मध्य प्रदेश: इलाज में लाखों खर्च पर मरीज को नहीं मिला आराम, अब हॉस्पिटल दस लाख रुपये हर्जाना देगा

मामला आठ साल पुराना, डॉक्टरों ने कर दिया था गलत ऑपरेशन
मध्य प्रदेश: इलाज में लाखों खर्च पर मरीज को नहीं मिला आराम, अब हॉस्पिटल दस लाख रुपये   हर्जाना देगा
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भोपाल। मध्य प्रदेश में एक निजीअस्पताल की लापरवाही के चलते मरीज को हुए नुकसान पर राज्य उपभोक्ता निवारण आयोग ने दस लाख रुपये क्षतिपूर्ति के तौर पर पीड़िता को देने का आदेश दिया है। मामला आठ साल पुराना है, जिसमें पीड़ित महिला के लाखों खर्च करने के बाद डॉक्टरों ने गलत ऑपरेशन कर दिया। पीड़ित महिला को कोई फायदा होने की बजाए उल्टा वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गई। जिला उपभोक्ता आयोग में पहले याचिका लगाई गई थी लेकिन अस्पताल के पक्ष में निर्णय सुनाया गया. जब शिकायत राज्य आयोग में पहुँची तब, पीठ ने डॉक्टर को कड़ी फटकार लगाते हुए 10 लाख की क्षतिपूर्ति पीड़िता को दिए जाने का फैसला सुना दिया। 

दरअसल, एक 35 वर्षीय महिला को आठ साल बाद न्याय तो मिला, लेकिन वह इतने इलाज और आपरेशन के बाद भी चलने में असमर्थ है। भोपाल, रेतघाट की रहने वाली निखत जहां 2014 में पीठ दर्द और चलने में मुश्किल होने की समस्या को लेकर बंसल अस्पताल में इलाज के लिए गईं थी। डाक्टरों ने उनका एमआरआइ सहित कई टेस्ट किए और उनके एक कूल्हे को बदलने की सलाह दी। तब महिला गर्भवती भी थीं। वह ऑपरेशन को तैयार हो गईं।

जब वह कूल्हा बदलवाने के लिए गईं तो डाक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि दोनों कूल्हों को बदलवाना पड़ेगा। इस कारण यदि आप एक साथ बदलवा लेंगी तो बेहतर होगा। डाक्टर की सलाह मानते हुए उन्होंने दोनों कूल्हे बदलवा लिया। लेकिन ऑपरेशन के  बाद भी उन्हें कोई आराम नहीं मिला। उन्हें पीठ दर्द और चलने में परेशानी होती रही। साथ ही उनके गर्भ में पल रहे शिशु का विकास नहीं हो पाया और उनका गर्भपात भी हो गया। उनके दोनों कूल्हे भी बदल दिए गए। इसमें चार लाख रुपये भी खर्च हो गए। 

इसके बाद पीड़ित महिला जब दूसरे अस्पताल गईं तो उन्हें डाक्टरों ने बताया कि आपको कूल्हे बदलने की आवश्यकता नहीं थी, बल्कि स्पान्डिलाइटिस की बीमारी है, जिससे रीढ़ की हड्डी का आपरेशन करना पड़ेगा। इसके बाद भी वे स्वस्थ नहीं हो पाईं।

इलाज में लाखों खर्च करने के बाद भी जब आराम नहीं मिला, तो उन्होंने बंसल अस्पताल के मुख्य प्रबंध निदेशक अनिल बंसल और आर्थोपेडिक सर्जन डा. आरपी सिंह के खिलाफ 2016 में जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका लगाई थी। जिला आयोग ने अस्पताल के पक्ष में निर्णय सुनाया। इससे असंतुष्ट होकर पीड़िता ने 2017 में राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। इस पर आयोग के अध्यक्ष एके तिवारी व सदस्य डा. श्रीकांत पांडेय ने अस्पताल को 10 लाख रुपये इलाज सहित मानसिक क्षतिपूर्ति राशि और 20 हजार रुपये, वाद व्यय के लिए 7.5 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया। 

दूसरे निजी अस्पताल के डाक्टरों ने पूरी रिपोर्ट देखने के बाद आयोग में बताया कि मरीज को करीब चार माह का गर्भ था। उसे गर्भपात कराना पड़ा। आयोग ने अस्पताल के डाक्टरों को फटकार लगाते हुए टिप्पणी की कि मरीज को अनकहा दर्द, भावनात्मक तनाव, शारीरिक परेशानी आदि का सामना करना पड़ा, अपने अजन्मे बच्चे को खोने का दर्द, सदमा और अनावश्यक खर्च बंसल अस्पताल में महंगे इलाज के लिए लगभग 10 लाख रुपये और बाद में घर पर फिजियोथेरेपिस्ट उपचार के लिए बुलाए, बंसल अस्पताल के डा. आरपी सिंह ने मरीज पर टोटल हिप रिप्लेसमेंट के लिए दबाव डाला, जबकि दूसरे अस्पताल के डाक्टरों ने इसकी कोई आवश्यकता नहीं बताई, क्योंकि वे पीठ की समस्या से पीड़ित थीं। आयोग ने अस्पताल के डाक्टरों को सेवा में कमी का दोषी ठहराया और हर्जाना लगाया। 

द मूकनायक से बातचीत करते हुए पीड़िता के अधिवक्ता विजय सहगल ने बताया, पीड़ित महिला के इतने आपरेशन के बाद भी वह स्वस्थ नहीं हुईं। उन्होंने अस्पताल के खिलाफ शिकायत की। राज्य उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल को जिम्मेदार ठहराया। अब आयोग के इस फैसले के बाद पीड़िता को न्याय मिला है।

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