मध्य प्रदेश: गैस प्रभावित इलाकों के कैंसर रोगियों को मिलेगा एम्स में मुफ्त इलाज

भोपाल गैस त्रासदी प्रभाव वाले क्षेत्रों में अधिकांश आवादी मुश्लिम और दलित समाज के परिवारों की है।
पानी के कारण महिला को पैरों में स्किन प्रॉब्लम.
पानी के कारण महिला को पैरों में स्किन प्रॉब्लम.फोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक
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भोपाल। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से गैस पीड़ितों का निःशुल्क इलाज अब भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में होगा. इसके लिए राज्य सरकर और एम्स भोपाल ने एमओयू साइन किया है। सोमवार को राज्य सरकार के भोपाल गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग और एम्स भोपाल के बीच एमओयू साइन किया गया है। भोपाल गैस त्रासदी प्रभाव वाले क्षेत्रों में अधिकांश आवादी मुश्लिम और दलित समाज के परिवारों की है। 

कैंसर से रोग से गैस पीड़तों का इलाज एम्स भोपाल में निःशुल्क करने के संबंध में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने गैस राहत विभाग से पूछा था और अगली पेशी 24 जनवरी को जवाब प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया था। इसीलिए गैस राहत विभाग ने इस संदर्भ में एम्स से एमओयू साइन किया। गैस पीड़ित संगठनों ने बीएमएचआरसी प्रबंधन से भी मांग की है कि वे जल्द ही कदम उठाएं, जिससे अस्पताल में कैंसर विभाग शुरू किया जा सके।

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बता दें कि साल 2021 में हाईकोर्ट जबलपुर ने यह निर्देश सरकार को दिए थे कि वह जल्द ही गैस प्रभावित कैंसर पीड़ित मरीजों का इलाज एम्स में करवाएं। इससे पहले इन पीड़ितों का इलाज निजी अस्पताल चिरायु में किया जा रहा था। इस मामले में हाल ही में कैंसर से जूझ रही गैस पीड़िता सपना चौरसिया उपचार की मांग करते हुए हाई कोर्ट पहुंची थी। जहां उन्होंने बताया कि राज्य सरकार से राशि स्वीकृत होने के बाद भी उपचार नहीं मिल पा रहा था। इसके बाद कोर्ट ने वास्तविक स्थिति के संबंध में जानकारी मांगी। इसके तुरंत बाद प्रदेश सरकार और एम्स भोपाल के बीच एमओयू हो गया। अब इन सभी को आसानी से एम्स भोपाल में कैंसर का उपचार मिल सकेगा।

कैंसर पीड़ित मरीजों की बढ़ रही संख्या

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के सांख्य लाखों में हैं। इन परिवारों के अधिकतर सदस्य किसी न किसी बीमारी की चपेट में आ गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक फिलहाल करीब 600 मरीज कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, और इनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

दूषित पेयजल से बढ़ रहा कैंसर का खतरा

यूनियन कार्बाइड के आसपास जमीन में दफन कचरा लगातार भूजल को प्रदूषित कर रहा है। और यहाँ के रहवासी इसी पानी को पीने के लिए मजबूर है। पूर्व में की गई भूजल जांच में यह सामने आया था। यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरे के कारण पानी अधिक मात्रा में रसायन युक्त हो चुका है। इस मामले में एक्सपर्ट का कहना था। कि इस पानी को पीने से कैंसर और गुर्दा रोग जैसी गंभीर बीमारी पनप सकती है। पिछले कुछ सालों के आंकड़ो में यहां कैंसर और गुर्दा सम्बंधित रोगियों की संख्या बड़ी है।

भूजल प्रदूषित क्षेत्र नवाब कॉलोनी में 25 वर्षों से रह रहीं कैंसर से पीड़ित 40 वर्षीय शमसाद बी ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए बताया कि वह 15 साल तक यहाँ लगे ट्यूबवेल (बोरिंग) का पानी पीती रहीं, बाद में उन्हें पता लगा यह पानी तो जहरीला था। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उनकी तबियत खराब रहने लगी थी, सीने में जलन रहती थी। जब डॉक्टर ने जांच कराई तो पता लगा की उन्हें स्तन का कैंसर हुआ है। एक वर्ष तक इलाज कराया अंत में डॉक्टर ने ऑपरेशन कर कैंसर वाले हिस्से को शरीर से अलग कर दिया। अब शमसाद को डॉक्टरों ने बताया है कि उनकी किडनी में भी इंफेक्शन है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए काम कर रही भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की संचालक रचना ढिंगरा ने बताया की लंबे समय से कैंसर पीड़ितों के उपचार की मांग की जा रही थी। अब एम्स और गैस राहत विभाग के बीच हुए इस एमओयू से पीड़ितों को राहत मिलेगी। अच्छे इलाज का इंतजार वर्षों से था। गैस प्रभावित एवं भूजल प्रदूषित इलाकों में लगातार कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं। इन्हें बेहतर इलाज की जरूरत है।

भूजल में यह रासायन पाएं गए-

पूर्व में पानी की, की गई जांच करने पर पता चला है कि यूनियन कार्बाइड के आसपास की 42 कॉलोनियों के भू-जल में ऑर्गनोक्लोरीन नामक रसायन मिला है, इससे कैंसर, जन्मजात विकृति, मस्तिष्क और किडनी के साथ रोग प्रतिरोधक, प्रजनन एवं अन्य स्रोतों को नुकसान पहुंचता है। यूनियन कार्बाइड कारखाने में सालों से पड़े जहरीले कचरे को नष्ट नहीं करने के कारण ये स्थिति बन रही है। इसकी वजह से दूसरी कॉलोनियां भी इसकी जद में आ रही हैं।

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