भोपाल। मध्य प्रदेश में मानसून के खत्म होते ही डेंगू के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। प्रदेश के कई जिलों में डेंगू के नए मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, खासकर ग्वालियर, भोपाल, और इंदौर जैसे बड़े शहरों में स्थिति गंभीर है। इस साल सितंबर महीने में ग्वालियर सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां 667 मरीज सामने आए। यह आंकड़ा चिंताजनक है, क्योंकि अब तक डेंगू के कुल 880 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और इनमें से 306 मरीज 17 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। डेंगू की वजह से अब तक 4 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
ग्वालियर में डेंगू का प्रकोप सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। सितंबर महीने के आंकड़ों के अनुसार, 667 मरीजों का डेंगू पॉजिटिव आना इस शहर में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बच्चों में डेंगू के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है। डॉक्टरों ने बताया कि डेंगू बुखार से पीड़ित मरीजों की प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरने से स्थिति और भी नाजुक हो जाती है, और समय पर इलाज न मिलने से मरीजों की जान खतरे में पड़ जाती है।
राजधानी भोपाल में भी डेंगू के मामलों में इजाफा देखा गया है। हालांकि, शहर में नगर निगम द्वारा मच्छरों के नियंत्रण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में भोपाल नगर निगम ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 12 फॉगिंग मशीनों के माध्यम से फॉगिंग अभियान चलाया। फॉगिंग के दौरान कीटनाशक दवाओं का धुआं छोड़ा गया, जिससे मच्छरों के प्रजनन पर नियंत्रण पाया जा सके और डेंगू के संक्रमण को कम किया जा सके। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि लगातार हो रही बारिश के कारण जलभराव की समस्या पैदा हो रही है, जिससे मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं।
डेंगू एक वायरल बीमारी है, जो डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलती है। इसे मादा एडीज एजिप्टी मच्छर फैलाता है, जो दिन के समय अधिक सक्रिय होता है और साफ पानी में प्रजनन करता है। डेंगू बुखार की शुरुआत अचानक होती है और इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, उल्टी, और त्वचा पर लाल धब्बे शामिल हैं। अगर डेंगू का समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर (डीएचएफ) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) का रूप ले सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।
डेंगू के मरीजों की प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरती है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इसलिए, डेंगू की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट किया जाता है, जो संक्रमण की सही पहचान में मदद करता है।
स्वास्थ्य विभाग ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी तरह के बुखार को हल्के में न लें और तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। विभाग ने डेंगू से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बताई हैं:
1. पानी का जमाव न होने दें: घर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में पानी जमा न होने दें, क्योंकि डेंगू फैलाने वाले मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। कूलर, गमले, और टंकी की नियमित सफाई करें।
2. मच्छरदानी और क्रीम का इस्तेमाल करें: सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें और मच्छर भगाने वाले क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें।
3. शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें: मच्छरों के काटने से बचने के लिए पूरी बाजू के कपड़े पहनें और शरीर को अधिक से अधिक ढककर रखें।
4. फॉगिंग और स्वच्छता: अपने इलाके में फॉगिंग अभियान की मांग करें और मच्छरों को फैलने से रोकने के लिए सामुदायिक सफाई अभियान में भाग लें।
मध्य प्रदेश सरकार ने डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई जगहों पर फॉगिंग और मच्छर नियंत्रण के अभियान तेज कर दिए हैं। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मानते हैं कि बारिश के बाद जलभराव और कचरा जमा होने से मच्छरों के प्रजनन में तेजी आ रही है, जिससे स्थिति को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है।
डेंगू से निपटने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, और स्थानीय प्रशासन के समन्वय से ही डेंगू जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। साथ ही, नागरिकों की जागरूकता और सतर्कता भी इस बीमारी से लड़ने में अहम भूमिका निभा सकती है।
चिकित्सको की अपील है, मध्य प्रदेश में डेंगू का प्रकोप तेजी से फैल रहा है और इसका असर मुख्यतः ग्वालियर, भोपाल, और अन्य जिलों में देखा जा रहा है। डेंगू के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए सरकारी स्तर पर कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत सतर्कता और सामुदायिक सहयोग के बिना इस बीमारी से पूरी तरह से निपटना कठिन होगा। इसलिए, जनता को खुद भी साफ-सफाई और मच्छरों के प्रजनन को रोकने के उपाय अपनाने चाहिए।
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