भोपाल। MBBS हिंदी पाठ्यक्रम में छात्रों की रुचि नहीं होने और हिंदी की किताबें नहीं बिकने के मामले में द मूकनायक की खबर का असर हुआ है। द मूकनायक पर खबर प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने के प्रोजेक्ट की समीक्षा की थी। मेडिकल कोर्सेस की किताबों की हिंदी में प्रिंटिंग और वितरण में देरी की बात सामने आई। इस पर डीएमई डॉ. जितेन शुक्ला को शासन ने पद से हटा दिया है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने डीएमई डॉ. जितेन शुक्ला को हटाकर उनकी जगह गांधी मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एके श्रीवास्तव को डीएमई बनाया है।
मध्यप्रदेश में पिछले साल हिंदी माध्यम के छात्रों की सहूलियत के लिए मेडिकल की पढ़ाई में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की हिंदी पुस्तकें तैयार की गई थीं, लेकिन छात्रों की रुचि हिंदी की किताबें पढ़ने में नहीं है। हालात ये है कि पुस्तकों के प्रकाशक की अभी तक एक भी किताब नहीं बिकी है। मेडिकल पाठ्यक्रम को अंग्रेजी के साथ हिंदी में करने वाला एमपी देश का पहला राज्य है। फिलहाल एमबीबीएस के प्रथम वर्ष की किताबें ही उपलब्ध हो सकी है। बाकी अन्य किताबों के लिए शोध जारी है। छात्रों की हिंदी कोर्स में बेरुखी इसमें कई तरह की खामियों को दर्शा रही है।
पिछले साल 16 अक्टूबर 2022 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में एमबीबीएस के हिंदी पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया था और एमबीबीएस की प्रथम वर्ष की हिंदी पुस्तकों का विमोचन भी किया था। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है, जो अब इंजीनियरिंग के बाद मेडिकल की पढ़ाई भी हिंदी में कराएगा।
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