले दो दिन से निशुल्क जांच बंद होने से निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों को फायदा हो रहा है। निजी लैब संचालक मनमर्जी से मरीजों से जांचों की राशि वसूल रहे हैं। ऐसे में लोगों को मजबूरन महंगे दामों पर ही जांचें करानी पड़ रही है। इसका सीधा सा असर जरूरतमंद मरीजों की जेब पर पड़ा है।

द मूकनायक से सवाईमाधोपुर जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी.एल. मीना ने बात करते हुए कहा कि निशुल्क जांच योजना का संचालन प्रदेश स्तर से हो रहा है। निजी जांच कम्पनी के सहयोग से 40 प्रकार की निशुल्क जांच योजना चलाई जा रही थी, लेकिन 31 अगस्त 2022 को करार खत्म होने के बाद से निशुल्क जांच कार्य बंद पड़ा है। अब नए टेंडर जारी होने के बाद ही सेवा शुरू हो सकेगी। इसमें तीन से चार दिन लग सकते हैं।

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