दिल्लीः कोरोना के नए वेरिएंट से, क्यों रखें ज्यादा सावधानी?

चिकित्सकों ने सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाने और लक्षण होने पर चिकित्सकों से जांच कराने की दी सलाह
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सांकेतिक चित्र साभार-सोशल मीडिया
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नई दिल्ली। दुनियाभर में भीषण तबाही मचाने वाली महामारी कोविड-19 का कहर अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। आये दिन कोरोना वायरस के नए-नए वेरिएंट सामने आते रहते हैं, जिसको लेकर वैज्ञानिकों और डॉक्टर्स की चिंता बढ़ जाती है। हाल ही में कोरोना का एक नया वेरिएंट दुनिया के कुछ देशों में मिला है, जिसको लेकर वैज्ञानिक चिंता में पड़ गए हैं। हम बात कर रहे हैं कोरोना के नए वेरिएंट जेएन-1 की। यह वेरिएंट अब तक सामने आए सभी वेरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह अन्य वेरिएंट्स की तुलना में ज्यादा संक्रामक है। यही नहीं यह इम्यून सिस्टम के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है।

क्रिसमस और नए साल के करीब आने के साथ, शहर के कुछ अस्पतालों के डॉक्टरों ने देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट जेएन-1 के पहले मामले का पता चलने का भी हवाला दिया और लोगों से अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, कुछ राज्यों में कोविड सहित श्वसन संबंधी बीमारी के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को स्वास्थ्य समीक्षा बैठक भी की है।

20 दिसंबर, 2023 को सुबह 8 बजे तक, भारत में कुल 341 नए कोविड-19 मामले दर्ज किए गए। पिछले 24 घंटों में, जिन 224 व्यक्तियों में संक्रमण का पता चला था, वे ठीक हो गए, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 19 दिसंबर को केरल की स्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय थी, जहां राज्य में कोविड-19 के 292 नए सक्रिय मामले और तीन मौतें दर्ज की गईं।

नए वेरिएंट के बारे में

कोविड-19 के एक नया वेरिएंट पाया गया है, जिसे जेएन-1 के रूप में पहचाना गया है। जेएन-1 वैरिएंट भारत में स्वास्थ्यकर्मियों, विशेषज्ञों, अधिकारियों और जनता के बीच चिंता का कारण बन रहा है। यह कोविड सबवेरिएंट, जो पहली बार लक्जमबर्ग में पाया गया, पिरोला वेरिएंट से संबंधित है, जो ओमिक्रॉन सबवेरिएंट से आता है। ओमिक्रॉन के पहली बार सामने आने के दो साल बाद, वायरस भारत में नामक एक नए संस्करण के रूप में फिर से प्रकट हुआ है।

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, जेएन-1 के प्रसार में चल रही वृद्धि से संकेत मिलता है कि यह या तो अधिक संक्रामक हो सकता है या मानव प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में अधिक प्रभावी हो सकता है। हालाँकि, सीडीसी ने यह भी उल्लेख किया है कि वर्तमान में इस बात का कोई स्पष्ट संकेत नहीं है कि यह नया संस्करण वर्तमान में प्रचलन में मौजूद अन्य वेरिएंट की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है या नहीं।

सिंगापुर में भी बढ़े कोरोना के केस- चीन के अलावा सिंगापुर में भी कोरोना के मामले बढ़ने की खबर है। सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय (एमओएच) ने बताया 3 से 9 दिसंबर तक मामलों की अनुमानित संख्या बढ़कर 56,043 हो गई, जो इससे पिछले सप्ताह के 32,035 मामलों की तुलना में 75 प्रतिशत अधिक है। यहां अधिकतर लोगों को जेएन-1 सब-वैरिएंट से ही संक्रमित पाया जा रहा है।

कितना चिंताजनक है ये नया सब-वैरिएंट

आमतौर पर कहें तो कोविड-19 लक्षण ओमिक्रॉन के ज्यादातर सब-वैरिएंट्स में एक जैसे ही देखे जाते रहे हैं। सीडीसी के मुताबिक जेएन-1 के कारण लोगों में खांसी, सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई, थकान, मांसपेशियों-शरीर में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश, नाक बंद या नाक बहने जैसी समस्या देखी जा रही है।

शहर के प्रतिष्ठित लेडी हाइडन मेडिकल कॉलेज में मेडिशन के चिकित्सक विवेक सुमन बताते हैं कि नए वेरियंट की जब तक टेस्टिंग ज्यादा नहीं होगी। तब तक हम कुछ नहीं कह सकते। एहतियात के लिए आपको पुरानी चीजों पर दोबारा लौटना होगा जो सावधानियां पहले बरत रहे थे, दोबारा बरतनी होगी । मास्क लगाकर रखना होगा। भीड़ वाली जगह से बचना होगा। दूरी बनाए रखनी होगी। अगर आपको लक्षण देखने को मिलते हैं तो तुरंत डॉक्टर से टेस्ट करवाने होंगे।

उन्होंने आगे कहा कि इम्युनिटी बढ़ाने वाला आहार खाएं। ज्यादा उम्र के लोग और बच्चों को ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। इस मौसम में हर तरह के वायरल इंफेक्शन फैलते हैं। इसलिए सावधानी बरतनी है।

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