MP: श्योपुर के गांव में हैजा का प्रकोप, दो लड़कियों की मौत, 134 लोग बीमार

सभी ग्रामीणों ने हैंडपंप का पानी पिया था, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। सिविल सर्जन डॉ. आरबी गोयल के अनुसार, यह समस्या गैस्ट्रोएंटेराइटिस से जुड़ी है, जो दूषित पानी और भोजन के कारण होती है।
अस्पताल में भर्ती ग्रामीण
अस्पताल में भर्ती ग्रामीण इंटरनेट
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भोपाल। मध्य प्रदेश में श्योपुर जिले के वीरपुर तहसील के ओछा सहराना गांव में दूषित पानी के कारण हैजा फैलने से दो लड़कियों की मौत हो गई और 134 लोग गंभीर रूप से बीमार हैं। इस बीमारी का मुख्य कारण गांव में लगे हैंडपंप का दूषित पानी माना जा रहा है। मृतकों में एक 10 वर्षीय बच्ची और दूसरी 17 वर्षीय किशोरी शामिल हैं।

शुक्रवार की शाम से ग्रामीणों को उल्टी-दस्त की शिकायतें होनी शुरू हुईं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर दवाइयां दीं, लेकिन रात 12 बजे स्थिति गंभीर हो गई। एंबुलेंस न आने पर ग्रामीणों ने अपने निजी साधनों से बीमारों को जिला अस्पताल पहुंचाया। बाद में प्रशासन की ओर से एंबुलेंस भेजी गई, जिससे अन्य बीमारों को अस्पताल ले जाया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि सभी ने हैंडपंप का पानी पिया था, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। 10 वर्षीय प्रियंका, जो रामलखन की पुत्री थी, और 17 वर्षीय बाइस कुमारी, जो बनवारी की पुत्री थी, उनकी इस बीमारी से मौत हो गई। 32 लोग जिला अस्पताल श्योपुर में भर्ती हैं, जबकि 23 अन्य अस्पतालों में इलाजरत हैं। शेष 79 लोगों का गांव में ही उपचार किया जा रहा है।

गांव के लोगों ने बताया कि हैंडपंप के पास से गंदा पानी निकलता था, जिसके बारे में पंचायत सचिव को 15 दिन पहले सूचित किया गया था। हालांकि, इस शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। सिविल सर्जन डॉ. आरबी गोयल के अनुसार, यह समस्या गैस्ट्रोएंटेराइटिस से जुड़ी है, जो दूषित पानी और भोजन के कारण होती है।

प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि "ओछा में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने क्या कार्रवाई की है, इस संबंध में मैं कलेक्टर से रिपोर्ट मांगूंगा। रोगियों को पूरा इलाज दिया जाएगा और कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी।"

श्योपुर के कलेक्टर लोकेश जांगीड़ ने बताया कि "गांव में बीमारी फैलने की सूचना मिलने पर मैं खुद गांव जा रहा हूं। स्थिति नियंत्रण में है, और डॉक्टर्स की टीम पूरी तत्परता से इलाज कर रही है। हैंडपंप के पानी को ही बीमारी का कारण माना जा रहा है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर लोगों के बीमार होने का और कोई कारण समझ नहीं आया है। पानी की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पूरी जानकारी मिलेगी।"

घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने गांव में अपनी टीम भेजी और बीमारों के उपचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। गांव में डॉक्टरों और नर्सों की टीम लगातार कार्यरत है और स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा, दूषित पानी को साफ करने के लिए तत्काल उपाय किए जा रहे हैं और ग्रामीणों को बोतलबंद पानी वितरित किया जा रहा है।

ग्रामीणों में दहशत

हैंडपंप के पानी से फैली इस बीमारी ने ग्रामीणों में भय और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। लोग अपने परिजनों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं और कई लोग गांव छोड़कर अन्य स्थानों पर चले गए हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करे और उन्हें साफ पानी की व्यवस्था उपलब्ध कराए।

इस घटना के बाद सरकार ने गांव में साफ पानी की व्यवस्था के लिए नए हैंडपंप लगाने का वादा किया है। साथ ही, गांव के सभी हैंडपंपों की नियमित जांच के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इस मामले पर ध्यान देते हुए स्वास्थ्य और पंचायत ग्रामीण विकास विभाग को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे गांव में साफ पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करें और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रशासन की अनदेखी को उजागर करती है। ग्रामीणों के अनुसार अगर पंचायत सचिव ने समय रहते हैंडपंप की समस्या पर ध्यान दिया होता, तो शायद आज इतनी बड़ी संख्या में लोग बीमार नहीं होते और दो मासूमों की जान नहीं जाती!

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