भोपाल। मध्य प्रदेश में चूहों पर ड्रग ट्रायल कर गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए रिसर्च की तैयारी की जा रही है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में कैंसर, डायबिटीज, डिप्रेशन और एन 1 एच1 का आयुर्वेदिक इलाज के लिए चूहों में ड्रग प्रयोग कर शोध किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर एम्स राष्ट्रीय स्तर पर दो प्रोजेक्ट कर रहा है।
इसके लिए अलग-अलग प्रजाति के चूहे, खरगोश भी मंगवाए गए हैं। कैंसर और डायबिटीज के इलाज की खोज के साथ एलोपैथी के साइड इफेक्ट भी चूहों, गिनी पिग और खरगोशों से रिसर्च कर रहे हैं।
एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाएं साथ लेने का असर भी यहां देखा जाएगा. यहां डायबिटीज के इलाज के लिए आयुर्वेद की तीन तरह की दवाओं का ट्रायल किया जा रहा है। इसके लिए चूहों को कैंसर और डायबिटीज से ग्रसित किया जाता है। इसके बाद इन पर दवाओं का असर देखा जा रहा है। दवा कितनी कारगर रही और इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं, इसका अध्ययन किया जा रहा है।
इसके अलावा एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाएं एक साथ लेने से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में भी रिसर्च की जा रही है। इस शोध में दोनों दवाओं की कितनी मात्रा में ली जाए कि जिससे कोई साइड इफेक्ट न हो, इसे भी जांचा जाएगा. एम्स प्रबंधन का कहना है कि आने वाले दिनों में एनिमल हाउस में शोध के लिए प्राणियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
एम्स भोपाल में इसके लिए एनिमल हाउस बनाया गया है। एम्स की एनिमल हाउस प्रभारी मेघा कटारे पांडे ने बताया कि एम्स में वीवो इमेजिंग सिस्टम विकसित किया गया है। इसके जरिए ऑप्टिकल इमेजिंग से कैंसर में दवा के प्रभाव का अध्ययन, जीन एक्सप्रेशन टारगेटिंग, बीमारी के फैलाव, वायरल-बैक्टीरियल संक्रमण और इनके इलाज में दवा के प्रभावों का अध्ययन भी किया जा सकता है।
मशीन मल्टीपल इमेज लेने में सक्षम है। इसमें एक साथ प्रयोगात्मक जीवों की लाइव रिपोर्ट भी कम्प्यूटर पर दर्ज होती है। उन्होंने बताया बाहर के छात्र भी एम्स में कर सकेंगे रिसर्च-प्रदेश में पहली बार एनिमल लैब एम्स भोपाल में बाहर के स्टूडेंट्स भी रिसर्च कर सकेंगे। अभी मैनिट के दो स्टूडेंट्स यहां स्टडी कर रहे हैं।
एनिमल हाउस की प्रभारी, डॉ. मेघा कटारे ने बताया कि एम्स में एनिमल हाउस बन कर तैयार है। यहां एलोपैथी और आयुर्वेदिक सभी तरह की दवाओं पर रिसर्च चल रही है। जल्द ही गिनी पिग आने वाले हैं। खरगोश और हेमेस्टर चूहे भी आ रहे हैं। जिन पर ड्रग ट्रायल कर रिसर्च की जाएगी। द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए एम्स भोपाल के निदेशक, डॉ. अजय सिंह ने बताया, "बड़े पशुओं में ट्रायल से पहले हम चूहों पर दवाओं के ट्रायल कर रहे हैं ताकि इसकी फाइंडिंग्स के आधार पर इसे इंसानों में उपयोग किया जा सके. शोध के लिए हमारे यहां एनिमल हाउस बनाया गया है।"
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