भोपाल। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। जिसमें विभाग ने उपचार में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को 60 गुना महंगी दरों पर खरीदा है। इस मामले में जांच के बाद राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने मामला दर्ज कर लिया है।
यह खुलासा अनूपपुर में साल 2019 से 2022 के बीच खरीदे गए उपकरणों की जांच में हुआ है। मामले की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने की थी। ईओडब्ल्यू ने जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी और एडीएम के खिलाफ मामला दर्ज किया है। साथ ही उपकरणों की सप्लाई करने वाली 3 फर्म के 5 संचालकों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है।
ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, अनूपपुर जिला अस्पताल और दूसरी स्वास्थ्य संस्थाओं में मरीजों के उपचार हेतु उपकरणों की खरीदी की गई। इसके लिए प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत 7 करोड़ 11 लाख रुपए से ज्यादा का बजट दिया था। जिसकी खरीदी तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. बीडी सोनवानी, सिविल सर्जन डॉ. एसआर परस्ते और एडीएम बीडी सिंह ने की थी।
778 प्रकार के उपकरणों की खरीदी के ऑर्डर भोपाल के गौतम नगर में रहने वाली एक फैमिली की 3 फर्मों को दिया गया। वहीं, एक उपकरण की खरीदी कटनी की फर्म से की गई। जिसमें मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ कार्पोरेशन भोपाल के अप्रूव्ड रेट को दरकिनार किया गया, और 61 गुना महंगी दर पर मशीनों की खरीदी की गई। उपकरण खरीदी के इस मामले में 33 लाख रुपए से ज्यादा का फायदा संबंधित फर्मों को हुआ है।
जांच में पता लगा है, अनूपपुर में 10999 रुपए में मिलने वाले जंबो साइज के ऑक्सीजन सिलेंडर को 16900 रुपए में और 68 रुपए कीमत वाली आरएफ किट 4156 रुपए में खरीदी गई है। यहां 14 उपकरणों की खरीदी मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ कार्पोरेशन ने अप्रूव्ड रेट से कई गुना ज्यादा कीमत पर खरीदी। जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने घोटाला करने वाले सम्बंधित अधिकारी और फर्म संचालकों को आरोपी बनाया है।
दरअसल, नवंबर 2019 में अनुपपुर जिला स्वास्थ्य विभाग ने खरीदी टेंडर जारी किए थे। टेंडर 5 लोगों ने डाले थे। चार की निविदाएं खोली ही नहीं गई और एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाया गया। करीब 7 करोड़ के इस टेंडर में 5 करोड़ का भुगतान भी कर दिया गया। इसके बाद दिसंबर 2020 में आर्थिक अपराध शाखा भोपाल में इस मामले की शिकायत हुई। जांच के बाद मार्च 2021 में रीवा ईओडब्ल्यू में मामला दर्ज किया गया था।
इस मामले में जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा रीवा को अधिकृत किया गया था। 3 अगस्त 2023 को अनूपपुर सीएमएचओ दफ्तर में टीम पहुंची थी। तब वहां तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. बीडी सोनवानी मौजूद थे। टीम के सदस्यों ने उनकी मौजूदगी में फर्जीवाड़े से जुड़े दस्तावेजों को जब्त किया था। इस कार्रवाई को आशीष मिश्रा सब इंस्पेक्टर, घनश्याम त्रिपाठी हेड कांस्टेबल के नेतृत्व में टीम ने अंजाम दिया था। चार साल तक चली लंबी जांच के बाद भोपाल ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 27 मार्च 2024 को जांच में दोषी पाते हुए 13 लोगों को आरोपी बनाया है।
उपकरणों की खरीदी के लिए एडीएम बीडी सिंह की अध्यक्षता वाली समिति में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. बीडी सोनवानी बतौर सदस्य शामिल थे। पात्र दवा सप्लाई फर्म को टेंडरिंग से बाहर करने की साजिश सीएमएचओ रहे डॉ. सोनवानी ने की थी। इसके लिए उन्होंने सिविल सर्जन और दवा स्टोर के स्टोर कीपर और अकाउंटेंट ने टेंडरिंग में उपकरणों की बिक्री के ऑफर्ड रेट की डेटा टेबल ही नहीं बनवाई थी। इतना ही नहीं टेंडरिंग के दौरान जिन फर्म के रेट सबसे ज्यादा अधिक थे, उस फर्म को पात्र करने के लिए कम रेट ऑफर करने वाले दवा सप्लायर को टेंडरिंग से बाहर कर दिया था। यह खुलासा ईओडब्ल्यू की अब तक की जांच में हुआ है।
ईओडब्ल्यू की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि मेसर्स सिन्को इंडिया लिमिटेड इंदौर, मेसर्स साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड और अनुसेल्स कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से 13 प्रकार के उपकरणों की खरीदी की गई। तीनों ही फर्म के संचालक भोपाल के गौतम नगर में रहते हैं। साथ ही फर्म के संचालकों का आपस में रिश्ता पिता-पुत्र और पुत्रवधु (बहू) का है।
इस मामले में ईओडब्ल्यू ने अनूपपुर के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीडी सोनवानी, तत्कालीन स्टोर कीपर रामखेलावन पटेल, सीएमएचओ कार्यालय के तत्कालीन लेखापाल महेश कुमार दीक्षित, अनूपपुर के तत्कालीन एडीएम बीड़ी सिंह तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. एसआर परस्ते, मेडिकल विशेषज्ञ एवं बीएमओ डॉ. बीपी शुक्ला, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. डीके कोरी, क्रय समिति के सदस्य डॉ. मोहन सिंह के साथ ही भोपाल के गौतम नगर निवासी भोपाल के मेसर्स साइंस हाउस मेडिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की डायरेक्टर सुनैना तिवारी, इसी कम्पनी के एक और डायरेक्टर जितेंद्र तिवारी, अनुजा तिवारी, शैलेंद्र तिवारी और महेश बाबू शर्मा के खिलाफ 420, 409, 120 बी, भादवि एवं 13 (1) ए, 13(2) व.नि.अ. 1988 संशोधन अधिनियम 2018 के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है।
आरोपियों में शामिल अनूपपुर के तत्कालीन एडीएम बीडी सिंह का नाम भी शामिल हैं। बता दें कि वे क्रय समिति के अध्यक्ष थे। जांच के दौरान उनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन एफआईआर में उनका नाम है।
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