भोपाल। देश में हर वर्ष लगभग 13 लाख महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित होती है, जिसमें से लगभग 80 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है। सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश से ही सामने आते है, इसके चलते अब सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए प्रयास तेज हो रहे हैं। इसके तहत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल ने बचाव के लिए वैक्सीन लगाने की शुरुआत की है।
एम्स के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि टीकाकरण के पहले आओ-पहले पाओ, अभियान के अंतर्गत 9 से 14 वर्ष तक की 131 बच्चियों को यह टीका एम्स में निःशुल्क लगाया जाएगा। लड़कियों में 6 महीने के अंतराल पर दो डोज वैक्सीन लगाने के बाद सर्वाइकल कैंसर का खतरा लगभग पूरी तरह से टल जाता है। इसलिए एम्स भोपाल और विश्वनाथ केयर फाउंडेशन ने भावी पीढ़ी की स्वास्थ्य सुरक्षा और बेहतरी के मकसद से मिलकर यह कदम उठाया है। विश्वनाथ केयर फाउंडेशन द्वारा सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए 262 टीके एम्स भोपाल को प्रदान किए गए हैं।
एम्स निदेशक ने बताया कि सर्विकल कैंसर के सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश से ही सामने आते हैं। विश्वनाथ केयर फाउंडेशन और एम्स द्वारा यह पहल की गई है, ताकि सर्वाइकल कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की रोकथाम हो सके।
एम्स निदेशक ने कहा- "मध्य प्रदेश में लोक स्वास्थ्य सेवाओं को आगे बढ़ाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। इस तरह की पहल के माध्यम से हमारा लक्ष्य रोकथाम योग्य बीमारियों से निपटने के लिए आवश्यक उपकरणों और संसाधनों के साथ समुदायों को सशक्त बनाना है।"
द मूकनायक से बातचीत करते हुए भोपाल एम्स के जनसंपर्क अधिकारी केडी शुक्ला ने बताया कि शुक्रवार 1 मार्च से टीकाकरण के पंजीयन शुरू कर दिए गए हैं। सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत 9 से 14 वर्ष तक की 131 बच्चियों को टीका लगाया जाएगा। फिलहाल वैक्सीन एम्स में निःशुल्क है, वहीं बाजार में यह टीका लगभग चार हजार रुपये की कीमत में मिलता है।
सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर है। गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय का निचला, संकीर्ण द्वार होता है। यह गर्भाशय से योनि तक जाता है। सर्वाइकल कैंसर को विकसित होने में आमतौर पर वर्षों लग जाते हैं। इस दौरान गर्भाशय ग्रीवा में कोशिकाएं बदलती हैं और तेजी से बढ़ती हैं। पूर्ण विकसित कैंसर (प्रीकैंसरस) बनने से पहले होने वाले प्रारंभिक परिवर्तनों को "डिसप्लेसिया" या "सरवाइकल इंट्रापीथेलियल नियोप्लासिया" (सीआईएन) कहा जाता है। यदि इन परिवर्तनों का पता लगा लिया जाए और इलाज किया जाए, तो सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है। यदि निदान और उपचार न किया जाए, तो सर्वाइकल कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है, जिससे यह मौत का कारण बन सकता है।
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