लखनऊ। यूपी के लखनऊ के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मुफ्त एवं सस्ती दवाइयां उपलब्ध होने के बावजूद मरीज बाहर की दवाइयां खरीदने को मजबूर हैं। चिकित्सकों द्वारा मरीजों को महंगी ब्रांडेड दवाइयां लिखी जा रही है। निजी मेडिकल स्टोरों से दवाएं खरीदने की खबरें लगातार राष्ट्रीय स्तर के दैनिक समाचार पत्रों में भी छप रही हैं। लखनऊ मंडलायुक्त के निरीक्षण में भी यह तथ्य सामने आ चुके हैं। इन महंगी दवाओं के कारण मरीजों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। इस मामले में टीबी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक आनन्द बोध ने सभी आरोपों को खारिज किया है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
यूपी के लखनऊ के ठाकुरगंज में टीबी का अस्पताल स्थित है। इस अस्पताल में टीबी के इलाज के साथ ही डेंगू और महिलाओं के लिए प्रसव सुविधा भी उपलब्ध है। अस्पताल परिसर में ही प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र भी बनाया गया है। इस अस्पताल में यूपी के विभिन्न जिलों से इलाज कराने के लिए लोग आते हैं।
जन औषधी केंद्र पर हर वह दवा मौजूद है जो टीबी अस्पताल के डॉक्टर विभिन्न जिलों से पहुँचने वाले मरीजों को लिखते हैं। टीबी अस्पताल में डॉक्टर द्वारा मोहम्मद अलीम को लिखी गई दवा प्राईवेट मेडिकल स्टोर पर 340 में मिलती है। जबकि यही दवा जन औषधी केंद्र पर मात्र 160 रुपये में उपलब्ध है।
एक अन्य दवा जिसकी बाजार में कीमत 190 रुपए है, वह मात्र 60 रुपये में जन औषधी केंद्र पर उपलब्ध है। प्राईवेट मेडिकल स्टोर पर एक सीरप की कीमत 125 रुपये है। जबकि, जन औषधी केंद्र पर यह मात्र 38 रुपये में उपलब्ध है।
डॉक्टरों द्वारा टीबी अस्पताल परिसर में ही जन औषधी केंद्र होने के बाद उन्हें निजी मेडिकल स्टोर पर भेजना भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
महंगी दवाएं लिखते हैं डॉक्टर
लखनऊ के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में बाहरी दवाओं को लिखने की खबरें राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों में छप रही थी। इसे लेकर द मूकनायक ने ग्राउंड जीरो पर जाकर यूपी के विभिन्न जिलों से इलाज कराने ठाकुरगंज के टीबी अस्पताल आए मरीजों से बातचीत की। लखनऊ के सआदतगंज क्षेत्र के मुसाहबगंज निवासी में शबनम के पति मोहम्मद अलीम को फालिस अटैक पड़ा था। जिसके बाद वह पिछले आठ सालों से लखनऊ के टीबी अस्पताल से इलाज करा रही हैं। शबनम बताती है, "इलाज काफी महंगा है। डॉक्टर ज्यादातर दवाएं बाहर की ही लिखते हैं।" मरीज शिकायत करते हुए बताते हैं, पहले डॉक्टर को दिखाने के लिए लंबी लाइन में लगना पड़ता है। बाद में दवा दिखाने के लिए भी लाइन में लगना पड़ता है। इससे लाइन में लगे मरीजों को भी समस्या होती है।
महंगी दवाएं खरीदने के लिए बेचना पड़ा मकान
शबनम बताती हैं, "हम दोनों ही घर मे अकेले हैं। हमारी कोई संतान नहीं है। मेरी एक छोटी गुमटी थी। जिससे हम दोनों का पेट पलता था। पति की बीमारी के बाद दुकान बंद करनी पड़ी। देखने वाला कोई नहीं था। ईलाज के लिए टीबी अस्पताल लाते हैं। ईलाज काफी महंगा है। डॉक्टर ज्यादातर दवाएं बाहर की ही लिखते हैं। इन दवाओं को खरीदने और बेहतर ईलाज के लिए मुझे अपना मकान बेचना पड़ा।"
डॉक्टरों का वीडियो हो चुका है वायरल
ठाकुरगंज टीबी अस्पताल के एक सर्जन का फरवरी 2022 में वीडियो वायरल हुआ था। सर्जन ने मरीज को देखने के बाद पर्चे पर कुछ दवाएं लिखीं और मरीज को पारा स्थित अपनी क्लीनिक पर बुलाया था। मरीज ने वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया। सीएमएस आनन्द बोध को इसकी जानकारी हुई। लेकिन सीएमएस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की थी। मरीज ने डाक्टर की पूरी करतूत का वीडियो जिलाधिकारी और स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजा था। जिसके बाद मामले में जांच बैठी और डॉक्टर का उन्नाव तबादला कर दिया गया था। टीबी अस्पताल के एक अन्य चिकित्सक पर मरीजों से अभद्रता के भी आरोप लगे हैं।
क्या बोले जिम्मेदार?
इस मामले में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. लिली सिंह का कहना है कि, "पूरे मामले की जांच के आदेश निदेशक एस. के. सिंह को दिए गए हैं। आख्या आने के बाद दोषी डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
केस -1
उन्नाव से लखनऊ के टीबी अस्पताल इलाज कराने आये 80 वर्षीय बुजुर्ग रईस पुरुष वार्ड में भर्ती हैं। रईस बताते हैं, "मुझे टीबी को लेकर काफी समस्या थी। टीबी अस्पताल के डॉक्टर ईलाज अच्छा कर रहे हैं," रईस दवा की थैली दिखाते हुए बताते हैं कि, "टीबी के इलाज में काफी पैसा खर्च हो रहा है। डॉक्टर बाहर के निजी मेडिकल स्टोरों से दवाएं लिखते हैं। यह दवाएं काफी महंगी आती हैं। एक सप्ताह में लगभग 1500 रुपये दवा के लिए खर्च करने पड़ते हैं।"
केस-2
उन्नाव के ही बांगरमऊ से आये राधेश्याम बताते हैं कि, "मेरा टीबी का इलाज चल रहा है। मैं बहुत गरीब परिवार से हूं। डॉक्टर बाहर की दवाएं लिखते हैं, जोकि काफी महंगी पड़ती हैं। मैं बाहर से 1050 रुपये की दवा खरीद कर लाया हूँ।"
केस-3
लखनऊ के काकोरी से आए चंदन बताते हैं कि, "मैं अपने पिता का इलाज कराने के लिए आया हूँ। जांच में टीबी निकला है, जिसकी दवा चल रही है। इंजेक्शन तो अस्पताल में ही उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन अधिकतर दवाएं बाहर से ही खरीदनी पड़ती है। मैं कुल 1400 रुपए की दवा खरीदकर लाया हूँ।"
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.